राफेल मामले में सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के बाद जश्न माना रही भाजपा पर कांग्रेस सहित तमाम दूसरे संगठनों का हमला जारी है. सर्वोच्च न्यायालय में पुनर्विचार याचिका दाखिल करने वाले प्रशांत भूषण, यश्वंत सिन्हा और अरुण शौरी ने इस मुद्दे को उठाते हुए मांग की कि केंद्रीय जांच ब्यूरो सर्वोच्च न्यायालय के फैसले की रोशनी में सात दिन के अंदर राफेल को लेकर प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज करे और इसके लिए सरकार से आवश्यक अनुमति मांगे.
भाजपा समर्थक रहे इन तीनों ने चेतावनी दी कि अगर सरकार ने एफआईआर दर्ज करने की अनुमति नहीं दी तो एक बार फिर वे अदालत का दरवाजा खटखटाएंगे. जाने माने अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने दलील दी कि न्यायमूर्ती जोसेफ ने जांच एजेंसियों के लिए जांच का जो दरवाजा खोला है उसपर दो अन्य जजों ने चूंकी कोई आपत्ती नहीं उठाई है इसलिए इसे उनकी सहमति का फैसला माना जाएगा. उनका यह भी तर्क था कि इस फैसले के बाद केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) दर्ज कर मामले की जांच शुरू करे. क्योंकि सर्वोच्च न्यायालय के फैसले से सीबीआई बंधी हुई है.
प्रशांत भूषण, यशवंत सिन्हा और अरुण शौरी ने सर्वोच्च न्यायालय के पूरे फैसले का विस्तार से विवरण देते हुए यह साफ किया कि सीबीआई के पास एक साल से अधिक समय से शिकायत लंबित पड़ी हुई है जिसमें उससे मामले की जांच और एफआईआर दर्ज करने की मांग की गई थी. इस फैसले के बाद उसकी जिम्मेदारी बन जाती है कि वह अब इसपर कार्रवाई करे. हमे भरोसा है कि जो तथ्य इस मामले में रखे गए हैं उनके बाद इस बात की कोई गुंजाइश नहीं रह जाती कि सीबीआई पूर्व की भांति हाथ पर हाथ रखकर बैठी रहे.
तीनों ने भरोसा जताया कि अनुच्छेद 17ए के तहत सरकार आवश्यक अनुमति इस मामले में जांच और एफआईआर दर्ज करने के लिए सीबीआई को देगी. सिन्हा, शौरी और भूषण ने सीबीआई के निदेशक ऋषि कुमार शुक्ला से सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का पालन करने की भी गुहार लगाई.