भारत में आगामी 10 साल तक समान नागरिक संहिता लागू करना संभव नहीं: AIMPLB

By भाषा | Updated: August 1, 2018 02:51 IST2018-08-01T02:51:32+5:302018-08-01T02:51:32+5:30

एआईएमपीएलबी के उपाध्यक्ष सैयद जलालुद्दीन उमरी ने कहा, 'अच्छी बात यह है कि उन्होंने (चौहान) कहा कि भारत में कम से कम 10 साल के लिये समान नागरिक संहिता की कोई संभावना नहीं है।

It is not possible to implement uniform civil code in India for the next 10 years: AIMPLB | भारत में आगामी 10 साल तक समान नागरिक संहिता लागू करना संभव नहीं: AIMPLB

भारत में आगामी 10 साल तक समान नागरिक संहिता लागू करना संभव नहीं: AIMPLB

नई दिल्ली, 1 अगस्त: ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) ने मंगलवार को कहा कि विधि आयोग के प्रमुख ने उसे बताया है कि भारत में अगले 10 वर्षों तक समान नागरिक संहिता (यूसीसी) को लागू करना संभव नहीं है। मुस्लिमों से जुड़े मुद्दों पर निर्णय करने वाले शीर्ष निकाय एआईएमपीएलबी के एक प्रतिनिधिमंडल ने आज विधि आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) बी एस चौहान से मुलाकात की और उन्हें समान नागरिक संहिता (यूसीसी) पर उसके प्रबल विरोध से अवगत कराया। एआईएमपीएलबी के सदस्यों ने बैठक के बाद यह जानकारी दी।

एआईएमपीएलबी सदस्य एस क्यू आर इलियास ने संवाददाताओं को बताया कि बोर्ड ने चौहान को यह भी साफ कर दिया कि वह मुस्लिम पर्सनल लॉ में किसी भी बदलाव को स्वीकार नहीं करेगी क्योंकि यह ‘ईश्वरीय’ और धर्मग्रंथों पर आधारित है।समान नागरिक संहिता को लागू करना भाजपा के प्रमुख मुद्दों में से एक है। विधि आयोग इसपर सभी राजनैतिक दलों की राय ले रहा है। इसके जरिये विभिन्न धर्मों के पर्सनल लॉ की जगह समान नियमों को लाया जाएगा जो सभी नागरिकों पर लागू होंगे।

एआईएमपीएलबी के उपाध्यक्ष सैयद जलालुद्दीन उमरी ने कहा, 'अच्छी बात यह है कि उन्होंने (चौहान) कहा कि भारत में कम से कम 10 साल के लिये समान नागरिक संहिता की कोई संभावना नहीं है।' उन्होंने कहा, 'हमने कहा कि न सिर्फ अगले 10 साल के लिये बल्कि इस पर विचार ही नहीं किया जाना चाहिये।' उन्होंने कहा कि चौहान ने इस बात पर टिप्पणी नहीं की कि एमआईएमपीएलबी का रुख सही है या नहीं, लेकिन बैठक के दौरान यह बात सामने आई कि मौजूदा परिस्थितियों में यह संभव नहीं है।

एआईएमपीएलबी ने कहा कि विधि आयोग के अध्यक्ष ने गत मई में इससे पहले की बैठक में संकेत दिया था कि इस समय यूसीसी पर काम करना सही नहीं है।हालांकि, उसने कहा कि चौहान ने संकेत दिया कि शीघ्र विभिन्न धर्मों के धार्मिक सिद्धांतों की पृष्ठभूमि में दीवानी कानूनों में सुधार के प्रस्ताव पर आगे कदम बढ़ाया जाएगा। इसे विधि आयोग ‘अच्छा और वाजिब’ मानता है। वक्तव्य में कहा गया है, ‘‘बोर्ड ने आयोग से साफ तौर पर कहा कि वह इस प्रस्ताव से सहमत नहीं है।’’ 

इलियास ने कहा कि आयोग की तरफ से मुस्लिम पर्सनल लॉ की कुछ अच्छी बातों को हिंदू पर्सनल लॉ में और हिंदू पर्सनल लॉ की कुछ अच्छी बातों को मुस्लिम पर्सनल लॉ में शामिल करने की संभावना तलाशने का सुझाव था। उन्होंने कहा कि बोर्ड के महासचिव मोहम्मद वली रहमानी का लिखा पत्र जो चौहान को सौंपा गया, उसमें साफ किया गया है कि जहां तक मुस्लिम पर्सनल लॉ का सवाल है तो यह ‘ईश्वरीय’ है और धर्मग्रंथों पर आधारित है और इसमें कोई भी बदलाव स्वीकार्य नहीं है। इलियास ने कहा कि गोद लेने, संपत्ति पर महिलाओं के अधिकार और ‘मॉडल निकाहनामा’ जैसे मुस्लिम पर्सनल लॉ के मुद्दों पर भी चर्चा हुई।

Web Title: It is not possible to implement uniform civil code in India for the next 10 years: AIMPLB

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