Bisalpur Dam: राजस्थान का बीसलपुर बांध आज सबसे बड़े बांधों में शुमार है। 90 लाख लोगों की लाइफलाइन बना यह बांध टोंक, जयपुर, अजमेर, सवाई माधोपुर और दौसा जिलों के 571 गांवों और शहरों का जलापूर्ति स्रोत है।
बांध का करीब 925 एमएलडी जल इन क्षेत्रों को सप्लाई किया जा रहा है। चूंकि बांध की भराव क्षमता 315.50 आरएल मीटर है। किंतु पानी की कमी के चलते बांध में 305 से 311 आरएल मीटर जल ही है। बांध की दोनों नदियों द्वारा टोंक के करीब 81,800 हेक्टेयर भूमि के सिंचाई का कार्य किया जाता है, जिससे इस क्षेत्र के 256 गांवों के किसानों की सकारात्मक दिशा में कायापलट हुई है।
1999 में बनास नदी पर बीसलपुर बांध का निर्माण किया गया। पिछले 22 वर्षों में बांध पानी से वर्ष 2004, 2006, 2014, 2016 और 2019 में लबालब भरा रहा है। राजस्थान में वर्षा जल की कमी के साथ विभिन्न क्षेत्रों में लोगों को पानी उपलब्ध कराते हुये अत्यधिक गर्मी के बीच वर्ष 2019 के बाद से बीसलपुर बांध के जलग्रहण क्षेत्र में पानी की कमी होनी शुरू हो गयी है।
पिछले दो वर्षों में टोंक के गांवों में सिंचाई के लिये बांध से पानी भी नहीं मिल पा रहा है। हर दिन बांध के जलस्तर में 3 से 4 सेमी की कमी देखी जा सकती है। अभी बांध का जल कुल भराव का 34 प्रतिशत ही है। इसे देखते हुये लगता है आने वाले समय में लोगों को जल की भारी कमी पड़ सकती है।
राजस्थान सरकार और जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग ने इन परिस्थितियों को देखते हुये कम बारिश की स्थिति में भी बीसलपुर बांध और साथ ही सवाई माधोपुर और टोंक क्षेत्रों में बने ईसरदा बांध में जल की पर्याप्त मात्रा में उपलब्धता बनाये रखने के लिये ईस्टर्न राजस्थान कैनाल प्रोजेक्ट की शुरुआत की है।
इस प्रोजेक्ट के लिये 9,600 करोड़ रुपयों को इस बजट में आवंटित किया जा चुका है। अभी तक प्रोजेक्ट पर एक हजार करोड़ रुपये खर्च किये जा चुके हैं। प्रोजेक्ट के माध्यम से काली सिंध और कोटा की चंबल नदियों का जल लाकर बीसलपुर और ईसरदा बांधों में डाला जायेगा।
ईस्टर्न राजस्थान कैनाल प्रोजेक्ट को राष्ट्रीय दर्जा दिलाने के लिये राजस्थान सरकार ने प्रोजेक्ट के अंतर्गत आने वाले क्षेत्रों में परिवर्तन कर इसका दायरा बढ़ाया है। पहले जहां कोटा के नवनेरा बैराज को ही इस प्रोजेक्ट के अंतर्गत रखा गया था वहीं अब इसका क्षेत्र बढ़ाते हुये बारां में महलपुर और रामगढ़ बैराज के निर्माण को भी शामिल किया गया है।
इसी कड़ी में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने केंद्र से गुहार की है कि इस प्रोजेक्ट को राष्ट्रीय दर्जा दिया जाये। यह ज्ञातव्य है कि काफी लंबे समय तक कोटा की चंबल नदी पूर्वी या ईस्टर्न राजस्थान की बेहद महत्वपूर्ण जल स्रोत हुआ करती थी जो राज्य भर के प्रतिदिन पानी और सिंचाई की जरूरतों को पूरी करती आयी है।
ईस्टर्न राजस्थान कैनाल प्रोजेक्ट के अंतर्गत बारां में महलपुर और रामगढ़ बैराज का निर्माण किया जायेगा। यहां से कोटा के नवनेरा बैराज को पानी जायेगा। इस बैराज का निर्माण कार्य शुरू हो चुका है और इसको पूरा करने के लिये सरकार द्वारा 600 करोड़ रुपयों के खर्चे की मंजूरी दी जा चुकी है।
इस बांध से पानी का प्रवाह चाकन बांध, टोंक के कुमहरिया और गलवा बांधों की ओर होगा। अंत में पानी को बीसलपुर और ईसरदा बांधों में डाला जायेगा। इसी तरह चंबल नदी के जल को पाइपलाइन के माध्यम से बीसलपुर और ईसरदा बांधों में डाला जायेगा। इस तरह लाखों लोगों की लाइफलाइन रहा बीसलपुर बांध आज जलापूर्ति के लिये चंबल और कालीसिंध नदियों के पानी पर निर्भर है।