एलएसी पर तनावः दो मिनट के अलर्ट पर भारतीय वायुसेना, पैंगांग में आठ किमी सड़क बना चुका चीन, 10 हजार सैनिकों की आवाजाही

By सुरेश एस डुग्गर | Updated: June 18, 2020 18:25 IST2020-06-18T18:25:04+5:302020-06-18T18:25:04+5:30

गलवान वैली तथा पैंगांग झील के इलाकों में चीनी सेना ने आठ किमी लंबी सड़क का निर्माण कर रखा है। इस सड़क को पिछले महीने ही उस समय बनाया गया था जब उसके 10 हजार से अधिक सैनिक, टैंकों, बख्तरबंद वाहनों और तोपखानों के साथ भारतीय क्षेत्र में 8 से 10 किमी भीतर घुस आए।

India LAC Indian Air Force alert China built eight km road Pangang movement 10000 soldiers | एलएसी पर तनावः दो मिनट के अलर्ट पर भारतीय वायुसेना, पैंगांग में आठ किमी सड़क बना चुका चीन, 10 हजार सैनिकों की आवाजाही

पहली बार 5 मई की रात लद्दाख के पैंगोंग त्सो क्षेत्र के करीब विवादित फिंगर एरिया में पीएलए के सैनिक भारतीय सैनिकों से भिड़े थे। (file photo)

Highlightsचीन ने गलवान वैली में 50 से 60 वर्ग किमी भारतीय इलाके पर कब्जा कर रखा है पर सेना और प्रशासन ने इस पर खामोशी अख्तियार कर रखी है।सूत्रों ने बताया कि जरूरत पड़ने पर वहां से लड़ाकू विमानों को उड़ने के आदेश दिए जा सकते हैं।सुखोई 30 एमकेआई और मिराज 2000 जैसे अग्रिम पंक्ति के लड़ाकू विमानों को भी इस्तेमाल में लाया जा सकता है।

जम्मूः चीन सीमा पर युद्ध के मंडराते बादलों के बीच एलएसी पर तनाव के बीच सेना के बाद अब वायुसेना को दो मिनट के अलर्ट पर रहने को कहा गया है। वायुसेना ने लड़ाकू विमानों को भी फारवर्ड एरिया में तैयार रखा है। श्रीनगर, लेह, चंडीगढ़ के एयरबेस को एक्टिवेट कर दिया गया है।

दरअसल गलवान वैली तथा पैंगांग झील के इलाकों में चीनी सेना ने आठ किमी लंबी सड़क का निर्माण कर रखा है। इस सड़क को पिछले महीने ही उस समय बनाया गया था जब उसके 10 हजार से अधिक सैनिक, टैंकों, बख्तरबंद वाहनों और तोपखानों के साथ भारतीय क्षेत्र में 8 से 10 किमी भीतर घुस आए। एक सूचना के मुताबिक, चीन ने गलवान वैली में 50 से 60 वर्ग किमी भारतीय इलाके पर कब्जा कर रखा है पर सेना और प्रशासन ने इस पर खामोशी अख्तियार कर रखी है।

विमानों का बेस हलवारा और ग्वालियर में है

सूत्रों ने बताया कि जरूरत पड़ने पर वहां से लड़ाकू विमानों को उड़ने के आदेश दिए जा सकते हैं। इस बीच सूत्रों के अनुसार चीन को करारा जवाब देने के लिए जरूरत पड़ने पर सुखोई 30 एमकेआई और मिराज 2000 जैसे अग्रिम पंक्ति के लड़ाकू विमानों को भी इस्तेमाल में लाया जा सकता है। इन दोनों विमानों का बेस हलवारा और ग्वालियर में है।

जानकारी के लिए इस साल पहली बार 5 मई की रात लद्दाख के पैंगोंग त्सो क्षेत्र के करीब विवादित फिंगर एरिया में पीएलए के सैनिक भारतीय सैनिकों से भिड़े थे। इस घटना के बाद पीएलए के हेलिकॉप्टरों को इसी इलाके में एलएसी के करीब देखा गया था। इसकी सूचना के बाद वायु सेना के सुखोई ने भी एलएसी के करीब एयर पेट्रोलिंग की थी। सूत्रों के मुताबिक 5 मई को ऐसा पहली बार हुआ है कि पीएलए के हेलिकॉप्टरों के खिलाफ  वायुसेना ने फाइटर जेट्स का इस्तेमाल किया। इससे पहले 1962 की जंग में भी भारत ने चीन के खिलाफ वायुसेना का इस्तेमाल नहीं किया था।

बार्डर के चार किमी दायरे में हेलिकाप्टर को नहीं उड़ाया जा सकता है

असल में इंटरनेशनल नियमों के मुताबिक, बार्डर के चार किमी दायरे में हेलिकाप्टर को नहीं उड़ाया जा सकता है पर चीन तथा भारत में एलएसी को कोई बंटवारा अभी तक मान्य नहीं होने से इन नियमों की अवहेलना होती रहती है। याद रहे लद्दाख में वायुसेना के दो एयरबेस हैं लेकिन वहां पर फाइटर जेट्स की कोई स्क्वाड्रन नहीं है। जरूरत पड़ने पर वायुसेना के श्रीनगर, चंडीगढ़, पंजाब या हरियाणा एयरबेसों से लड़ाकू विमानों को अस्थायी तौर पर तैनात किया जाता है।

सूत्र कहते हैं कि वायुसेना को इसलिए अलर्ट पर रखा गया है क्योंकि सेना जानती है कि अगर लद्दाख के मोर्चे पर जंग छिड़ी तो सबसे अहम भूमिका वायुसेना की ही होगी क्योंकि शून्य से कई डिग्री नीचे के तापमान में ऊंचे पहाड़ों पर कब्जा जमा कर बैठी चीनी सेना से मुकाबला थोड़ा कठिन होगा। पर एक सेनाधिकारी के बकौल, करगिल युद्ध तथा दुनिया के सबसे ऊंचे युद्धस्थल सियाचिन हिमखंड में 36 सालों की लड़ाई का अनुभव सिर्फ भारतीय सेना के ही पास है।

Web Title: India LAC Indian Air Force alert China built eight km road Pangang movement 10000 soldiers

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