पी. चिदंबरम के वकील कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि पूर्व केंद्रीय मंत्री को हिरासत में लिए जाने वाले मामले में उनकी याचिका को सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश के बावजूद सोमवार को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध नहीं किया गया।
वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कांग्रेस नेता चिदंबरम की ओर से न्यायालय में इस मामले का जिक्र न्यायमूर्ति आर भानुमति की एक पीठ के समक्ष किया।
उन्होंने कहा कि पिछले शुक्रवार को सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा था कि हिरासत संबंधी आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर आज सुनवाई होगी लेकिन इसे जिरह के लिए आज सूचीबद्ध नहीं किया गया है।
पीठ ने सिब्बल से कहा कि प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई से रजिस्ट्री को आवश्यक आदेश मिलने के बाद उनकी याचिका सुनवाई के लिए सूचीबद्ध की जाएगी।
सिब्बल से पीठ ने कहा, ‘‘ रजिस्ट्री को कुछ दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है और हमें प्रधान न्यायाधीश से आदेश लेना होगा।’’
दिल्ली उच्च न्यायालय ने 28 अगस्त को आईएनएक्स मीडिया भ्रष्टाचार मामले, सीबीआई द्वारा दर्ज धन शोधन मामले और ईडी द्वारा दर्ज मामले में चिदंबरम की अग्रिम जमानत याचिका अस्वीकार कर दी थी।
उच्च न्यायालय के फैसले को चिदंबरम ने चुनौती दी थी और उनकी याचिका पर आज उच्चतम न्यायालय में सुनवाई होनी है।
चिदंबरम पर ED का आरोप-विदेशों में 17 बैंक खाते और 11 अचल संपत्तियां
पिछली सुनवाई में ईडी ने यह भी आरोप लगाया कि जांच में उसने पाया कि चिदंबरम के पास 11 ‘‘अचल संपत्तियां’’ और विदेशों में 17 बैंक खाते थे इसलिए इस मामले में बड़ी साजिश का खुलासा करने के लिए उनसे हिरासत में पूछताछ की जरूरत है।
ईडी की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दावा किया कि जांच के दौरान ‘‘सबसे हैरान करने वाली बात’’ पता चली कि जिन लोगों के नाम पर फर्जी कंपनियां बनाई गई उन्होंने चिदंबरम की पोती के नाम पर एक वसीयत बनाई थी।
चिदंबरम के वकीलों ने ईडी की दलीलों का विरोध करते हुए न्यायमूर्ति आर भानुमति और न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना की पीठ से कहा कि उन्होंने जांच के दौरान एजेंसी के साथ सहयोग किया और उनसे हिरासत में पूछताछ की कोई जरूरत नहीं है।
इस बीच, सूत्रों ने बताया कि सीबीआई ने पांच देशों को ‘लेटर रोगेटरी’ (एलआर) यानी न्यायिक अनुरोध पत्र भेजकर आईएनएक्स मीडिया मामले में भुगतान के लेन-देन की विस्तृत जानकारी मांगी है।
उन्होंने बताया कि इन न्यायिक अनुरोध पत्रों के जरिये विदेशों से सूचना मांगी जाती है। ये पत्र ब्रिटेन, मॉरीशस, स्विट्जरलैंड, बरमूडा और सिंगापुर को भेजे गये है। सूत्रों ने बताया कि सीबीआई विदेशों में कई कंपनियों के भुगतान के लेन-देन की जांच कर रही है।
ईडी ने लगाए चिदंबरम पर ये आरोप
ईडी ने कोर्ट में कहा, चिदंबरम ने देश के बाहर 11 संपत्तियां, न केवल भारत में बल्कि विदेश में 17 बैंक खाते बनाए और मुखौटा कंपनियों की आड़ में रुपयों का लेनदेन किया।
ईडी के वकील तुषार मेहता ने कहा कि सच सामने लाने के लिए चिदंबरम से हिरासत में पूछताछ करने की जरूरत है।
उन्होंने दावा किया कि केंद्रीय वित्त मंत्री रहते हुए उन्होंने इंद्राणी और पीटर मुखर्जी से ‘‘अपने बेटे का ध्यान रखने’’ के लिए कहा जब आईएनएक्स मीडिया के लिए एफआईपीबी की मंजूरी के संबंध में वे 2007 में उनसे मिले थे।
मेहता ने कहा कि उन्हें अभी तक मिले सबूतों के साथ चिदंबरम से पूछताछ करने की जरूरत है। इन सबूतों में कुछ ई-मेल और धनराशि का लेनदेन भी शामिल है।
मुखौटा कंपनियां बनाने वाले कई लोगों ने चिदंबरम की पोती के नाम पर एक वसीयत बनाई थी। मेहता ने कहा कि चिदंबरम ने अपने जवाबों में टालमटोल की और कुछ भी बताने से इनकार कर दिया तथा जांच में सहयोग नहीं किया।