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INX Media Case: सीबीआई ने चिदंबरम को जमानत देने के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट में दायर की पुनर्विचार याचिका

By भाषा | Updated: October 26, 2019 06:06 IST

न्यायमूर्ति आर भानुमति, न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति ऋषिकेश रॉय की तीन सदस्यीय खंडपीठ ने 22 अक्टूबर को चिदंबरम की याचिका पर दिल्ली उच्च न्यायालय के 30 सितंबर के फैसले को निरस्त करते हुये उन्हें जमानत देने का निर्णय सुनाया था।

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ठळक मुद्देकेन्द्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने आईएनएक्स मीडिया भ्रष्टाचार मामले में पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम को जमानत दिये जाने के फैसले पर पुनर्विचार के लिए शुक्रवार को उच्चतम न्यायालय में एक याचिका दायर की। जांच ब्यूरो ने पुनर्विचार याचिका में कहा है कि शीर्ष अदालत के 22 अक्टूबर के फैसले में कुछ खामियां नजर आती हैं।

केन्द्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने आईएनएक्स मीडिया भ्रष्टाचार मामले में पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम को जमानत दिये जाने के फैसले पर पुनर्विचार के लिए शुक्रवार को उच्चतम न्यायालय में एक याचिका दायर की। जांच ब्यूरो ने पुनर्विचार याचिका में कहा है कि शीर्ष अदालत के 22 अक्टूबर के फैसले में कुछ खामियां नजर आती हैं। न्यायमूर्ति आर भानूमति की अध्यक्षता वाली पीठ ने 22 अक्टूबर को कांग्रेस के वरिष्ठ नेता चिदंबरम को जमानत दी थी।

अधिवक्ता रजत नायर के जरिये दाखिल की गई याचिका में कहा गया है कि फैसले को लेकर कुछ खामियां नजर आती हैं। सीबीआई ने कहा कि पुनर्विचार याचिका दायर की गई है क्योंकि 22 अक्टूबर के फैसले में दिए गए निष्कर्ष रिकॉर्ड के विपरीत हैं, जिन्हें ठीक करने की आवश्यकता है और उपयुक्त आदेश पारित करने की आवश्यकता है।

जांच एजेंसी ने कहा कि जैसा कि बताया गया है कि सीआरपीसी की धारा 161 और 164 के तहत गवाह के बयान के रूप में ‘‘ठोस और विश्वसनीय सबूत’’ है जिसमें स्पष्ट रूप से दर्ज है कि एसएलपी याचिकाकर्ता (पी चिदंबरम) ने पहले भी प्रयास किये थे और अब भी उक्त गवाहों को प्रभावित करने की कोशिश कर रहे है। वह गवाहों पर एसएलपी याचिकाकर्ता और उनके बेटे (कार्ति चिदंबरम) के खिलाफ गवाही नहीं देने का दबाव बनाने की कोशिश कर रहे हैं।

न्यायमूर्ति आर भानुमति, न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति ऋषिकेश रॉय की तीन सदस्यीय खंडपीठ ने 22 अक्टूबर को चिदंबरम की याचिका पर दिल्ली उच्च न्यायालय के 30 सितंबर के फैसले को निरस्त करते हुये उन्हें जमानत देने का निर्णय सुनाया था। न्यायालय ने सीबीआई के इस दावे को दरकिनार कर दिया था कि 74 वर्षीय चिदंबरम ने इस मामले में दो प्रमुख गवाहों को प्रभावित करने का प्रयास किया था।

न्यायालय ने कहा कि ऐसा कोई विवरण उपलब्ध नहीं है कि ‘कब, कहां और कैसे इन गवाहों से संपर्क किया गया।’’ आईएनएक्स मीडिया घोटाले से संबंधित धनशोधन मामले में पी चिदंबरम इस समय 30 अक्टूबर तक प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की हिरासत में है। सीबीआई ने भ्रष्टाचार के मामले में चिदंबरम को 21 अगस्त को गिरफ्तार किया था।

जांच ब्यूरो ने यह मामला 15 मई, 2017 को दर्ज किया था। यह मामला 2007 में वित्त मंत्री के रूप में पी चिदंबरम के कार्यकाल में विदेशी निवेश संवर्द्धन बोर्ड द्वारा आईएनएक्स मीडिया को 305 करोड़ रुपये का विदेशी निवेश प्राप्त करने की मंजूरी में हुयी कथित अनियमितताओं से संबंधित है।

पीठ ने कहा था कि जांच ब्यूरो के अनुसार चिदंबरम ने गवाहों को प्रभावित किया और आगे भी प्रभावित किये जाने की आशंका पूर्व वित्त मंत्री को जमानत से इंकार करने का आधार नहीं हो सकती जबकि निचली अदालत में उनकी हिरासत के लिये दाखिल छह आवेदनों में कहीं भी इस तरह की कोई सुगबुगाहट तक नहीं है।

शीर्ष अदालत ने कहा था, ‘‘ ‘‘इस समय हमारे लिये यह संकेत देना जरूरी है कि हम सालिसीटर जनरल तुषार मेहता की इस दलील को स्वीकार करने में असमर्थ हैं कि आर्थिक अपराधियों के ‘‘भागने के जोखिम’’ को एक राष्ट्रीय चलन के रूप में देखा जाना चाहिए और उनके साथ उसी तरह पेश आना चाहिए क्योंकि अन्य चुनिन्दा अपराधी देश से भाग गये हैं।’’ 

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