अपने बुनियादी ढांचे को मजबूत कर रहा भारत, 27000 करोड़ खर्च कर बनाएगा एलएसी पर 1748 किमी 'फ्रंटियर हाईवे', जानें
By सत्या द्विवेदी | Updated: December 19, 2022 14:03 IST2022-12-19T13:43:23+5:302022-12-19T14:03:25+5:30
बार बार चीन की ओर से हो रही घुसपैठ के बीच एक नई खबर सामने आई है। भारत एलएसी पर अपने बुनियादी ढांचे को मजबूत करते हुए 1748 किमी. का 'फंटियर हाईवे' बनाने जा रहा है। जिसमें करीबन 27000 करोड़ रुपए की लागत लगने वाली है ।

अपने बुनियादी ढांचे को मजबूत कर रहा भारत, 27000 करोड़ खर्च कर बनाएगा एलएसी पर 1748 किमी 'फ्रंटियर हाईवे', जानें
दिल्ली: सरकार अगले पांच वर्षों में अरुणाचल प्रदेश में एक नया राजमार्ग बनाने की योजना बनी रही है। जो भारत-तिब्बत-चीन-म्यांमार सीमा के करीब से गुजरेगा। कुछ जगहों पर यह ‘फ्रंटियर हाईवे’ अंतरराष्ट्रीय सीमा से 20 किमी के करीब होगा। रिपोर्ट के मुताबिक, केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय इस 1,748 किलोमीटर लंबी टू-लेन सड़क का निर्माण करेगा, जिसका बहुत बड़ा सामरिक महत्व है और इसे बनाने का उद्देश्य सीमावर्ती क्षेत्रों से लोगों के प्रवास को रोकना है। यह सबसे लंबा प्रस्तावित राष्ट्रीय राजमार्ग है, जिसे केंद्र द्वारा हाल ही के दिनों में एक बार में अधिसूचित किया गया है।
एलएसी पर भारत की ओर से बुनियादी ढांचे का निर्माण
चीन के बार-बार घुसपैठ के प्रयासों को देखते हुए यह सड़क सीमा पर सुरक्षा बलों और उपकरणों की बिना किसी रोक के आवाजाही के लिए बेहद जरूरी होगी, जिसे NH-913 के नाम से जाना जाएगा।
बता दें चीन कथित तौर पर एलएसी पर अपनी तरफ बुनियादी ढांचे का निर्माण कर रहा है। एलएसी पर अपनी तैयारियों को पुख्ता रखने के लिए भारत भी सीमावर्ती क्षेत्रों में अपने बुनियादे ढ़ांचे को मजबूत कर रहा है।
कहां-कहां से होकर गुजरेगा राष्ट्रीय राजमार्ग -913
यह राष्ट्रीय राजमार्ग बोमडिला से शुरू होगा और नफरा, हुरी और मोनिगोंग से होकर गुजरेगा, जो भारत-तिब्बत सीमा पर निकटतम बिंदु है। यह सड़क जिदो और चेनक्वेंटी से भी गुजरेगी, जो चीन सीमा के सबसे करीब हैं और भारत-म्यांमार सीमा के पास विजयनगर में समाप्त होगी। पूरे नेशनल हाईवे को 9 पैकेजों में बांटा गया है। केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने कहा था कि इस परियोजना पर लगभग 27,000 करोड़ रुपये खर्च होंगे, लेकिन अब सरकार लागत कम करने के विकल्पों पर विचार कर रही है। इस परियोजना के 2026-27 तक पूरा होने की उम्मीद है।’
2016 में इस प्रोजेक्ट को लेकर की गई थी पहल
इस प्रोजेक्ट को लेकर पहली बार 2016 में ‘एम्पावर्ड कमेटी ऑन बॉर्डर इंफ्रास्ट्रक्चर’ ने सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय से, रक्षा मंत्रालय और राज्य सरकार के परामर्श से, गृह मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले सीमा प्रबंधन विभाग द्वारा अंतिम रूप से तैयार किए गए एलाइनमेंट के आधार पर विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (DPRs) तैयारी के लिए कदम उठाने की सिफारिश की थी। बाद में जुलाई 2018 में गृह मंत्रालय ने इस प्रोजेक्ट के अंतर्गत कुछ अन्य क्षेत्रों को जोड़ने के लिए अपना इनपुट दिया।