नई दिल्ली: गलवान घाटी में 15 जून को जब चीनी सैनिकों ने झड़प को टालने की बजाय भारतीय कर्नल बी. संतोष बाबू और अन्य पर बर्बरतापूर्ण हमला बोला तो उन्होंने जिनेवा समझौते का उल्लंघन किया. इस समझौते के तहत मध्य युग में इस्तेमाल होने वाले बर्बरतापूर्ण तौर-तरीकों का इस्तेमाल प्रतिबंधित है. भारत और चीन के बीच किए गए पुराने समझौतों के चलते दोनों ही तरफ के सैनिक एलएसी के दो किमी. के दायरे में गोलीबारी या बम का इस्तेमाल नहीं कर सके.
भारत-चीन सीमा: 1996 में किए गए समझौते में एलएसी के दोनों ओर व्यवहार को लेकर शर्तें तय की गई थीं
1996 में एचडी देवेगौड़ा के प्रधानमंत्रित्व काल के दौरान किए गए समझौते में एलएसी के दोनों ओर व्यवहार को लेकर शर्तें तय की गई थीं. इसलिए चीन का भारतीय सैनिकों के खिलाफ कीलों भरे रॉड्स और कंटीली तारों से लपेटे हुए पत्थरों और धातु की कील लगे डंडों का इस्तेमाल पूरी तरह से गलत था. 1996 के समझौते में भले ही इसका उल्लेख न हो, लेकिन 1949 के जिनेवा समझौते के 1977 प्रोटोकॉल 1 के तहत उन मध्ययुगीन तौर-तरीकों का इस्तेमाल प्रतिबंधित है, जिनका इस्तेमाल आमतौर पर कैदियों को प्रताडि़त करने के लिए किया जाता था.
भारत सरकार ने आधिकारिक तौर पर चीन द्वारा बर्बर हथियारों के इस्तेमाल पर कोई टिप्पणी नहीं की है. सूत्रों का कहना है कि भारतीय पक्ष विकल्पों पर विचार कर रहा है. चूंकि चीन का बर्बरतापूर्ण व्यवहार अंतरराष्ट्रीय नियमों का उल्लंघन है, तो क्या इसकी जानकारी अंतरराष्ट्रीय समुदाय को दी जाए? भारत को एक पूर्व प्रधानमंत्री द्वारा कश्मीर का मुद्दा संयुक्त राष्ट्र में ले जाने की गलती का पता है. लेकिन ''मध्ययुगीन बर्बर तौर-तरीकों'' का इस्तेमाल एक अलग मसला है.
संयुक्त राष्ट्र ने चीन की भारत में 1962 की घुसपैठ के बाद जिनेवा समझौते में संशोधन किया था
भारत हाल ही में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का अस्थायी सदस्य बना है. कई लोगों का मानना है कि भारत को चीन की बर्बरता के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मत तैयार करना चाहिए. संयुक्त राष्ट्र ने चीन की भारत में 1962 की घुसपैठ के बाद मूल जिनेवा समझौते में कुछ अतिरिक्त प्रोटोकॉल जोड़े थे. 1977 जिनेवा समझौते के आर्टिकल 35 के खंड तीन के सेक्शन 1 में लिखा गया है कि हथियारों से युद्ध में तरीके और साधन के इस्तेमाल का दोनों पक्षों का अधिकार असीमित नहीं है. (2) ऐसे किसी भी हथियार, प्रोजेक्टाइल, वस्तु या युद्ध के तरीके का इस्तेमाल प्रतिबंधित है जो अत्याधिक चोट या अनावश्यक पीड़ा का कारण बने.