चंद्रमा की सतह पर दिखा यह सबकुछ, ISRO ने जारी की 'चंद्रयान 2' से ली गई पहली तस्वीर
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: August 22, 2019 08:57 PM2019-08-22T20:57:28+5:302019-08-22T21:00:08+5:30
इसरो ने चंद्रयान 2 से ली गई चंद्रमा की तस्वीर जारी की है। इस तस्वीर में चंद्रमा की सतह पर बड़े-बड़े गड्ढे दिखाई दे रहे हैं। इस मिशन में साथ गए लैंडर ‘विक्रम’ की चांद की सतह पर ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ सात सितंबर को तड़के कराई जाएगी।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने 'चंद्रयान 2' से ली गई चंद्रमा की तस्वीर जारी की है। चंद्रयान 2 के विक्रम लैंडर ने चांद की सतह से करीब 2650 किलोमीटर की ऊंचाई से बुधवार (21 अगस्त) को तस्वीर ली। तस्वीर में केवल ओरिएंटल बेसिन और अपोलो क्रेटर्स की पहचान की जा रही है।
बता दें कि इसरो अध्यक्ष के. सिवन ने गुरुवार को कहा कि वर्तमान में चांद की कक्षा में चक्कर लगा रहे ‘चंद्रयान-2’ के साथ गए लैंडर ‘विक्रम’ की चांद की सतह पर ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ सात सितंबर को तड़के कराई जाएगी।
सिवन ने संवाददाताओं से कहा कि बेंगलुरु में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के वैज्ञानिक इस प्रक्रिया में शामिल होंगे। सात सितंबर को तड़के एक बजकर 55 मिनट तक यह प्रक्रिया पूरी हो जाने की उम्मीद है। उन्होंने कहा, ‘‘इसके रात लगभग 1.40 बजे सॉफ्ट लैंडिंग (चांद की सतह पर) करने और रात 1.55 बजे तक पूरा हो जाने की उम्मीद है। वैश्विक स्तर पर यह एक महत्वपूर्ण मिशन है। हर किसी ने बड़ी उत्सुकता से इस पर नजरें टिका रखी हैं।’’
ISRO: First Moon image captured by #Chandrayaan2#VikramLander taken at a height of about 2650 km from Lunar surface on August 21, 2019. Mare Orientale basin and Apollo craters are identified in the picture. pic.twitter.com/eKTncvjexT
— ANI (@ANI) August 22, 2019
मिशन के इस चरण की जटिलता के बारे में सिवन ने कहा कि अंतरिक्ष यान की गति को ‘‘शून्य’’ तक लाए जाने की जरूरत होगी। चंद्रयान-2 गत 20 अगस्त को चांद की कक्षा में सफलतापूर्वक प्रवेश कर गया था। बुधवार को इसे दूसरी बार चांद की कक्षा में आगे बढ़ाने की प्रक्रिया को अंजाम दिया गया था। यान को चांद की सतह से लगभग 100 किलोमीटर की दूरी पर चंद्र ध्रुवों के ऊपर से गुजरती अंतिम कक्षा में पहुंचाने के लिए अभी इस तरह की तीन और प्रक्रियाओं को अंजाम दिया जाएगा।
इसरो ने कहा कि इसके बाद दो सितंबर को लैंडर ऑर्बिटर से अलग हो जाएगा और चांद के इर्द-गिर्द 100 किलोमीटर X30 किलोमीटर की कक्षा में प्रवेश करेगा। इसके बाद यह चांद के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र में ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ करने के लिए धीमी गति और ठहराव जैसी कई सिलसिलेवार प्रक्रियाओं से गुजरेगा।
सिवन से पूछा गया कि क्या सात सितंबर को चांद की सतह पर ‘विक्रम’ लैंडर की ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ के समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसरो के वैज्ञानिकों के साथ मौजूद होंगे। इसरो अध्यक्ष ने कहा कि प्रधानमंत्री को संबंधित क्षण का भागीदार बनने के लिए आमंत्रित किया गया है। यह पूछे जाने पर कि क्या इसरो में लैंगिक आधार पर कोई भेदभाव है, सिवन ने कहा कि ऐसा कोई भेदभाव नहीं है और प्रतिभाशाली महिलाओं को हमेशा बेहतर भूमिकाएं दी जाती हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘इसरो में कोई लैंगिक भेदभाव नहीं है। चंद्रयान-2 मिशन के दौरान दो महिलाओं को अवसर मिला। इसी तरह (इसरो की) भविष्य की परियोजनाओं में अग्रणी भूमिका निभाने के लिए महिलाओं को अवसर मिलेंगे।’’
गत 22 जुलाई को चंद्रयान-2 के प्रक्षेपण के समय दो महिला वैज्ञनिकों-रितु कारिधाल और एम वनीता को काफी प्रशंसा मिली थी क्योंकि ये दोनों क्रमश: मिशन और परियोजना निदेशक हैं। सिवन को गुरुवार को तमिलनाडु सरकार के डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
उन्हें यहां सचिवालय में मुख्यमंत्री के. पलानीस्वामी ने यह पुरस्कार प्रदान किया। सात सितंबर को जब लैंडर चांद की सतह पर उतेरगा तो तब उसके भीतर से ‘प्रज्ञान’ नाम का रोवर बाहर निकलेगा और अपने पहियों पर चलते हुए चांद की सतह पर वैज्ञानिक प्रयोगों को अंजाम देगा। ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ में कामयाबी मिलते ही रूस, अमेरिका और चीन के बाद भारत ऐसा कार्य करने वाला दुनिया का चौथा देश और चांद के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र में पहुंचने वाला विश्व का पहला देश बन जाएगा।
(पीटीआई-भाषा इनपुट के साथ)