ई वाहनों के लिए पहले राजमार्ग गलियारे का निर्माण मार्च 2020 तक संभव
By भाषा | Published: July 5, 2019 06:00 AM2019-07-05T06:00:16+5:302019-07-05T06:00:16+5:30
परियोजना से जुड़े एक अधिकारी ने बताया कि यह ई-गलियारा निजी कंपनी एडवांस सर्विस फॉर सोशल एंड एडमिनिस्ट्रेटिव रिफॉर्म्स (एएसएसएआर) की ईज ऑफ डूइंग बिजनेस प्रोग्राम (ईओडीबी) के तहत पहली प्रस्तावित परियोजना है। निजी कंपनी केंद्र सरकार से सहायतित है।

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इलेक्ट्रिक वाहनों के लिये चार्जिंग स्टेशन के साथ भारत का पहला राजमार्ग गलियारा 2020 तक तैयार होने की संभावना है। यह राजमार्ग दिल्ली-जयपुर और दिल्ली-आगरा राजमार्ग से सटा होगा। एक अधिकारी ने बताया कि यमुना एक्सप्रेस (दिल्ली और आगरा के बीच) और राष्ट्रीय राजमार्ग 48 (दिल्ली एवं जयपुर के बीच) पर गलियारों का यह संयुक्त मार्ग 500 किलोमीटर लंबा होगा और इस पर 18 चार्जिंग स्टेशन होंगे। इन्हें दोनों मार्गों पर टोल प्लाजा के पास बनाया जायेगा।
परियोजना से जुड़े एक अधिकारी ने बताया कि यह ई-गलियारा निजी कंपनी एडवांस सर्विस फॉर सोशल एंड एडमिनिस्ट्रेटिव रिफॉर्म्स (एएसएसएआर) की ईज ऑफ डूइंग बिजनेस प्रोग्राम (ईओडीबी) के तहत पहली प्रस्तावित परियोजना है। निजी कंपनी केंद्र सरकार से सहायतित है।
एएसएसएआर में नेशनल प्रोग्राम डाइरेक्टर ईओडीबी अभिजीत सिन्हा ने बताया कि इस परियोजना के तहत राजमार्ग का 500 किलोमीटर का भाग इलेक्ट्रिक गलियारे के तौर पर वाहनों को चार्ज करने की सुविधा से युक्त होगा। इन गलियारों पर इस सितंबर से टेस्ट रन शुरू होने की संभावना है और मार्च 2020 तक इस गलियारे का शुभारंभ किया जायेगा।’’
इन दो मार्गों पर 18 चार्जिंग स्टेशन स्थापित किए जाएंगे। इनमें आठ दिल्ली-आगरा व 10 दिल्ली-जयपुर के बीच होंगे। सिन्हा ने बताया कि वाहनों को चार्ज करने के अलावा लोग बैटरी भी बदल सकेंगे। उन्होंने कहा कि टोल प्लाजा के निकट चार्जिंग स्टेशन बनाए जाएंगे। प्रत्येक स्टेशन पर 8 से 10 चार्जर और 20 चार्जिंग स्थल होंगे।
सिन्हा ने बताया कि पूरी तरह चार्ज होने पर एसयूवी जैसा वाहन 180 किलोमीटर का सफर तय कर सकता है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि एक डीसी चार्जर को इस तरह के वाहन को पूरी तरह चार्ज करने में 1.25 घंटे का समय लगता है।
उन्होंने कहा कि ग्रेटर नोएडा और दिल्ली के बीच परी चौक पर छह और ऐसे चार्जिंग स्टेशन प्रस्तावित हैं। यह बेहद व्यस्त क्षेत्र है। सिन्हा ने कहा कि इसके लिए जमीन उपलब्ध कराने के लिए नोएडा प्राधिकरण से आग्रह किया गया है।
उन्होंने बताया कि एक चार्जिंग स्टेशन को विकसित करने में करीब दो करोड़ रुपये का खर्च आता है। इसमें बिजली का खर्च शामिल नहीं है।