इसरो जासूसी मामला : तत्काल सुनवाई के लिए उच्चतम न्यायालय पहुंचा केंद्र, अगले सप्ताह होगी सुनवाई

By भाषा | Updated: April 5, 2021 16:54 IST2021-04-05T16:54:37+5:302021-04-05T16:54:37+5:30

ISRO espionage case: Center reaches Supreme Court for immediate hearing, hearing to be held next week | इसरो जासूसी मामला : तत्काल सुनवाई के लिए उच्चतम न्यायालय पहुंचा केंद्र, अगले सप्ताह होगी सुनवाई

इसरो जासूसी मामला : तत्काल सुनवाई के लिए उच्चतम न्यायालय पहुंचा केंद्र, अगले सप्ताह होगी सुनवाई

नयी दिल्ली, पांच अप्रैल केंद्र ने इसरो के वैज्ञानिक नंबी नारायणन से जुड़े 1994 के जासूसी मामले में दोषी पुलिस अधिकारियों की भूमिका संबंधी उच्च स्तरीय समिति की रिपोर्ट पर तत्काल सुनवाई का अनुरोध करते हुए सोमवार को उच्चतम न्यायालय का रुख किया।

शीर्ष अदालत ने इस मामले में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के वैज्ञानिक को बरी करते हुए बाद में 50 लाख रुपये का मुआवजा देने का भी फैसला किया था।

सॉलीसीटर जनरल तुषार मेहता ने त्वरित सुनवाई के लिए इस मामले का उल्लेख प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष किया। पीठ ने हा कि मामले की सुनवाई अगले हफ्ते की जाएगी।

मेहता ने पीठ को बताया कि समिति ने रिपोर्ट दायर कर दी है और इसपर विचार किया जाना चाहिए क्योंकि यह एक “राष्ट्रीय मुद्दा” है।

पीठ ने कहा कि वह इसे महत्वपूर्ण मामला मानती है लेकिन त्वरित सुनवाई आवश्यक नहीं है। पीठ ने कहा, ‘‘हम इस पर अगले सप्ताह सुनवाई करेंगे।’’

शीर्ष अदालत ने मामले में जांच के लिए अपने पूर्व न्यायाधीश (सेवानिवृत्त) डी के जैन की अध्यक्षता में 14 सितंबर, 2018 को तीन सदस्यीय समिति का गठन किया था और केरल सरकार को नारायणन के ‘‘घोर अपमान’’ के लिए उन्हें 50 लाख रुपये का मुआवजा देने का निर्देश दिया था।

शीर्ष अदालत ने नारायणन का ‘‘उत्पीड़न करने और उन्हें अत्यंत पीड़ा पहुंचाने’’ के दोषी अधिकारियों के खिलाफ उचित कदम उठाने के लिए एक समिति गठित करने का आदेश देते हुए केंद्र और राज्य सरकार से समिति में एक-एक अधिकारी नामित करने को कहा था।

इसरो के पूर्व वैज्ञानिक के खिलाफ पुलिस कार्रवाई को ‘‘मनोरोग व्यवहार” करार देते हुए शीर्ष अदालत ने सितंबर 2018 में कहा था कि उन्हें हिरासत में लेकर उनकी “स्वतंत्रता एवं गरिमा” को खतरे में डाला गया और बाद में पूर्व के प्रत्येक गौरव के बावजूद “निंदनीय अभद्रता’’ का सामना करने पर मजबूर होना पड़ा।

जासूसी का यह मामला दो वैज्ञानिकों और चार अन्य द्वारा भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम से जुड़े कुछ गोपनीय दस्तावेजों को दूसरे देशों को दिए जाने के आरोपों से जुड़ा है।

वैज्ञानिक को उस वक्त गिरफ्तार किया था जब केरल में कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार थी।

तीन सदस्यी जांच समिति ने अपनी रिपोर्ट हाल में ही शीर्ष अदालत को बंद लिफाफे में सौंपी है।

सीबीआई ने अपनी जांच में कहा था कि केरल में उस वक्त के शीर्ष अधिकारी नारायणन की गैरकानूनी गिरफ्तारी के लिए जिम्मेदार थे।

इस मामले के राजनीतिक परिणाम भी देखने को मिले थे जब कांग्रेस के एक वर्ग ने तत्कालीन मुख्यमंत्री दिवंगत के करुणाकरन को इस मुद्दे को लेकर निशाना बनाया था जिससे अंतत: उन्हें इस्तीफा देना पड़ा था।

करीब ढाई साल के वक्त में न्यायमूर्ति जैन की अध्यक्षता वाली पीठ ने गिरफ्तारी की परिस्थितियों की जांच की थी।

सीबीआई से क्लीन चिट मिलने के बाद 79 वर्षीय पूर्व वैज्ञानिक ने कहा था कि केरल पुलिस ने “मनगढंत’’ मामला बनाया और उनपर जिस प्रौद्योगिकी को चुराने एवं बेचने का आरोप लगा था वह 1994 में अस्तित्व में ही नहीं थी।

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Web Title: ISRO espionage case: Center reaches Supreme Court for immediate hearing, hearing to be held next week

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