छात्रों पर हमला मामले में पुलिस के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की जामिया की याचिका खारिज

By भाषा | Updated: February 3, 2021 22:27 IST2021-02-03T22:27:53+5:302021-02-03T22:27:53+5:30

Jamia's petition to file FIR against police in case of assault on students dismissed | छात्रों पर हमला मामले में पुलिस के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की जामिया की याचिका खारिज

छात्रों पर हमला मामले में पुलिस के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की जामिया की याचिका खारिज

नयी दिल्ली, तीन फरवरी दिल्ली की एक अदालत ने जामिया मिल्लिया इस्लामिया की उसके परिसर में बिना अनुमति के दाखिल होने और छात्रों एवं सुरक्षा गार्डों पर हमला करने के आरोप में दिल्ली पुलिस अधिकारियों पर प्राथमिकी दर्ज करने का अनुरोध करने वाली याचिका को बुधवार को खारिज कर दिया।

यह मामला नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के खिलाफ दिसंबर 2019 में एक प्रदर्शन के दौरान का है।

मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट रजत गोयल ने कहा कि पुलिस अधिकारियों द्वारा किया गया कथित कृत्य कर्तव्यों के आधिकारिक निर्वहन में किए गए कृत्यों के दायरे में आता हैं और उन पर मुकदमा चलाने के लिए संबंधित अधिकारियों से जरूरी मंजूरी लेनी होगी।

अदालत ने कहा, “ उच्चतम न्यायालय द्वारा तय कानून के अनुसार, अधिकार क्षेत्र का इस्तेमाल करने से पहले भी जरूरी मंजूरी होनी चाहिए। इसके मद्देनजर, मौजूदा आवेदन को मंजूरी बिना अनुमति नहीं दी जा सकती है।“

आवेदन में पुलिस अधिकारियों पर प्राथमिकी दर्ज करने की गुजारिश की गई है और दावा किया गया है कि 15 दिसंबर 2019 को पुलिस अधिकारियों ने विभिन्न अत्याचार किए हैं जिसमें सार्वजनिक/विश्वविद्यालय की संपत्ति में तोड़फोड़ करना और असहाय छात्रों पर बल का गैर जरूरी इस्तेमाल करना शामिल है। ये छात्र शांतिपूर्ण प्रदर्शन के अपने अधिकार का इस्तेमाल कर रहे थे।

अदालत के आदेश पर दायर की गई कार्रवाई रिपोर्ट में पुलिस ने दावा किया था कि प्रदर्शनकारियों ने कई गाड़ियों को आग लगा दी थी और विश्वविद्यालय परिसर में घुस गए, पुलिस पर पथराव करने लगे और भड़काऊ नारे लगाने लगे।

रिपोर्ट में कहा गया था, “ कानून एवं व्यवस्था की स्थिति बनाए रखने के लिए पुलिस को विश्वविद्यालय परिसर में घुसना पड़ा और कुछ व्यक्तियों को हिरासत में लेकर भीड़ को नियंत्रित करना पड़ा।“

मामले में जामिया का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील असगर खान और तारिक नासिर ने कहा कि वह आदेश के खिलाफ उच्च अदालत में पुनर्निरीक्षण याचिका दायर करेंगे।

अदालत ने अपने आदेश में कहा कि इस मामले की तथ्यात्मक पृष्ठभूमि से स्पष्ट था कि कुछ प्रदर्शन हिंसक हो गए थे और पुलिस कर्मी उस समय प्रदर्शन को नियंत्रित करने के लिए काम कर रहे थे ताकि हिंसा रोकी जा सके और कानून एवं व्यवस्था की स्थिति को और खराब होने से रोका जा सके।

न्यायाधीश ने कहा कि यह दलील जा सकती है कि कार्रवाई करते हुए पुलिस/प्रतिवादी ने कथित रूप से अपने अधिकार क्षेत्र को पार किया और कहीं-कहीं जरूरत से ज्यादा बल का इस्तेमाल किया जबकि यह नहीं कहा जा सकता है कि प्रतिवादियों द्वारा कथित रूप से किए गए उक्त कृत्य का संबंध उनकी आधिकारिक ड्यूटी से नहीं था।

न्यायाधीश ने कहा कि इसी तरह से यह भी दलील दी जा सकती है कि प्रतिवादी (पुलिस) स्थिति से शायद बेहतर तरीके से निपट सकते थे और शांतिपूर्ण छात्र प्रदर्शनकारियों और असामाजिक तत्वों जिन्होंने पूरे आंदोलन पर कब्जा करने की कोशिश की, में अंतर करने के लिए पुलिस को कुछ संयम का प्रदर्शन करना चाहिए था।

उन्होंने कहा कि पुलिस द्वारा संयम का प्रदर्शन नहीं करने और स्थिति को नियंत्रित करने की कोशिश में अत्याधिक बल का इस्तेमाल करना आधिकारिक ड्यूटी से संबंधित है।

न्यायाधीश ने कहा कि इस अदालत को यह कहने में कोई संकोच नहीं है कि पुलिस द्वारा कथित रूप से किया गया कृत्य सीआरपीसी की धारा 197 के दायरे में आता है और यह आधिकारिक ड्यूटी करने के लिए दौरान किया गया है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

Web Title: Jamia's petition to file FIR against police in case of assault on students dismissed

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे