जमीयत उलेमा-ए-हिंद के प्रमुख मौलाना महमूद मदनी के 'जिहाद' वाले बयान को लेकर बिहार में गरमायी सियासत, राज्यपाल ने भी जताया कड़ा एतराज
By एस पी सिन्हा | Updated: November 30, 2025 16:59 IST2025-11-30T16:54:52+5:302025-11-30T16:59:51+5:30
बिहार के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद ख़ान ने कहा कि किसी भी गरीब, कमजोर या सताए हुए इंसान की मदद करना और उसके अधिकारों के लिए खड़ा होना ही असली जिहाद है।

जमीयत उलेमा-ए-हिंद के प्रमुख मौलाना महमूद मदनी के 'जिहाद' वाले बयान को लेकर बिहार में गरमायी सियासत, राज्यपाल ने भी जताया कड़ा एतराज
पटना: जमीयत उलेमा-ए-हिंद के प्रमुख मौलाना महमूद मदनी के 'जिहाद' वाले विवादित बयान को लेकर बिहार में सियासत गर्मा गई है। यहां तक कि बिहार के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने भी मौलाना महमूद मदनी के बयान पर कड़ा एतराज जताया है। उन्होंने कहा कि जिहाद का गलत अर्थ बताकर लोगों में भ्रम फैलाया जा रहा है, जबकि इस्लाम में जिहाद का मतलब अत्याचार और अन्याय के खिलाफ आवाज उठाना होता है। राज्यपाल ने कहा कि किसी भी गरीब, कमजोर या सताए हुए इंसान की मदद करना और उसके अधिकारों के लिए खड़ा होना ही असली जिहाद है।
उन्होंने कहा कि यदि किसी इंसान पर जुल्म हो रहा है और आप उसकी सहायता करते हैं, तो यही कुरान में जिहाद की सही परिभाषा है। आरिफ मोहम्मद खान ने देवबंद में पढ़ाई जाने वाली कुछ पुस्तकों को लेकर भी आपत्ति जाहिर करते हुए दावा किया कि वहां बच्चों को शरीयत में जिहाद की अलग परिभाषा बताई जाती है कि यदि कोई व्यक्ति इस्लाम को न माने तो उसके खिलाफ लड़ना जिहाद माना जाता है।
उन्होंने कहा यह किताब उनकी है, मेरी नहीं। कुरान जबरन धर्म परिवर्तन की बात नहीं करता। जिहाद का मतलब इंसानियत की रक्षा है। राज्यपाल ने कहा कि यदि मदनी साहब मानते हैं कि उत्पीड़न के खिलाफ संघर्ष ही जिहाद है, तो उन्हें वह समय याद करना चाहिए जब कश्मीरी पंडितों को अपने घर छोड़ने पर मजबूर किया गया था। अगर यह असली जिहाद है, तो ऐसे समय में सबसे पहले मौलाना मदनी को ही कश्मीर जाना चाहिए था।
आरिफ मोहम्मद खान से जब चुनाव आयोग के एसआईआर को लेकर सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा कि यह पूरी तकनीकी प्रक्रिया है। यदि किसी को आपत्ति होती तो वह लिखित शिकायत देता। बिहार चुनाव खत्म हो गया। किसी एक व्यक्ति ने भी आपत्ति दर्ज नहीं कराई। वहीं, दिल्ली में हुए आतंकी मामले में डॉक्टरों के नाम सामने आने पर उन्होंने कहा कि यह उसी शिक्षा पद्धति की बीमारी है, जिसमें गलत सोच पैदा की जाती है। आरिफ मोहम्मद खान के अनुसार असली जिहाद किसके लिए खड़ा होना है, एक-राजनीतिक सत्ता के लिए, दो- धर्म परिवर्तन के लिए, तीन-गरीब, कमजोर या सताए हुए इंसान के अधिकारों के लिए और चाएअ-धार्मिक प्रचार के लिए।
वहीं, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष एवं राज्य के उद्योग मंत्री दिलीप जायसवाल ने मौलाना महमूद मदनी के 'जिहाद' वाले विवादित बयान पर हमला बोलते हुए कहा कि मौलाना मदनी की इस देश को जरूरत नहीं है। दरअसल, मौलाना मदनी ने कहा था कि "लव जिहाद, लैंड जिहाद, थूक जिहाद जैसे शब्द मुसलमानों को बदनाम करने के लिए गढ़े गए हैं। इस्लाम में जिहाद का मतलब अन्याय और ज़ुल्म के खिलाफ संघर्ष है। जब-जब जुल्म होगा, तब-तब जिहाद होगा।
उन्होंने कहा कि मौलाना मदनी जैसे लोगों और उनकी भाषा की इस देश में कोई जरूरत नहीं है। भारत अमन-चैन, भाईचारे और सबका साथ सबका विकास का देश है। हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई सभी एक परिवार की तरह रहते हैं, इसलिए जिहादी भाषा बोलने वालों को देश की जनता कभी पसंद नहीं करती। दिलीप जायसवाल ने कहा कि ऐसे लोगों को अपनी भाषा पर लगाम लगानी चाहिए और इस तरह की बयानबाजी पर गंभीरता से सोचना चाहिए।
इसके साथ ही दिलीप जायसवाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘मन की बात’ कार्यक्रम का उल्लेख करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री ने आज देशवासियों से कई प्रेरक बातें साझा कीं। उन्होंने कश्मीर में मधुमक्खी पालन, वन तुलसी से शहद उत्पादन, भारतीय नौसेना की बहादुरी, लोकल फॉर वोकल अभियान और भारतीय खिलाड़ियों की उपलब्धियों पर विशेष चर्चा की। जायसवाल ने कहा कि प्रधानमंत्री का संबोधन हमेशा प्रेरणादायक होता है और देश के कोने-कोने की सकारात्मक कहानियों को सामने लाता है।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री जब विदेश जाते हैं तो भारतीय कलाकृतियों को उपहार में देकर देश की पहचान को मजबूत करते हैं। उल्लेखनीय है कि भोपाल में जमीयत उलेमा-ए-हिंद के गवर्निंग बॉडी बैठक में सदर मौलाना महमूद असद मदनी ने विवादित बयान दिया था। उन्होंने कहा कि ‘लव-जिहाद, लैंड-जिहाद, थूक-जिहाद’ जैसे शब्द इस्लाम को बदनाम करने की साजिश हैं। मदनी ने दावा किया कि जिहाद एक पवित्र कर्तव्य है और अन्याय के खिलाफ आवाज है।