मुठभेड़स्थलों से मिलने वाले बम कहर बरपा रहे कश्मीर में, 14 सालों में 300 की मौत, कई जख्मी

By सुरेश एस डुग्गर | Updated: September 25, 2020 17:45 IST2020-09-25T17:45:19+5:302020-09-25T17:45:19+5:30

मुठभेड़ों के बाद पीछे छूटे गोला-बारूद को एकत्र करने की होड़ में मासूम कश्मीरी मारे जा रहे हों बल्कि पिछले 14 सालों के भीतर ऐसे विस्फोट 300 के करीब जानें ले चुके हैं जबकि कई जख्मी हो चुके हैं और कई जिन्दगी और मौत से जूझ रहे हैं।

Jammu and Kashmir Bomb ravaged encounter sites 300 killed in 14 years, many injured | मुठभेड़स्थलों से मिलने वाले बम कहर बरपा रहे कश्मीर में, 14 सालों में 300 की मौत, कई जख्मी

14 सालों के अरसे के भीतर ऐसे विस्फोटों में मरने वाले अधिकतर बच्चे ही थे।

Highlightsगोला-बारूद में विस्फोट होने पर जख्मी हुए चार नागरिक जिन्दगी और मौत से जूझ रहे हैं।कुछ दिन पहले पुलवामा में एक मुठभेड़स्थल से मिले विस्फोट में हुए धमाके में 6 लोग जख्मी हो गए थे।युवक और महिलाएं भी इसलिए मारी गईं क्योंकि बच्चे मुठभेड़स्थलों से उठा कर लाए गए बमों को तोड़ने का असफल प्रयास घरों के भीतर कर रहे थे।

जम्मूः आज अनंतनाग के बिजबिहाड़ा के सिरहामा में मुठभेड़स्थल पर मिले गोला-बारूद में विस्फोट होने पर जख्मी हुए चार नागरिक जिन्दगी और मौत से जूझ रहे हैं।

इसी तरह से कुछ दिन पहले पुलवामा में एक मुठभेड़स्थल से मिले विस्फोट में हुए धमाके में 6 लोग जख्मी हो गए थे। उससे पहले त्राल में इस प्रकार के एक विस्फोट ने दो मासूमों की जान ले ली थी। यह कोई पहला अवसर नहीं था कि आतंकियों के साथ होने वाली मुठभेड़ों के बाद पीछे छूटे गोला-बारूद को एकत्र करने की होड़ में मासूम कश्मीरी मारे जा रहे हों बल्कि पिछले 14 सालों के भीतर ऐसे विस्फोट 300 के करीब जानें ले चुके हैं जबकि कई जख्मी हो चुके हैं और कई जिन्दगी और मौत से जूझ रहे हैं।

14 सालों के अरसे के भीतर ऐसे विस्फोटों में मरने वाले अधिकतर बच्चे ही थे। कुछेक युवक और महिलाएं भी इसलिए मारी गईं क्योंकि बच्चे मुठभेड़स्थलों से उठा कर लाए गए बमों को तोड़ने का असफल प्रयास घरों के भीतर कर रहे थे। ऐसे विस्फोटों ने न सिर्फ मासूमों को लील लिया बल्कि कई आज भी उस दिन को याद कर सिंहर उठते हैं जब उनके द्वारा उठा कर लाए गए बमों ने उन्हें अपंग बना दिया था

हालांकि सुरक्षाबलों की ओर से यह स्पष्ट हिदायत दी जाती रही है कि कोई भी नागरिक मुठभेड़स्थलों की ओर तब तक न जाएं जब तक विश्ोषज्ञों द्वारा उन स्थानों को सुरक्षित करार न दे दिया जाए जहां मुठभेड़ें होती हैं। पर इन हिदायतों पर कोई अमल नहीं करता।

नतीजा सामने है। 14 सालों के भीतर 300 से अधिक लोगों की जानें वे बम और गोला-बारूद ले चुके हैं जो मुठभेड़स्थलों के मलबे में आतंकियों द्वारा छोड़ दिया गया होता है या फिर सुरक्षाबलों की ओर से दागे जाने वाले मोर्टार के गोले मिस फायर होते हैं।

कभी सुरक्षाबलों का गोला-बारूद भी मुठभेड़स्थलों पर छूट जाता है। हालत यह है कि कश्मीर के हर कस्बे में बीसियों ऐसे मुठभेड़स्थल हैं जिनके मलबे से निकलने वाले विस्फोटक कई महीनों के बाद भी नागरिकों के लिए खतरा बन कर सामने आ रहे हैं। दरअसल इन मुठभेड़स्थलों के मलबे को कई-कई महीने नहीं हटाया जाता और मासूम बच्चे उनमें से कबाड़ बीनने के चक्कर में अक्सर मौत बीन लेते हैं।

Web Title: Jammu and Kashmir Bomb ravaged encounter sites 300 killed in 14 years, many injured

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