61वीं कैवेलरी रेजीमेंट: दुनिया की इकलौती घुड़सवार सेना, तोपों की आवाज से भी नहीं भड़कते इस रेजिमेंट के घोड़े

By शिवेंद्र राय | Published: January 26, 2023 11:21 AM2023-01-26T11:21:16+5:302023-01-26T11:24:12+5:30

जिन जवानों को इस रेजिमेंट के लिए चुना जाता है उनके प्रशिक्षण की शुरुआत घोड़ों के साथ जान पहचान से होती है। प्रशिक्षण के शुरूआती दो महीने मेजवानों को घोड़ों की देखभाल और उनकी मालिश करना होता है। घंटों-घंटों तक जवानों को घोड़ों पर बैठाया जाता है ताकि घुड़सावार और घोड़े के बीच एक रिश्ता बन सके।

Indian army Cavalry Regiment only cavalry in the world Republic Day | 61वीं कैवेलरी रेजीमेंट: दुनिया की इकलौती घुड़सवार सेना, तोपों की आवाज से भी नहीं भड़कते इस रेजिमेंट के घोड़े

61वीं कैवेलरी रेजिमेंट दुनिया की इकलौती घुड़सवार सेना है

Highlightsदुनिया की इकलौती घुड़सवार सेना है 61वीं कैवेलरी रेजीमेंट61वीं कैवेलरी रेजिमेंट का मुख्यालय जयपुर में हैतोपों की आवाज से भी नहीं भड़कते इस रेजिमेंट के घोड़े

नई दिल्ली: देश आज  74वां गणतंत्र दिवस मना रहा है। आपने आज कर्तव्य पथ पर राष्ट्रपति के आगमन के दौरान घुड़सवार सेना को उनकी अगुवाई करते देखा होगा। भारतीय सेना की शान ये घुड़सवार सेना बेहद खास है और इसे 61वीं कैवेलरी रेजिमेंट के नाम से जाना जाता है। 61वीं कैवेलरी रेजिमेंट दुनिया की इकलौती घुड़सवार सेना है।

खासियत और इतिहास

61वीं कैवेलरी रेजीमेंट को 1 अगस्त 1953 को 6 राज्य बलों की घुड़सवार इकाइयों को मिलाकर स्थापित किया गया था। इस रेजिमेंट में शामिल जवानों को  18 महीनों के कड़े प्रशिक्षण के बाद घुड़सवारी में माहिर बनाया जाता है। आज की तारीख में दुनिया के किसी भी देश की सेना में घुड़सवार दस्ता नहीं है।  61वीं कैवेलरी रेजिमेंट का मुख्यालय जयपुर में है और यहीं जवानों को बेहतरीन घुड़सवार बनाने की ट्रेनिंग दी जाती है। ये जवान घुड़सवारी के साथ युद्ध कौशल में भी पारंगत होते हैं।

61वीं कैवेलरी रेजिमेंट के प्रतीक चिन्ह में दो सिर वाले बाज और नीचे 'सिक्सटी फर्स्ट कैवेलरी' शब्द के साथ एक स्क्रॉल होता है। रेजिमेंट का आदर्श वाक्य 'अश्व शक्ति यशोबल' है। इस रेजिमेंट की सबसे बड़ी खासियत है इसमें शामिल घोड़े। 61वीं कैवेलरी रेजीमेंट में घोड़ों को इस तरह प्रशिक्षित किया जाता है कि वह एक सैनिक की तरह किसी भी परिस्थिति से नहीं घबराते। यहां तक कि जब गणतंत्र दिवस जैसे किसी खास मौके पर तोपों की सलामी दी जाती है तब भी ये घोड़े बिल्कुल शांत खड़े रहते हैं और जरा सी भी प्रतिक्रिया नहीं देते।

भारतीय सेना की 61वीं कैवेलरी रेजिमेंट में शामिल जवानों और घोड़ों को बीच एक खास रिश्ता भी होता है। जिन जवानों को इस रेजिमेंट के लिए चुना जाता है उनके प्रशिक्षण की शुरुआत घोड़ों के साथ जान पहचान से होती है। प्रशिक्षण के शुरूआती दो महीने में जवानों को घोड़ों की देखभाल और उनकी मालिश करना होता है। घंटों-घंटों तक जवानों को घोड़ों पर बैठाया जाता है ताकि घुड़सावार और घोड़े के बीच एक रिश्ता बन सके।

61वीं कैवेलरी रेजीमेंट में शामिल जवान खेलों में भी महारत रखते हैं। इस घुड़सवार दस्ते के जवान पोलो में हिस्सा लेते हैं और अपने शानदार प्रदर्शन से अब तक 12 अर्जुन पुरस्कार जीत चुके हैं। 

Web Title: Indian army Cavalry Regiment only cavalry in the world Republic Day

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