ब्लॉग: हिंद महासागर की बढ़ती गर्मी का मानसून पर असर

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: February 10, 2022 11:57 IST2022-02-10T11:54:25+5:302022-02-10T11:57:53+5:30

समुद्र में अत्यधिक उच्च तापमान (90 परसेंटाइल से ऊपर) के दौर को समुद्री हीटवेव कहते हैं. इन घटनाओं के कारण कोरल ब्लीचिंग, समुद्री घास के नुकसान और केल्प वनों के नुकसान के कारण समुद्री जीवन का विनाश भी होता है, जिससे मत्स्य क्षेत्र पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है. 

indian ocean heat wave affect of monsoon | ब्लॉग: हिंद महासागर की बढ़ती गर्मी का मानसून पर असर

ब्लॉग: हिंद महासागर की बढ़ती गर्मी का मानसून पर असर

Highlightsहिंद महासागर की बढ़ती गर्मी मॉनसून की बारिश को भी प्रभावित कर रही है.मन्नार की खाड़ी में 85 प्रतिशत कोरल मई, 2020 में समुद्री हीटवेव के बाद ब्लीच हो गए.ये हीटवेव उष्णकटिबंधीय हिंद महासागर में दुर्लभ हुआ करते थे।

हिंद महासागर की बढ़ती गर्मी मॉनसून की बारिश को भी प्रभावित कर रही है. हिंद महासागर की तेजी से गर्मी बढ़ने की वजह है एल नीनो नाम के समुद्री करेंट या महासागर धारा.

दरअसल, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ ट्रॉपिकल मीटरोलॉजी (आईआईटीएम), पुणे के वैज्ञानिक रॉक्सी मैथ्यू कोल के नेतृत्व में हुए एक अध्ययन से इन बातों का खुलासा होता है. 

जेजीआर ओशन्स नाम के जर्नल में प्रकाशित इस अध्ययन में, शोधकर्ताओं ने हिंद महासागर में तेजी से गर्म होने और मजबूत एल नीनो द्वारा प्रभावित समुद्री हीटवेव में उल्लेखनीय वृद्धि की चर्चा की है.

समुद्र में अत्यधिक उच्च तापमान (90 परसेंटाइल से ऊपर) के दौर को समुद्री हीटवेव कहते हैं. इन घटनाओं के कारण कोरल ब्लीचिंग, समुद्री घास के नुकसान और केल्प वनों के नुकसान के कारण समुद्री जीवन का विनाश भी होता है, जिससे मत्स्य क्षेत्र पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है. 

समुद्री सतह के नीचे हुए एक सर्वेक्षण से पता चला है कि तमिलनाडु तट के पास मन्नार की खाड़ी में 85 प्रतिशत कोरल मई, 2020 में समुद्री हीटवेव के बाद ब्लीच हो गए. 

हालांकि, हाल के अध्ययनों ने वैश्विक महासागरों में उनकी घटना और प्रभावों की सूचना दी है, उन्हें उष्णकटिबंधीय हिंद महासागर में कम से कम समझा जाता है.

ये हीटवेव उष्णकटिबंधीय हिंद महासागर में दुर्लभ हुआ करते थे, लेकिन अब ये एक वार्षिक मामला बन गए हैं. पश्चिमी हिंद महासागर क्षेत्र ने प्रति दशक लगभग डेढ़ गुना घटनाओं की दर से समुद्री हीटवेव में सबसे बड़ी वृद्धि का अनुभव किया, इसके बाद प्रति दशक 0.5 घटनाओं की दर से बंगाल की उत्तरी खाड़ी का स्थान है. 1982-2018 के दौरान, पश्चिमी हिंद महासागर में कुल 66 घटनाएं हुईं जबकि बंगाल की खाड़ी में 94 घटनाएं हुईं.

रॉक्सी कोल कहते हैं कि जलवायु मॉडल के अनुमान भविष्य में हिंद महासागर के और अधिक गर्म होने का अनुमान देते हैं, जो बहुत अधिक संभावना है कि समुद्री हीटवेव और मानसून वर्षा पर उनके प्रभाव को तेज करेंगे. 

उन्होंने ये भी कहा कि चूंकि समुद्री हीटवेव द्वारा कवर की गई आवृत्ति, तीव्रता और क्षेत्र बढ़ रहे हैं, इसलिए हमें इन घटनाओं की सटीक निगरानी करने के लिए अपनी महासागर अवलोकन सरणियों को बढ़ाने की जरूरत है, और एक गर्म दुनिया द्वारा प्रस्तुत चुनौतियों की कुशलता से भविष्यवाणी करने के लिए हमारे मौसम मॉडल को अपडेट करना होगा.

Web Title: indian ocean heat wave affect of monsoon

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