International Women's Day 2018: इस देश में साधारण स्त्री तो क्या महिला पुलिसकर्मी खुद को नहीं मानती सुरक्षित

By मेघना वर्मा | Updated: March 8, 2018 08:35 IST2018-03-08T08:35:49+5:302018-03-08T08:35:49+5:30

विद्या कहती हैं ऐसे लोगों को सबक सिखाने के लिए जरूरी है की आप उनसे उनकी ही भाषा में बात करें और उसे मुंह तोड़ जवाब दें। 

International Women's Day 2018: Ladies Police Inspector dos't feel safe in India | International Women's Day 2018: इस देश में साधारण स्त्री तो क्या महिला पुलिसकर्मी खुद को नहीं मानती सुरक्षित

International Women's Day 2018: इस देश में साधारण स्त्री तो क्या महिला पुलिसकर्मी खुद को नहीं मानती सुरक्षित

अपनी सुरक्षा मांगने के लिए कोई भी साधारण महिला, पुलिस के पास जाती है लेकिन अगर हम आपसे कहें की 21 वीं सदी के इस भारत में महिला पुलिस भी सुरक्षित नहीं है तो? आज अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर हम ऐसी ही एक महिला इंस्पेक्टर की कहानी आप तक पहुचायेंगे जो पुलिस की वर्दी में भी खुद को सुरक्षित नहीं महसूस करती। इलाहबाद जनपद के परिवार परामर्श केंद्र की मुख्य विद्या यादव से बातचीत में पता चला कि भारत में महिला चाहे किसी भी प्रोफाइल की हो वह खुद को सुरक्षित नहीं महसूस करती। विद्या यादव ने बताया की कई बार ऑन डयूटी रहते हुए भी उनके साथ छेड़-छाड़ की घटना हुई है। उन्होंने बताया की माघ मेले या यूनिवर्सिटी के चुनाव में अक्सर उनकी ड्यूटी लगा दी जाती है और भीड़-भाड़ का फायदा उठाकर लोग छेड़खानी या भद्दे कमेंट पास करते हैं। 

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2012 में पिता की जगह मिली थी सर्विस

विद्या ने बताया की बचपन से ही वो पुलिस में काम करना चाहती थी लेकिन पिता की मौत के बाद उन्हें पिता की जगह पर पुलिस में नौकरी मिल गयी। इलाहाबाद महिला थाना अध्यक्ष रह चुकी हैं। उन्होंने बताया कि जिस गांव से उनकी परवरिश हुई है उस गांव में महिलाओं को बहुत ज्यादा पढ़ाया नहीं जाता। यही कारण है की पुलिस में नौकरी के बाद उन्होंने सबसे पहले अपनी दोनों छोटी बहनों को पढ़ाने का जिमा उठाया। 

यूनिवर्सिटी के लड़कों ने की थी छेड़-छाड़

इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में चुनाव या दंगे की स्थिति में अक्सर महिला पुलिस कर्मियों की ड्यूटी लगाई जाती है। विद्या ने बताया कि इन्ही ड्यूटियों के बीच कई बार ऐसा हुआ है की भीड़-भाड़ में लड़के गंदे कमेंट कर के निकल जाते हैं। ऐसे ही एक मनचले को यूनिवर्सिटी से पकड़ा भी था जिसे बाद में हिदायत दे कर छोड़ दिया। विद्या कहती हैं ऐसे लोगों को सबक सिखाने के लिए जरूरी है की आप उनसे उनकी ही भाषा में बात करें और उसे मुंह तोड़ जवाब दें। 

गलत परवरिश और मां-बाप की गलत सीख का है नतीजा

छेड़खानी का कारण पूछने पर विद्या ने कहा कि वो मानती है इसके पीछे बचपन में होने वाली खराब परवरिश है। विद्या मानती हैं कि बचपन में अपने लड़कों पर भी अगर मां-बाप लड़कियों जितना ही प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए। लड़कों को हमेशा इस बात का एहसास दिलाना चाहिए कि लड़के और लड़कियां अलग नहीं बल्कि एक ही हैं।     

 

Web Title: International Women's Day 2018: Ladies Police Inspector dos't feel safe in India

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