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भारतीय वैज्ञानिकों ने पौधे खाने वाले डायनासोर की नई प्रजाति का पता लगाया, 'थारोसॉरस इंडिकस' नाम दिया गया

By शिवेन्द्र कुमार राय | Updated: August 8, 2023 14:35 IST

वैज्ञानिकों के अनुसार, डाइक्रायोसॉरिड डायनासोर के जीवाश्म पहले भी उत्तरी और दक्षिणी अमेरिका, अफ्रीका और चीन में पाए गए हैं, लेकिन भारत में ऐसे जीवाश्मों की जानकारी नहीं थी। इसे 'थारोसॉरस इंडिकस' नाम दिया गया है।

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ठळक मुद्देभारतीय वैज्ञानिकों ने डायनासोर की नई प्रजाति का पता लगायानई प्रजाति के जीवाश्म अवशेष राजस्थान के जैसलमेर में मिले लंबी गर्दन वाले और पौधे खाने वाले थे ये डायनासोर

नई दिल्ली : आईआईटी-रुड़की और भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआई) के वैज्ञानिकों ने विलुप्त हो चुके जीवभा है। वैज्ञानिकों को डायनासोर की नई प्रजाति के जीवाश्म अवशेष राजस्थान के जैसलमेर में मिले हैं। खास बात ये है कि जैसलमेर में जिस डाइक्रायोसॉरिड डायनासोर के सबसे पुराने जीवाश्म अवशेषों की खोज की गई है वह लंबी गर्दन वाले और पौधे खाने वाले थे। इस नई खोज से पता चला है कि भारत डायनासोर के विकास का एक प्रमुख केंद्र था।

आईआईटी-रुड़की और भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआई) के वैज्ञानिकों की ये नई शोध विज्ञान के संबंधित अंतरराष्ट्रीय पत्रिका नेचर में 'साइंटिफिक रिपोर्ट्स' में प्रकाशित की गई है। रिपोर्ट से  पता चलता है कि अवशेष 167 मिलियन वर्ष पुराने हैं और एक नई प्रजाति के हैं, जो अब तक वैज्ञानिकों के लिए अज्ञात है। इसे 'थारोसॉरस इंडिकस' नाम दिया गया है, पहला नाम 'थार रेगिस्तान' को संदर्भित करता है जहां जीवाश्म पाए गए थे। और दूसरा (इंडिकस)  इसके मूल देश के नाम पर है।

वैज्ञानिकों के अनुसार, डाइक्रायोसॉरिड डायनासोर के जीवाश्म पहले भी उत्तरी और दक्षिणी अमेरिका, अफ्रीका और चीन में पाए गए हैं, लेकिन भारत में ऐसे जीवाश्मों की जानकारी नहीं थी। आईआईटी रूड़की  में पृथ्वी विज्ञान विभाग में कशेरुक जीवाश्म विज्ञान के चेयर प्रोफेसर प्रोफेसर सुनील बाजपेयी ने कहा, "राजस्थान के जैसलमेर क्षेत्र में मध्य जुरासिक चट्टानों में 2018 में जीएसआई द्वारा शुरू किए गए एक व्यवस्थित जीवाश्म अन्वेषण और उत्खनन कार्यक्रम ने इस खोज को जन्म दिया है।" प्रोफेसर प्रोफेसर सुनील बाजपेयी ने अपने सहयोगी देबजीत दत्ता, जो एक राष्ट्रीय पोस्टडॉक्टरल फेलो हैं, के साथ लगभग पांच वर्षों तक जीवाश्मों का विस्तृत अध्ययन किया।

जैसलमेर में जिन चट्टानों में जीवाश्म पाए गए, वे लगभग 167 मिलियन वर्ष पुराने हैं। ये खोज इस नए भारतीय सॉरोपॉड को न केवल सबसे पुराना ज्ञात डाइक्रायोसॉरिड बनाती है, बल्कि विश्व स्तर पर सबसे पुराना डिप्लोडोकोइड (व्यापक समूह जिसमें डाइक्रायोसॉरिड्स और अन्य निकट से संबंधित सॉरोपॉड शामिल हैं) भी बनाती है। अब तक के सिद्धांतों ने सुझाव दिया था कि सबसे पुराना डाइक्रायोसॉरिड चीन का था जिसे लगभग 166-164 मिलियन वर्ष पुराना माना जाता है।

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