हादसे में ट्रक को हुए नुकसान के एवज में 3.25 लाख रुपए का मुआवजा दे बीमा कंपनी: उच्चतम न्यायालय

By भाषा | Updated: October 19, 2021 15:02 IST2021-10-19T15:02:00+5:302021-10-19T15:02:00+5:30

Insurance company should give compensation of Rs 3.25 lakh for the damage caused to the truck in the accident: Supreme Court | हादसे में ट्रक को हुए नुकसान के एवज में 3.25 लाख रुपए का मुआवजा दे बीमा कंपनी: उच्चतम न्यायालय

हादसे में ट्रक को हुए नुकसान के एवज में 3.25 लाख रुपए का मुआवजा दे बीमा कंपनी: उच्चतम न्यायालय

नयी दिल्ली, 19 अक्टूबर उच्चतम न्यायालय ने एक हादसे में क्षतिग्रस्त हुए एक ट्रक के लिए वाहन मालिक को मुआवजा देने से इनकार करने का राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (एनसीडीआरसी) का आदेश खारिज करते हुए कहा है कि दुर्घटना का कारण उसमें अधिक यात्रियों को ले जाना नहीं था।

न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता और न्यायमूर्ति वी रामसुब्रमण्यन की पीठ ने कहा कि एनसीडीआरसी का रुख स्पष्ट रूप से त्रुटिपूर्ण है। पीठ ने बीमा कंपनी ‘द न्यू इंडिया इंश्योरेंस कंपनी’ को मुआवजे के तौर पर याचिकाकर्ता को तीन लाख 25 हजार रुपए देने का आदेश दिया।

पीठ ने कहा कि यह याचिकाकर्ता के स्वयं के नुकसान का मामला है, जिसका मालवाहक वाहन में सवार यात्रियों की संख्या से कोई संबंध नहीं है। पीठ ने बीमा कंपनी को तीन महीने के अंदर मुआवजे का भुगतान करने का आदेश दिया और कहा, ‘‘हमें लगता है कि राष्ट्रीय आयोग द्वारा पारित आदेश कानून के अनुरूप नहीं है। इस आदेश को दरकिनार किया जाता है और राज्य आयोग का आदेश बहाल किया जाता है। तदनुसार, याचिका मंजूर की जाती है।’’

शीर्ष अदालत ने 30 सितंबर को यह आदेश दिया। श्री अन्नप्पा ने न्यायालय में याचिका दायर कर एनसीडीआरसी के आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें उसके ट्रक को हुए नुकसान के एवज में मुआवजे का दावा खारिज कर दिया गया था। ट्रक दो अक्टूबर, 2000 को दुर्घटनाग्रस्त हुआ था।

याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील ने शीर्ष अदालत के पूर्व के एक फैसले का हवाला देते हुए कहा कि न्यायालय ने इसी तरह के एक मामले में मुआवजे की अनुमति दी थी, जिसमें ट्रक बीमा पॉलिसी के नियमों और शर्तों में दी गई अनुमति से अधिक यात्रियों को ले जा रहा था।

बीमा कंपनी ने मुआवजे का दावा इस आधार पर इंकार कर दिया था कि यह एक मालवाहक वाहन था और उसमें यात्रियों को ले जाने की अनुमति नहीं थी। बीमा कंपनी ने कहा कि दुर्घटना के समय वाहन का इस्तेमाल पॉलिसी के नियमों और शर्तों के विपरीत किया जा रहा था क्योंकि वाहन में 25 यात्री सवार थे।

इससे पहले, जिला उपभोक्ता विवाद निवारण फोरम ने बीमा कंपनी को आदेश दिया था कि वह याचिकाकर्ता को प्रति वर्ष 12 प्रतिशत ब्याज के साथ 3,25,000 रुपए का भुगतान करें। राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने भी इस आदेश को उचित ठहराया था।

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