नई दिल्लीः पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ आगामी छह अगस्त को होने वाले उपराष्ट्रपति चुनाव में एनडीए के उम्मीदवार होंगे। पीएम नरेंद्र मोदी ने बधाई दी। पीएम ने ट्वीट कर कहा कि गर्व के है कि जगदीप धनखड़ हमारे उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार होंगे।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि जगदीप धनखड़ ने हमेशा किसानों, युवाओं, महिलाओं और हाशिये पर मौजूद तबकों के लिए काम किया है। धनखड़ को संविधान का अच्छा ज्ञान है, उन्हें विधायी कामकाज की भी अच्छी-खासी जानकारी है, वह राज्यसभा के शानदार सभापति होंगे।
पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ के NDA के उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के रूप में चुने जाने के बाद PM नरेंद्र मोदी ने ट्वीट किया, "मुझे यकीन है कि वे राज्यसभा में उत्कृष्ट अध्यक्ष होंगे और राष्ट्रीय प्रगति को आगे बढ़ाने के उद्देश्य से सदन की कार्यवाही का मार्गदर्शन करेंगे।"
जगदीप धनखड़ को भाजपा ने ‘‘किसान पुत्र’’ करार दिया है जो पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की आलोचना करने को लेकर अक्सर सुर्खियों में रहे हैं। पश्चिम बंगाल के राज्यपाल के रूप में अपनी मौजूदा भूमिका से पहले 71 वर्षीय धनखड़ एक प्रसिद्ध वकील रहे हैं। उन्होंने राजस्थान में जाट समुदाय को अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) का दर्जा दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
आधिकारिक जानकारियों के अनुसार, जब धनखड़ छठी कक्षा में थे, तब वह 4-5 किलोमीटर पैदल चलकर एक सरकारी स्कूल जाते थे। क्रिकेट प्रेमी होने के साथ-साथ उनका झुकाव आध्यात्मिकता की ओर भी रहा है। धनखड़ की उम्मीदवारी का यह भी मतलब है कि लोकसभा और राज्यसभा दोनों के पीठासीन अधिकारी राजस्थान से होंगे, जहां वर्तमान में कांग्रेस की सरकार है।
राजस्थान में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं। उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए उम्मीदवार के नाम की घोषणा करते हुए भाजपा अध्यक्ष जे पी नड्डा ने कहा कि धनखड़ लगभग तीन दशकों से सार्वजनिक जीवन में हैं। साथ ही, उन्होंने जाट नेता को ‘किसान पुत्र’ करार दिया। दिलचस्प बात यह है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की पिछली अखिल भारतीय बैठक भी धनखड़ के गृह जिले झुंझुनू में हुई थी।
अपने समय के अधिकांश जाट नेताओं की तरह धनखड़ भी मूल रूप से देवीलाल से जुड़े हुए थे। तब युवा वकील रहे धनखड़ का राजनीतिक सफर तब आगे बढ़ना शुरू हुआ, जब देवीलाल ने उन्हें 1989 में कांग्रेस का गढ़ रहे झुंझुनू संसदीय क्षेत्र से विपक्षी उम्मीदवार के रूप में मैदान में उतारा था और धनखड़ ने जीत दर्ज की।
धनखड़ 1990 में चंद्रशेखर के नेतृत्व वाली अल्पमत सरकार में केंद्रीय मंत्री बने। जब पी.वी. नरसिंह राव प्रधानमंत्री बने तो वह कांग्रेस में शामिल हो गए। राजस्थान की राजनीति में अशोक गहलोत का प्रभाव बढ़ने पर धनखड़ भाजपा में शामिल हो गए और कहा जाता है कि वह जल्द वसुंधरा राजे के करीबी बन गए।
धनखड़ का राजनीतिक सफर उस समय करीब एक दशक के लिए थम गया, जब उन्होंने अपने कानूनी करियर पर अधिक ध्यान केंद्रित किया। जुलाई 2019 में धनखड़ को पश्चिम बंगाल का राज्यपाल नियुक्त किया गया था और तब से राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की आलोचना करने को लेकर वह अक्सर सुर्खियों में रहे हैं।
राजस्थान में झुंझुनू जिले के एक सुदूर गांव में किसान परिवार में जन्मे धनखड़ ने अपनी स्कूली शिक्षा सैनिक स्कूल, चित्तौड़गढ़ से पूरी की। भौतिकी में स्नातक की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने राजस्थान विश्वविद्यालय से एलएलबी की उपाधि ली। धनखड़ ने राजस्थान उच्च न्यायालय और देश के उच्चतम न्यायालय, दोनों में वकालत की।
1989 के लोकसभा चुनाव में झुंझुनू से सांसद चुने जाने के बाद उन्होंने 1990 में संसदीय मामलों के राज्य मंत्री के रूप में कार्य किया। 1993 में वह अजमेर जिले के किशनगढ़ निर्वाचन क्षेत्र से राजस्थान विधानसभा पहुंचे। धनखड़ को एक खेल प्रेमी के रूप में भी जाना जाता है और वह राजस्थान ओलंपिक संघ और राजस्थान टेनिस संघ के अध्यक्ष रह चुके हैं।