जम्मू-कश्मीर में जमीन की खरीद फरोख्त, कानून के खिलाफ हुर्रियत ने बंद में दिखाया ‘दम’
By सुरेश एस डुग्गर | Published: October 31, 2020 09:09 PM2020-10-31T21:09:05+5:302020-10-31T21:10:32+5:30
हुर्रियत कांफ्रेंस द्वारा नए भूमि कानून के खिलाफ बुलाए गए बंद की वजह से जनजीवन अस्त व्यस्त रहा। इस सप्ताह की शुरुआत में केंद्र सरकार ने जम्मू कश्मीर के भूमि कानून को बदला है। इसके अनुसार अब पूरे देश से कोई भी जाकर जम्मू-कश्मीर में उद्योग लगाने के लिए भूमि खरीद सकता है।
जम्मूः कश्मीर में केंद्र सरकार द्वारा लागू किए गए जमीन की खरीद फरोख्त संबंधी नए काून के खिलाफ आखिर हुर्रियत कांफ्रेंस के बंद ने दम दिखा ही दिया। अभी तक यही कहा जा रहा था कि लोग हुर्रियत के आह्वान को नहीं मानेंगे।
पर शनिवार को हुर्रियत कांफ्रेंस द्वारा नए भूमि कानून के खिलाफ बुलाए गए बंद की वजह से जनजीवन अस्त व्यस्त रहा। इस सप्ताह की शुरुआत में केंद्र सरकार ने जम्मू कश्मीर के भूमि कानून को बदला है। इसके अनुसार अब पूरे देश से कोई भी जाकर जम्मू-कश्मीर में उद्योग लगाने के लिए भूमि खरीद सकता है।
इस दौरान श्रीनगर में अधिकतर दुकानें, पेट्रोल पंप और अन्य व्यावसायिक संस्थान बंद रहे। पूरे शहर में यातायात व्यवस्था ठप रही, लेकिन निजी कारें, ऑटो रिक्शा कुछ इलाकों में चलती रहीं। घाटी के अन्य इलाकों से भी ऐसी ही खबरें आती रहीं।
घाटी के कुछ इलाकों में सुरक्षा की दृष्टि से अतिरिक्त सुरक्षाबल की तैनाती की गई ताकि किसी भी अप्रिय घटना से बचा जा सके। हुर्रियत ने इस बारे में कहा कि केंद्र राज्य के एक के बाद एक कानून बदलते जा रही है। जम्मू कश्मीर में शांति लाने के प्रयास के बजाय अशांति फैलाई जा रही है और केंद्र की तरफ से जबरदस्ती जम्मू कश्मीर की भौगोलिक परिस्थिति को हमेशा के लिए बदलने की कोशिश हो रही है।
कश्मीर में सार्वजनिक परिवहन भी सड़कों पर नजर नहीं आए। हालांकि निजी गाड़ियां और आटो रिक्शा कई जगहों पर चलते हुए देखे जा सकते थे। श्रीनगर के अलावा अन्य कई जिलों में भी इसी तरह का नजारा है। प्रशासन ने किसी भी प्रकार की अप्रिय घटना को रोकने के लिए भारी संख्या में पुलिस व सुरक्षाबलों के जवान तैनात किए थे। संवेदनशील क्षेत्रों में सुरक्षा अणिक मजबूत की गई थी।
हुर्रियत प्रवक्ता का कहना था कि केंद्र सरकार को चाहिए था कि वे यहां के लाखों लोगों को साथ लेकर उनकी समस्याओं का समाधान करती लेकिन ऐसा न करके सरकार कानून जबरदस्ती थोप रही है। उन्होंने इन सभी कानूनों को जम्मू कश्मीर के लोगों के खिलाफ करार दिया और कहा कि यह बंद लोगों के आक्रोश को दिखाने के लिए किया गया था। इसको देखते हुए सरकार को नए भूमि कानून को तुरंत वापिस लेना चाहिए। गौरतलब है कि नए भूमि कानूनों का कश्मीर में भारी विरोध हो रहा है। हुर्रियत के अलावा नेशनल कांफ्रेंस और पीडीपी भी विरोण कर रही है और इसे वापिस लेने की मांग कर रही है।