जम्मू-कश्मीर: 33 सालों के बाद भी कश्मीरी पंडितों की घर वापसी के लिए सुरक्षित क्षेत्रों में फ्लैट्स का सहारा

By सुरेश एस डुग्गर | Published: August 5, 2023 11:19 AM2023-08-05T11:19:00+5:302023-08-05T11:21:20+5:30

सरकार के मुताबिक, इन लोगों के लिए सरकार की ओर से फ्लैट भी बनाए जा रहे हैं। सरकार ने संसद में पूछे गए सवाल के जवाब में कहा था कि पिछले 3 सालों में 880 फ्लैट तैयार भी हो गए हैं।

Jammu and Kashmir Even after 33 years Kashmiri Pandits resort to flats in safe areas to return home | जम्मू-कश्मीर: 33 सालों के बाद भी कश्मीरी पंडितों की घर वापसी के लिए सुरक्षित क्षेत्रों में फ्लैट्स का सहारा

फोटो क्रेडिट- फाइल फोटो

श्रीनगर: कश्मीर से पलायन करने के 33 सालों के बाद भी कश्मीरी पंडितों की कश्मीर वापसी के लिए जो प्रयास किए जा रहे हैं उन्हें सुरक्षित क्षेत्रों में फ्लैट्स का ही सहारा है।

अर्थात अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद शांति लौट आने के दावों के बावजूद उनकी वापसी कहीं नहीं दिख रही है। ऐसा इसलिए है क्योंकि कश्मीर अभी भी हिंसा से जूझ रहा है जिसमें औसतन एक मौत प्रतिदिन आतंकी हिंसा में हो रही है।

कश्मीर में विस्थापित कश्मीरी पंडितों, सरकारी कर्मचारियों और अन्य नागरिकों की समस्या काफी पुरानी है। लंबे समय से प्रयास किए जा रहे हैं कि इन लोगों को फिर से कश्मीर में बसाया जाए।

सरकार के मुताबिक, इन लोगों के लिए सरकार की ओर से फ्लैट्स भी बनाए जा रहे हैं। दो दिन पहले सरकार ने संसद में पूछे गए सवाल के जवाब में कहा है कि पिछले 3 सालों में 880 फ्लैट्स तैयार भी हो गए हैं।

हालांकि फ्लैट्स उन कश्मीरी पंडितों को दिए जा रहे हैं जिनमें से अधिकतर कश्मीर में सरकारी नौकरी करने को राजी हैं। पर यह बात अलग है कि पिछले कुछ सालों में कश्मीरी पंडितों को टारगेट बना किए जाने वाले हमलों के कारण कश्मीरी पंडित इन फ्लैट्स में भी अपने आपको सुरक्षित महसूस नहीं कर पा रहे हैं।

दरअसल, कश्मीर घाटी में 1990 में हुई हिंसा के चलते हजारों लोगों को घाटी छोड़नी पड़ी थी। इसमें से ज्यादातर लोग कश्मीरी पंडित थे। बाद में केंद्र सरकार ने इन कश्मीरी पंडितों को वापस बसाने के लिए प्रधानमंत्री पुनर्वास योजना के तहत सरकारी नौकरी देनी शुरू की।

इन नौकरियों के तहत आए लोगों को काफी दिनों तक शेयरिंग वाले रूम और खराब सुविधाओं के साथ रहना पड़ता था। इसी को ध्यान में रखते हुए ट्रांजिट हाउस योजना शुरू की गई। कश्मीर में विस्थापित कश्मीरी पंडितों, सरकारी कर्मचारियों और अन्य नागरिकों की समस्या काफी पुरानी है। लंबे समय से प्रयास किए जा रहे हैं कि इन लोगों को फिर से कश्मीर में बसाया जाए।

कश्मीरी पंडितों के संगठन पनुन कश्मीर के नेताओं के बकौल, कश्मीर अभी भी असुरक्षित है। दावे चाहे जितने भी करें सुरक्षित माहौल नहीं दिख रहा है।

हालांकि वे वितस्ता अर्थात जेहलम के किनारे एक अन्य केंद्र शासित प्रदेश स्थापित कने की मांग लंबे अरसे से कर रहे हैं ताकि वे उसमें सुरक्षित तौर पर रह सकें पर सरकारी फ्लैट्स में भी अब भयभीत होने वाले कश्मीरी पंडितों को लगता नहीं है कि उनके लिए बसाए जाने वाला अलग शहर भी सुरक्षित हो पाएगा।

कश्मीर घाटी में सुरक्षा के हालात में सुधार के दावों के बावजूद सरकार कश्मीरी पंडितों को उनके घरों में वापस लौटाने में अक्षम साबित हुई तो उसने 6000 ट्रांजिट हाउस बनाने का काम शुरू किया है। ये घर उन कश्मीरी प्रवासियों के लिए बनाए जा रहे हैं जो घाटी में लौट रहे हैं।

पिछले 3 सालों में इस तरह के 880 फ्लैट बनाकर तैयार भी किए जा चुके हैं। बता दें कि ट्रांजिट हाउस बारामुल्ला, बांडीपोरा, गंदरबल और शोपियां में बनाए जा रहे हैं।

सरकार के मुताबिक, इन लोगों के लिए सरकार की ओर से फ्लैट भी बनाए जा रहे हैं। सरकार ने संसद में पूछे गए सवाल के जवाब में कहा था कि पिछले 3 सालों में 880 फ्लैट तैयार भी हो गए हैं।

Web Title: Jammu and Kashmir Even after 33 years Kashmiri Pandits resort to flats in safe areas to return home

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