इंदौर (मध्यप्रदेश), तीन फरवरी हाड़ कंपाने वाली ठंड में बेघर और बेसहारा बुजुर्गों को इंदौर नगर निगम (आईएमसी) के कर्मचारियों द्वारा शहरी सीमा से जबरन बाहर छोड़े जाने की बहुचर्चित घटना की जांच अगले एक-दो दिन में पूरी हो सकती है। आईएमसी की एक शीर्ष अधिकारी ने बुधवार को यह जानकारी दी।
आईएमसी की आयुक्त प्रतिभा पाल ने "पीटीआई-भाषा" को बताया, "बेसहारा बुजुर्गों से कथित बदसलूकी के मामले की आईएमसी के एक अतिरिक्त आयुक्त की अगुवाई वाली तीन सदस्यीय समिति जांच कर रही है। उम्मीद है कि यह समिति एक-दो दिन के भीतर अपनी जांच रिपोर्ट सौंप देगी।"
आयुक्त ने बताया कि जांच के बिंदुओं में यह बात खासतौर पर शामिल है कि बेसहारा बुजुर्गों को किस अफसर के आदेश पर शहरी सीमा से बाहर छोड़ा गया था?
उन्होंने बताया कि घटना से संबंधित बुजुर्गों और नगर निगम के कर्मचारियों के बयान दर्ज किए जा रहे हैं।
गौरतलब है कि शुक्रवार की इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर पहले ही फैल चुका है। उसमें नजर आ रहा है कि नगर निगम के अतिक्रमण निरोधक दस्ते के ट्रक के जरिये बेसहारा बुजुर्गों को नजदीकी क्षिप्रा गांव के पास सड़क किनारे छोड़ा जा रहा है। लेकिन कुछ जागरूक ग्रामीण इस अमानवीय घटना पर एतराज जता रहे हैं और इसे मोबाइल कैमरे में कैद कर रहे हैं। इससे घबराए नगर निगम कर्मचारी बुजुर्गों को दोबारा ट्रक में बैठाते दिखाई दे रहे हैं।
वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि इनमें से कुछ बुजुर्ग अधिक उम्र के चलते अपने बूते चलने-फिरने से भी लाचार थे और वे हताश होकर सड़क किनारे बैठ गए थे । इनमें कुछ दिव्यांग भी शामिल थे। बेसहारा लोगों के सामान की पोटलियां सड़क किनारे यहां-वहां बिखरी नजर आ रही थीं।
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान इस घटना पर नाराजगी जताते हुए नगर निगम के एक उपायुक्त को पहले ही निलंबित कर चुके हैं। निगम प्रशासन दो मस्टर कर्मियों को बर्खास्त भी कर चुका है।
इस बीच, अधिकारियों ने बताया कि प्रशासन की पहल पर शहर के निजी चिकित्सालयों में सभी जरूरतमंद बुजुर्गों के उपचार के लिए विशेष व्यवस्था की गई है।
उन्होंने बताया कि निजी अस्पताल संचालकों ने तय किया है कि वे अपने चिकित्सा संस्थानों में दो-दो पलंग जरूरतमंद वृद्धजनों के लिये हमेशा आरक्षित रखेंगे।
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