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गलवान पर भारत-चीन के बीच मेजर जनरल स्तर की बातचीत का नहीं निकाला कोई नतीजा: सूत्र

By पल्लवी कुमारी | Updated: June 17, 2020 23:26 IST

भारत-चीन सीमा विवाद: पूर्वी लद्दाख में गलवान घाटी में सोमवार रात (15 जून) को चीनी सैनिकों के साथ हिंसक झड़प में भारतीय सेना के एक कर्नल सहित 20 सैन्यकर्मी शहीद हो गए। पिछले पांच दशक से भी ज्यादा समय में सबसे बड़ी सैन्य झड़प के कारण क्षेत्र में सीमा पर पहले से जारी गतिरोध और भड़क गया है। (

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ठळक मुद्देचीन को एक कड़ा संदेश देते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि भारत शांति चाहता है किंतु यदि उकसाया गया तो वह माकूल जवाब देने में सक्षम है। पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में चीनी सैनिकों के साथ हिंसक झड़पों में 20 भारतीय जवानों के मारे जाने के बाद चीन के विदेश मंत्री ने जयशंकर से फोन पर बात की।

नई दिल्ली: लद्दाख के गलवान घाटी में चीनी सैनिकों के साथ हिंसक झड़प के बाद भारत-चीन के बीच मेजर जनरल स्तर की बातचीत हुई। सेना के सुत्रों के मुताबिक बातचीत फिलहाल बेनतीजा रही। बातचीत का कोई नतीजा नहीं निकल पाया है। हालांकि कहा जा रहा है कि आने वाले दिनों में दोनों देशों के बीच फिर से  मेजर जनरल स्तर की बातचीत हो सकती है। एनडीटीवी ने सूत्रों के हवाले से दावा  किया है, "वार्ता अनिर्णायक रही है... भी तत्काल हटने या स्थिति पर परिवर्तन में कोई नतीजा नहीं निकल पाया है।आने वाले दिनों में और अधिक बातचीत होने वाली है।" सोमवार रात (15 जून) पूर्वी लद्दाख में गलवान घाटी में चीनी सैनिकों के साथ हिंसक झड़प में  भारत के 20 जवान शहीद हो गए हैं। 

मेजर जनरल स्तरीय बातचीत में गलवान घाटी से सैनिकों के पीछे हटने की प्रक्रिया को लागू करने पर चर्चा हुई। छह जून को दोनों पक्षों के बीच उच्च स्तरीय सैन्य वार्ता में इसी पर सहमति बनी थी। लेह स्थित 3 इन्फेंट्री डिविजन के कमांडर मेजर जनरल अभिजीत बापट ने वार्ता में भारतीय प्रतिनिधित्व का नेतृत्व किया। मंगलवार (16 जून) को भी दोनों पक्षों के बीच मेजर जनरल स्तरीय बातचीत हुई थी। सूत्र ने बताया, ‘‘दोनों पक्षों की ओर से हिंसक झड़प के मुद्दे उठाए गए। भारत ने क्षेत्र में पीछे हटने की प्रकिया में तेजी लाने को कहा। हालांकि कोई सफलता नहीं मिली।

गलवान घाटी में झड़प के बाद थल सेना, नौसेना, वायु सेना ने बढ़ायी चौकसी

पूर्वी लद्दाख में गलवान घाटी में भारतीय और चीनी सेनाओं के बीच झड़प के मद्देनजर चीन के साथ लगी करीब 3,500 किलोमीटर की सीमा पर भारतीय थल सेना और वायु सेना के अग्रिम मोर्चे पर स्थित ठिकानों को बुधवार (17 जून) को हाई अलर्ट कर दिया गया। आधिकारिक सूत्रों ने यह जानकारी दी है। भारतीय नौसेना को हिंद महासागर क्षेत्र में अपनी सतर्कता बढ़ा देने को कहा गया है, जहां चीनी नौसेना की नियमित तौर पर गतिविधियां होती हैं। 

भारत-चीन सीमा (फाइल फोटो)

सूत्रों ने बताया कि प्रमुख रक्षा अध्यक्ष (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत और सेना के तीनों अंगों के प्रमुखों के साथ रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की उच्च स्तरीय बैठक के बाद तीनों बलों के लिए अलर्ट का स्तर बढ़ाने का निर्णय किया गया। उन्होंने बताया कि अरूणाचल प्रदेश, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास अग्रिम मोर्चे पर तैनात सभी ठिकानों और टुकड़ियों के लिए सेना पहले ही अतिरिक्त जवानों को भेज चुकी है। 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चीन को दिया कड़ा संदेश

चीन को एक कड़ा संदेश देते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि भारत शांति चाहता है किंतु यदि उकसाया गया तो वह माकूल जवाब देने में सक्षम है। पीएम मोदी ने कहा, भारतीय जवानों का बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा।  उन्होंने कहा कि हमें अपने जवानों पर गर्व करना चाहिए, वे मारते-मारते मरे हैं।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शाम (17 जून)  को प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात की और उन्हें किसी भी घटना से निपटने के लिए एलएसी के पास सैन्य ताकत को बढ़ाने के लिए उठाए गए कदमों के बारे में जानकारी दी।

चीन के विदेश मंत्री ने जयशंकर से फोन पर बात की, दोनों ने तनाव कम करने पर सहमति जताई

चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने विदेश मंत्री एस जयशंकर से फोन पर बात की और दोनों नेताओं ने तनावपूर्ण स्थिति को यथासंभव जल्द से जल्द शांत करने और दोनों देशों के बीच हुए समझौते के अनुरूप सीमावर्ती क्षेत्र में अमन-चैन बनाये रखने पर सहमति जताई। पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में सोमवार रात को चीनी सैनिकों के साथ हिंसक झड़पों में 20 भारतीय जवानों के मारे जाने के बाद दोनों मंत्रियों की टेलीफोन पर बातचीत हुई है। नई दिल्ली में विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि टेलीफोन बातचीत में जयशंकर ने वांग से हिंसक झड़पों पर कड़े से कड़े शब्दों में भारत का विरोध जाहिर किया और कहा कि अभूतपूर्व घटनाक्रम के द्विपक्षीय संबंधों पर गंभीर प्रभाव होंगे। 

विदेश मंत्री एस जयशंकर (फाइल फोटो)

उन्होंने चीनी पक्ष से उसकी गतिविधियों का पुनर्मूल्यांकन कर सुधारात्मक कदम उठाने को कहा। जयशंकर ने वांग से कहा, चीनी पक्ष ने पूर्व नियोजित और योजनाबद्ध तरीके से कार्रवाई की जो हिंसा और जवानों के हताहत होने के लिए सीधे तौर पर जिम्मेदार थी। इनमें यथास्थिति को नहीं बदलने के हमारे सभी समझौतों का उल्लंघन करते हुए जमीन पर तथ्यों को बदलने की मंशा नजर आती है। (पीटीआई-भाषा इनपुट के साथ) 

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