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चिदंबरम की जमानत की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई के लिए तैयार, दिल्ली हाई कोर्ट ने ठुकराई थी बेल की मांग

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: November 18, 2019 13:03 IST

चिदंबरम फिलहाल दिल्ली के तिहाड़ जेल में बंद हैं। चिदंबरम की ओर से कपिल सिब्बल ने बेल के लिए चीफ जस्टिस शरद अरविंद बोबडे के नेतृत्व वाली तीन जजों की बेंच के सामने मामले को रखा।

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ठळक मुद्देपी चिदंबरम ने जमानत के लिए सुप्रीम कोर्ट का खटखटाया दरवाजादिल्ली हाई कोर्ट कर चुकी है आईएनएक्स मीडिया धनशोधन मामले में जमानत याचिका खारिज

पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने दिल्ली हाई कोर्ट की ओर खारिज की गई जमानत याचिका के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। चिदंबरम ने सोमवार को इस संबंध में एक याचिका सुप्रीम कोर्ट में दायर की। चिदंबरम को आईएनएक्स मीडिया केस में सीबीआई द्वारा 21 अगस्त को उनके घर से गिरफ्तार किया गया था।

चिदंबरम को इसके बाद प्रवर्तन निदेशालय ने भी इस केस में मनी लॉन्ड्रिंग केस में गिरफ्तार किया। हालांकि, दूसरी ओर सीबीआई केस में उन्हें 22 अक्टूबर को जमानत मिल गई थी लेकिन ईडी द्वारा गिरफ्तार किये जाने के कारण वे जेल से बाहर नहीं आ सके। 

चिदंबरम फिलहाल दिल्ली के तिहाड़ जेल में बंद हैं। चिदंबरम की ओर से कपिल सिब्बल ने बेल के लिए चीफ जस्टिस शरद अरविंद बोबडे के नेतृत्व वाली तीन जजों की बेंच के सामने मामले को रखा। चीफ जस्टिस बोबडे ने सोमवार को ही देश के 47वें चीफ जस्टिस के तौर पर शपथ ग्रहण किया।

वरिष्ठ कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम आईएनएक्स मीडिया धनशोधन मामले में उनकी जमानत याचिका खारिज करने के दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने के लिए सोमवार को उच्चतम न्यायालय पहुंचे। 

चीफ जस्टिस एस ए बोबडे की अगुवाई वाली पीठ को कपिल सिब्बल ने बताया कि पूर्व वित्त मंत्री चिदंबरम करीब 90 दिनों से जेल में हैं और उनकी जमानत याचिका पर मंगलवार या बुधवार को सुनवाई हो। पीठ ने सिब्बल से कहा, ‘हम देखेंगे।’ दिल्ली हाई कोर्च ने ईडी द्वारा दर्ज आईएनएक्स मीडिया धनशोधन मामले में चिदंबरम को जमानत देने से शुक्रवार को इनकार कर दिया था। अदालत ने कहा था कि उनके खिलाफ लगे आरोप पहली नजर में गंभीर प्रकृति के हैं और अपराध में उनकी सक्रिय एवं प्रमुख भूमिका रही है। 

सीबीआई ने इस केस में 15 मई, 2017 को मामला दर्ज किया था जिसमें आईएनएक्स मीडिया समूह को 2007 में 305 करोड़ रुपये का विदेशी चंदा प्राप्त करने के लिए विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (एफआईपीबी) की मंजूरी देने में अनियमितताओं का आरोप लगाया गया था। इस दौरान चिदंबरम वित्त मंत्री थे। इसके बाद ईडी ने भी इसी संबंध में 2017 में धनशोधन का एक मामला दर्ज किया था। 

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