जयराम रमेश ने ईपीएफ निपटारे में हो रही वृद्धि पर केंद्र की आलोचना करके हुए कहा, "महिलाएं नौकरी के बाजार से बाहर हैं, युवा बेरोजगार हैं, किसानों को उपज का पर्याप्त मूल्य नहीं मिल रहा है"
By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: March 1, 2024 01:05 PM2024-03-01T13:05:19+5:302024-03-01T13:14:24+5:30
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कर्मचारी भविष्य निधि अंतिम निपटान की अस्वीकृति दरों में कथित वृद्धि पर केंद्र की जमकर आलोचना की।
![Jairam Ramesh criticized the Center over the increase in EPF settlements, saying, "Women are out of the job market, youth are unemployed, farmers are not getting adequate price for their produce" | जयराम रमेश ने ईपीएफ निपटारे में हो रही वृद्धि पर केंद्र की आलोचना करके हुए कहा, "महिलाएं नौकरी के बाजार से बाहर हैं, युवा बेरोजगार हैं, किसानों को उपज का पर्याप्त मूल्य नहीं मिल रहा है" Jairam Ramesh criticized the Center over the increase in EPF settlements, saying, "Women are out of the job market, youth are unemployed, farmers are not getting adequate price for their produce" | जयराम रमेश ने ईपीएफ निपटारे में हो रही वृद्धि पर केंद्र की आलोचना करके हुए कहा, "महिलाएं नौकरी के बाजार से बाहर हैं, युवा बेरोजगार हैं, किसानों को उपज का पर्याप्त मूल्य नहीं मिल रहा है"](https://d3pc1xvrcw35tl.cloudfront.net/sm/images/420x315/jairam-ramesh_20180419688.jpg)
फाइल फोटो
नई दिल्ली: कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कर्मचारी भविष्य निधि अंतिम निपटान की अस्वीकृति दरों में कथित वृद्धि पर शुक्रवार को केंद्र की आलोचना की और दावा किया कि पिछले 10 वर्षों के "अन्य काल" की परिभाषित विशेषता के कारण किसी भी समुदाय को उसका पूरा हक नहीं मिल सका है।
सोशल प्लेटफॉर्म एक्स पर किये पोस्ट में जयराम रमेश ने कहा, "पिछले दस वर्षों के 'अन्य-काल' की परिभाषित विशेषता यह रही है कि इसके कारण कोई भी समुदाय अपना पूरा हक पाने में सक्षम नहीं हुआ। महिलाएं नौकरी के बाजार से बाहर रह गई हैं, युवा रोजगार खोजने में असमर्थ हैं और किसान अपनी उपज का पर्याप्त मूल्य पाने में असमर्थ हैं।"
पिछले 10 साल के अन्याय-काल को इससे समझा जा सकता है कि इसमें किसी भी समुदाय को उसका पूरा हक़ नहीं मिला है। महिलाएं जॉब मार्केट से बाहर हो गई हैं। युवाओं को रोज़गार नहीं मिल रहा है। किसान अपने फ़सल की पर्याप्त क़ीमतें पाने में असमर्थ हैं।
— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) March 1, 2024
यहां तक कि श्रमिक, जो मजदूरी करके अपना…
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने एक्स एक रिपोर्ट साझा किया है, जिसमें दावा किया गया कि ईपीएफ अंतिम निपटान की अस्वीकृति दर 2017-2018 में लगभग 13 प्रतिशत से बढ़कर 2022-2023 में 34 प्रतिशत हो गई है।
उन्होंने कहा, "यहां तक कि श्रमिक, जो मजदूरी के माध्यम से अपना जीवन यापन करता है। वह भी अपनी कमाई तक पहुंचने में असमर्थ है। ईपीएफओ सरकार द्वारा संचालित वह संगठन जो भारत के श्रमिकों के लिए भविष्य निधि का प्रबंधन करता है। उसने भविष्य निधि (पीएफ) दावों के अंतिम निपटान में अस्वीकृति दरों में तेज वृद्धि देखी है। पीएफ के अंतिम निपटान के लिए लगभग तीन में से एक दावा अब खारिज कर दिया गया है। प्रत्येक अस्वीकृति हमारे कामकाजी परिवारों के चेहरे पर एक तमाचा है और एक यह उनके लिए अत्यधिक तनाव और पीड़ा का कारण है।"
उन्होंने आगे कहा कि पीएम दावों को संसाधित करने के लिए ऑनलाइन प्रणाली में कुप्रबंधित बदलाव इस इनकार का प्रमुख कारण हो सकता है।
जयराम रमेश ने कहा, "ईपीएफओ की असंवेदनशील और नौकरशाही नीतियों के कारण कम से कम एक सेवानिवृत्त कर्मचारी को आत्महत्या करने के लिए प्रेरित किया गया है। कांग्रेस के पांच न्याय एजेंडे में श्रमिक न्याय एक मूल सिद्धांत है, जो यह सुनिश्चित करेगा कि किसी भी कर्मचारी या उनके परिवार को कभी भी पेंशन से वंचित नहीं किया जाएगा। उनके श्रम का पूरा हक मिले।''
मालूम हो कि ईपीएफओ एक सामाजिक सुरक्षा संगठन है, जो देश के संगठित कार्यबल को भविष्य, पेंशन और बीमा निधि के रूप में सामाजिक सुरक्षा लाभ प्रदान करने के लिए जिम्मेदार है।