भारत के पहले सौर मिशन में सूर्य के ऊर्जा प्रस्फुटन पर नजर रखने के लिए नई तकनीक इस्तेमाल की जाएगी
By भाषा | Updated: April 1, 2021 19:06 IST2021-04-01T19:06:53+5:302021-04-01T19:06:53+5:30

भारत के पहले सौर मिशन में सूर्य के ऊर्जा प्रस्फुटन पर नजर रखने के लिए नई तकनीक इस्तेमाल की जाएगी
नयी दिल्ली, एक अप्रैल विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) ने बृहस्पतिवार को कहा कि वैज्ञानिकों ने सूर्य से होनेवाले ऊर्जा प्रस्फुटन पर नजर रखने के लिए एक नई तकनीक विकसित की है।
सूर्य से होने वाले ऊर्जा प्रस्फुटन से अंतरिक्ष का मौसम प्रभावित होता है और भू-चुंबकीय तूफान उत्पन्न होते हैं। इससे उपग्रह भी खराब हो सकते हैं तथा विद्युत प्रवाह पर भी असर पड़ता है।
नई तकनीक का इस्तेमाल भारत के पहले सौर मिशन ‘आदित्य-एल 1’ में किया जाएगा।
डीएसटी ने एक बयान में कहा कि सूर्य से होनेवाले प्रस्फुटन को तकनीकी रूप से ‘कॉरनल मास इजेक्शन’ (सीएमई) कहा जाता है जो अंतरिक्ष पर्यावरण संबंधी विभिन्न गड़बड़ियां उत्पन्न करता है, जिनके घटित होने के समय का पूर्वानुमान व्यक्त करना बहुत महत्वपूर्ण होता है। हालांकि, सटीक पूर्वानुमान सीएमई संबंधी सीमित जानकारी की वजह से बाधित होता है।
इसने कहा कि बाहरी परिमंडल में इस तरह के प्रस्फुटन पर नजर रखने के लिए अब तक ‘कंप्यूटर एडेड सीएमई ट्रैकिंग सॉफ्टवेयर’ का इस्तेमाल किया जाता रहा है। हलांकि, कंप्यूटर आधारित कलन विधि का इस्तेमाल इस तरह के प्रस्फुटन से होने वाले व्यापक वेगांतर की वजह से सूर्य के आंतरिक परिमंडल संबंधी जानकारी जुटाने के लिए नहीं किया जा सका।
डीएसटी ने कहा कि अब ‘आदित्य-एल 1’ में नई तकनीक के इस्तेमाल से इस कम जानकारी वाले क्षेत्र के बारे में नई जानकारी जुटाने में मदद मिलेगी।
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