International Women's Day - 'हां मैं कैरेक्टर लेस हूं.'आखिर इस लड़की ने क्यूं उठाये अपने ही चरित्र पर सवाल

By मेघना वर्मा | Published: March 7, 2018 12:35 PM2018-03-07T12:35:29+5:302018-03-07T14:47:47+5:30

आज कल की लड़कियों के पहनावे से इतनी ही दिक्कत है तो हम सब बुरखा पहनने को भी तैयार हैं !!

International Women's Day: "Yes I'm characterless" A poem published by a girl on international women day event | International Women's Day - 'हां मैं कैरेक्टर लेस हूं.'आखिर इस लड़की ने क्यूं उठाये अपने ही चरित्र पर सवाल

International Women's Day - 'हां मैं कैरेक्टर लेस हूं.'आखिर इस लड़की ने क्यूं उठाये अपने ही चरित्र पर सवाल

"चल आज मान ही लेती हूं...हां मैं  कैरेक्टर लेस हूं।" सोशल साइट्स पर सर्फिंग करते हुए कभी ना कभी आपने इस लाइन को जरूर सुना होगा। बेहद मजबूती से कई गए ये बात 'पूजा सचदेवा' नाम की एक लड़की ने कही है। अपनी बातों से वो लोगों के दिलों को छू जाती है। उसकी कही बातें शायद हर साधारण लड़की की दास्तां कहती हैं। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर हम आपको पूजा सचदेवा की सोच, उनकी कही बातों के बारे में बताने जा रहे हैं।कैसे उन्होंने महिलाओं के साथ हो रहे लगातार गलत बर्ताव और उत्पीड़न को देखते हुए समाज के सामने ये बात रखी है "कि चल आज मान ही लेती हूं कि मैं  कैरेक्टर लेस हूं"।  

समाज में लगातार हो रहे महिलाओं के प्रति अपराध, उन्हें नीचा समझने वालों के लिए पूजा सचदेवा की ये लाइनें तमाचा मारने वाली सिद्ध होती हैं। अपनी कलम और शब्दों के माध्यम से पूजा आज देश भर में अपनी और एक साधारण लड़की की बात पहुंचना चाहती हैं। आइये जानते हैं क्यूं एक साधारण लड़की खुद पर करैक्टर लेस होने का ब्लेम ले रही है।

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"मेरे साथ छेड़छाड़ की इतनी घटनाएं हुई हैं कि मैं किताब लिख सकती हूं"

दिल्ली की रहने वाली पूजा सचदेवा ने 2017 में ये कविता लिखी थी जिसे सोशल साइट्स पर अब तक लगभग 28 लाख लोग देख चुके हैं।  कैरेक्टर लेस इस पोएम को लिखने का कारण बताते हुए पूजा कहती हैं कि मेरे साथ इतनी छेड़छाड़ हुई है कि मैं अपने ऊपर पूरी किताब लिख सकती हूं। आरजे रह चुकी पूजा ने बाताया की अपने रेडियो प्रोग्राम के माध्यम से उन्होंने बहुत सारी लड़कियों के साथ हुई छेड़छाड़ के मामले को भी लोगों तक पहुंचाया है। आय दिन लड़कियों के साथ हो रहे बलात्कार और किडनैपिंग के मामलों को बढ़ता हुआ देखकर पूजा ने अपनी आवाज लोगों तक पहुँचाने की सोची। उनका कहना है कि जब लड़कियों को खुल के सोचने, खुल के बोलने और खुल के सड़क पर चलने की आजादी नहीं दी जा सकती, जब लड़कियों के देर से घर लौटने या छोटे कपड़े पहनने के बाद पूरा समाज उन्हें करैक्टर लेस बोलता है तो ठीक है हम लड़कियां खुद ही मान लेते हैं कि हां हम  कैरेक्टर लेस हैं। पर अब क्या? छेड़छाड़ की घटनाएं तो आज भी आप ही करते हैं, रेप और किडनैप की घटनाएं फिर क्यूं आय दिन बढ़ती जाती हैं?  

बैग में चाकू रख कर जाती थी ऑफिस

राजस्थान में अपने काम के सिलसिले में 4 साल रही पूजा ने बताया कि वो अपने ऑफिस चाकू लेकर जाती थी। रात को ऑफिस से लौटते समय अपनी सुरक्षा के लिए वो चाकू को अपने बैग में ही रखती थीं। अपने साथ हुई एक घटना को बताते हुए पूजा ने कहा कि कई बार रास्तों में चलते हुए सिर्फ कार के अंदर से ही कुछ लड़कों ने भद्दे कमेन्ट पास किये हैं। उन्होंने कहा ऐसा सिर्फ मेरे ही साथ नहीं होता बल्कि भारत में रहने वाली उन सभी साधारण लड़कियों के साथ होता है जो रास्ते पर चलती है। पूजा ने कह कि हम लड़कियां अक्सर ही ऐसी घटनाओं को इग्नोर कर देती हैं लेकिन किसी ना किसी को आवाज उठानी ही थी। 

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#मीटू से मिला इंस्पिरेशन

पोएम को लिखने का ख्याल कैसे आया के सवाल पर पूजा ने बाते कि कुछ दिनों पहले सोशल साईट पर "#मीटू" का चलन काफी था। उसपर भी महिलाओं की तेजी से बढ़ते कमेंट और रिएक्शन से भी ये बात साफ जाहिर थी कि महिलाएं अपने साथ हुई घटनों को भूल जाना या उन्हें इग्नोर करके आगे बढ़ना भी चाहती हैं तो लोह उन्हें कैरेक्टर लेस समझ लेते हैं। अगर ऐसा है तो ठीक है हम सब मिल कर मान ही लेते हैं की हां हम  करैक्टर लेस हैं लेकिन हमारे सपने हमारी स्कर्ट से बहुत ऊंचे हैं।

अगर कपड़ों से है प्रॉब्लम तो हम सब पहन लेंगें बुरखा

पूजा कहती हैं कि मैं हैरान हूं जब समाज महिलाओं से होने वाले अपराध के लिए भी महिलाओं को ही ब्लेम करता है। उन्होंने कहा की आज कल की लड़कियों के पहनावे से इतनी ही दिक्कत है तो हम सब बुरखा पहनने को भी तैयार हैं लेकिन क्या कोई इस बात की गारन्टी ले सकता है कि इसके बाद भी ऐसे बलात्कार होना बंद नहीं होंगे। 

मानसिक रूप से पीड़ित और कायर होते हैं ऐसे लोग

पूजा ने कहा की ऐसे लोग जो लड़कियों को समाज में बराबरी का हिस्सा नहीं दे पाते, ऐसे लोग जो महिलाओं को ही उनके खिलाफ होने वाले अपराध का जिमेदार समझते हैं वो लोग असल में मानसिक स्थिति से ग्रस्त होते हैं। उनकी परवरिश बहुत गलत तरीके से हुई होती है। ऐसे लोगों को अपने दिमाग का और अपनी सोच का इलाज करवाना चाहिए। उन्होंने कहा की लड़कियों को खुद को कभी कमजोर नहीं समझना चाहिए। आजाद समाज में रहकर हम महिलाओं को भी आजादी के साथ रहने का पूरा हक है। 

"हां मैं  कैरेक्टर लेस हूं" के अलावा अब तक पूजा ने "ब्लडी वीमेन" पोएम लिखी है जिसमें महिलाओं के पीरियड्स और उसको लेकर समाज में गलत सोच रखने वालों के ऊपर लिखी गयी है। 

Web Title: International Women's Day: "Yes I'm characterless" A poem published by a girl on international women day event

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