India-Pakistan talks: मुंबई-पठानकोट में पाकिस्तान ने आतंकी हमला कर ‘विश्वासघात’ किया?, कांग्रेस नेता थरूर ने कहा-विदेश मंत्री जयशंकर से सहमत हूं, बातचीत संभव नहीं
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: February 11, 2025 14:57 IST2025-02-11T14:56:54+5:302025-02-11T14:57:49+5:30
India-Pakistan talks: ‘फोरेन कारेस्पोंडेंट क्लब’ (एफसीसी) में आयोजित एक संवाद के दौरान भारत-पाकिस्तान संबंधों पर एक सवाल के जवाब में थरूर ने कहा कि वह अपने जीवन के अधिकांश समय शांति के पक्षधर रहे हैं, ‘‘लेकिन मुझे भी लगता है कि वास्तविकता ने मुझे ठगा है।’’

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नई दिल्लीः कांग्रेस नेता शशि थरूर ने 26 नवंबर 2008 के मुंबई हमले और 2016 के पठानकोट आतंकवादी हमलों को ‘‘विश्वासघात’’ करार देते हुए सोमवार को कहा कि पाकिस्तान के साथ इस समय निर्बाध वार्ता संभव नहीं है, क्योंकि कोई इस तरह बात नहीं कर सकता कि जैसे कुछ हुआ ही नहीं हो। बहरहाल, थरूर ने लोगों के बीच आपसी संबंधों की वकालत की।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता @ShashiTharoor ने मोदी सरकार का समर्थन करते हुए कहा कि पाकिस्तान के साथ निर्बाध बातचीत संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि मुंबई और पठानकोट के आतंकी हमले को भुलाया नहीं जा सकता।#Pakistan
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"पाकिस्तान के लोगों के साथ पीपल टु पीपल इंटरैक्शन बढ़ाना चाहिए, उन्हें ज्यादा वीजा देना चाहिए"
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पीएम मोदी की विदेश नीति के दीवाने हुए शशि थरूर, इस मुद्दे पर मिलाई हां में हां, पाकिस्तान को लेकर कही बड़ी बात#shashitharoor#Pakistan#PMModihttps://t.co/Yw2dcwDcBY— India TV (@indiatvnews) February 11, 2025
उन्होंने जोर देकर कहा कि ‘‘बात न करना भी नीति नहीं है।’’ यहां ‘फोरेन कारेस्पोंडेंट क्लब’ (एफसीसी) में आयोजित एक संवाद के दौरान भारत-पाकिस्तान संबंधों पर एक सवाल के जवाब में थरूर ने कहा कि वह अपने जीवन के अधिकांश समय शांति के पक्षधर रहे हैं, ‘‘लेकिन मुझे भी लगता है कि वास्तविकता ने मुझे ठगा है।’’
थरूर ने कहा, ‘‘मैं वास्तव में विदेश मंत्री से सहमत हूं कि निर्बाध बातचीत संभव नहीं है क्योंकि आप प्रतिक्रिया देने के अलावा कुछ नहीं कर सकते। उदाहरण के लिए, जब 26/11 (मुंबई) हमला हुआ, तब हम बातचीत की प्रक्रिया में थे।’’ उन्होंने कहा, ‘‘आप इस तरह से बातचीत जारी नहीं रख सकते जैसे कि कुछ हुआ ही न हो।’’
थरूर ने साथ ही कहा कि जिस तरह से अमेरिका से भारतीयों के एक समूह को वापस भेजा गया, उससे स्वाभाविक रूप से भारत में काफी चिंता, आक्रोश और गुस्सा पैदा हुआ है तथा नयी दिल्ली को इस बारे में वाशिंगटन को ‘‘संवेदनशीलता से’’ संदेश देना होगा।