नयी दिल्ली, 11 अक्टूबर यह उल्लेख करते हुए हुए कि उद्योग अंतरिक्ष कार्यक्रम का चालक होगा केंद्र के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार के विजय राघवन ने सोमवार को कहा कि एकीकृत दृष्टिकोण अपनाया गया है जो उद्योग के बड़े, मध्यम और छोटी भारतीय कंपनियों को विशिष्ट पारिस्थितिकी तंत्र विकसित करने की अनुमति देता है।
अंतरिक्ष क्षेत्र के उद्योग संगठन इंडियन स्पेस एसोसिएशन (आईएसपीए) की शुरुआत किए जाने के एक कार्यक्रम में राघवन ने कहा कि उद्योग अब न केवल उपग्रहों और उसके पेलोड के विकास में शामिल होने की क्षमता रखता है बल्कि प्रक्षेपण वाहनों के निर्माण की भी योजना बनानी चाहिए।
राघवन ने कहा, ‘‘एकीकृत दृष्टिकोण अपनाया गया है जिसमें उद्योग भी शामिल हो सकता है। यह भारत के बड़े, मध्यम और छोटे उद्योगों को उच्च मूल्य के पारिस्थितिकी तंत्र विकसित करने में मददगार होगा...दूसरे शब्दों में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) इन-स्पेस के जरिए अपने कार्यक्रमों के लिए वेंडर की तरह उद्योग से जुड़ रहा है और उद्योग अब अंतरिक्ष कार्यक्रमों के चालक बनने जा रहे हैं। लिहाजा इसके लिए मानसिकता में बड़ा बदलाव लाने की आवश्यकता है।’’
भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष संवर्धन एवं प्राधिकरण केंद्र (इन-स्पेस) एक केंद्रीय नियामक निकाय है जो अंतरिक्ष क्षेत्र में निजी पूंजी को आकर्षित करने तथा निजी क्षेत्र की कंपनियों के लिए एक समान अवसर पैदा करता है।
राघवन ने कहा, ‘‘दूसरा बिंदु...उद्योग अकादमिक अनुसंधान पारिस्थितिकी तंत्र के साथ बातचीत कर रहा है। अब तक कई कारणों से, अंतरिक्ष अनुसंधान, इसरो प्रयोगशालाओं में किया गया है न कि एक अकादमिक पारिस्थितिकी तंत्र में जिसे अब अंतरिक्ष प्रक्षेपण अनुसंधान द्वारा कई तरीकों से मुक्त किया जा सकता है।’’
उन्होंने कहा कि शिक्षा जगत के साथ उद्योग के सहयोग को इस तरह से संचालित करने की जरूरत है जहां अकादमिक क्षेत्र एक जिम्मेदार भूमिका में हो न कि महज वह जो आपको बताता है कि आगे क्या होने वाला है। राघवन ने कहा, ‘‘उद्योग इन परियोजनाओं को अगली तिमाही या अगले साल अमल में आते देख सकता है लेकिन यह बहुत ही रोमांचक क्षेत्र है। हमें पांच साल, 10 साल, 20 साल आगे देखने की जरूरत है और यही वह जगह है जहां अकादमिक का उपयोग किया जा सकता है।
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