जम्मू-कश्मीर: भयानक सर्दी में भी एलओसी पर डटी है सेना, कम बर्फबारी के कारण आतंकी घुसपैठ का खतरा बरकरार इसलिए सैनिक वापस नहीं बुलाए गए

By शिवेन्द्र कुमार राय | Published: January 30, 2024 11:12 AM2024-01-30T11:12:09+5:302024-01-30T11:14:54+5:30

अपनी शीतकालीन रणनीति के हिस्से के रूप में, आमतौर पर एलओसी के पास तैनात कुछ सैनिकों को वापस बुला लेती है और उन्हें भीतरी इलाकों में आतंकवाद विरोधी अभियानों में लगा देती है। लेकिन इस साल ऐसा नहीं हुआ है।

Jammu and Kashmir Army stands firm on LOC even in severe winter threat of terrorist infiltration due to less snowfall | जम्मू-कश्मीर: भयानक सर्दी में भी एलओसी पर डटी है सेना, कम बर्फबारी के कारण आतंकी घुसपैठ का खतरा बरकरार इसलिए सैनिक वापस नहीं बुलाए गए

तस्वीर इंडियन आर्मी के सोशल मीडिया हैंडल से ली गई है (फाइल फोटो)

Highlightsऊंचे इलाकों में भारी बर्फबारी की कमी के कारण सेना परेशान हैबर्फबारी की कमी के कारण सर्दियों के दौरान घुसपैठ के सभी रास्ते खुले रहते हैं बर्फ की कमी ने ट्रांस-पीर पंजाल रेंज मार्गों को खुला रखा है

जम्मू-कश्मीर: कश्मीर घाटी के ऊंचे इलाकों में भारी बर्फबारी की कमी के कारण सेना परेशान है। भारी बर्फबारी की कमी के कारण सर्दियों के दौरान घुसपैठ के सभी रास्ते खुले रहते हैं और घुसपैठ की कोशिशें होती रहती हैं। इस कारण  सेना ने अपने सैनिकों को एक मजबूत घुसपैठ-रोधी ग्रिड पर तैनात करना जारी रखा है। आमतौर पर, घाटी में सर्दियों में भारी बर्फबारी होती है जिससे आवाजाही मुश्किल हो जाती है, जिससे एलओसी के पार से घुसपैठ कम हो जाती है। लेकिन इस साल ऐसा नहीं हुआ है। 

इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक खुफिया सूचनाओं में कहा गया है कि घुसपैठ के लिए बड़ी संख्या में आतंकवादी नियंत्रण रेखा (एलओसी) के पार लॉन्चपैड्स में सक्रिय बने हुए हैं। बर्फबारी के कारण पेड़ों का आवरण भी कम हो जाता है जिससे रात के दौरान भी निगरानी उपकरणों का उपयोग करके घुसपैठियों को पहचानना आसान हो जाता है। लेकिन इस साल सेना की चुनौतियां कम नहीं हुई हैं। 

सेना, अपनी शीतकालीन रणनीति के हिस्से के रूप में, आमतौर पर एलओसी के पास तैनात कुछ सैनिकों को वापस बुला लेती है और उन्हें भीतरी इलाकों में आतंकवाद विरोधी अभियानों में लगा देती है। बर्फबारी आतंकवादियों की रसद पर भी प्रतिकूल प्रभाव डालती है। सर्दियों के महीनों में आतंकवादी ऊंचाई वाले इलाकों में अपने ठिकानों से निकलकर आबादी के ठिकानों के करीब चले जाते हैं। जबकि जम्मू-कश्मीर के ऊंचे इलाकों में कम बर्फबारी हुई है लेकिन तापमान में गिरावट जारी है जिससे ऑपरेशन मुश्किल हो गया है। ऊंचे स्थानों पर सैनिकों की निरंतर तैनाती के कारण शीतकालीन अभियान प्रभावित हुए हैं। ज़ोजी ला जैसे दर्रे अभी भी आवाजाही के लिए खुले हैं। बर्फ की कमी ने ट्रांस-पीर पंजाल रेंज मार्गों को खुला रखा है। पुंछ-राजौरी बेल्ट से घाटी तक पहुंचने वाले मार्गों वाली  पर्वत श्रृंखला पर सैनिकों को तैनात रखने की आवश्यकता बढ़ गई है। 

बता दें कि 2023 में जम्मू-कश्मीर में कुल 71 आतंकवादी मारे गए, जिनमें घाटी में 52 शामिल थे। घाटी में स्थिति सामान्य हो रही है लेकिन आतंकवादी समूह  राजौरी-पुंछ बेल्ट में सक्रिय हो रहे हैं। पीर पंजाल रेंज के दक्षिण के इलाकों में आतंकवादी घटनाएं देखी गई हैं। पिछले तीन साल के आधिकारिक आंकड़े भी यही दर्शाते हैं। इस दौरान जहां कश्मीर में सात सैनिकों ने जान गंवाई 
वहीं पिछले तीन वर्षों में राजौरी-पुंछ बेल्ट में घात लगाकर किए गए हमलों में 20 सैनिक मारे गए।

हालांकि  सुरक्षा बलों के सफल अभियानों के कारण सर्दियों के बाद घाटी में आतंकवादियों की संख्या में उल्लेखनीय कमी आई है। सुरक्षा बल अब गर्मियों के दौरान आतंकवादी गतिविधियों के बढ़ते स्तर से निपटने की तैयारी कर रहे हैं।

Web Title: Jammu and Kashmir Army stands firm on LOC even in severe winter threat of terrorist infiltration due to less snowfall

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