भारत को उम्मीद, चीन सीमा पर पूरी तरह तनाव खत्म करने के लिए गंभीरता से मिलकर काम करेगा
By भाषा | Published: August 15, 2020 05:47 AM2020-08-15T05:47:43+5:302020-08-15T05:47:43+5:30
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा ‘‘हम चाहेंगे कि सीमा पर सैनिकों के पीछे हटने की प्रक्रिया जल्द से जल्द पूरी हो, यह ध्यान रखना आवश्यक है कि इसे हासिल करने में दोनों पक्षों द्वारा सहमत कार्रवाइयों को पूरा करना जरूरी है।’’
नई दिल्लीः भारत ने शुक्रवार को कहा कि उसे उम्मीद है कि वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास ‘‘पूरी तरह तनाव खत्म करने के लिए’’ चीन उसके साथ ‘‘गंभीरता’’ से काम करेगा और भविष्य के द्विपक्षीय संबंधों को सीमा की स्थिति से जुड़ा हुआ बताया। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा कि द्विपक्षीय संबंधों के संपूर्ण विकास के लिए दोनों पक्षों की सहमति के अनुसार सीमावर्ती इलाकों में शांति और स्थिरता की ‘‘पूर्णतया बहाली’’ आवश्यक है।
श्रीवास्तव ने संवाददाताओं से ऑनलाइन बैठक में कहा, ‘‘विदेश मंत्री (एस. जयशंकर) ने हाल में एक साक्षात्कार में कहा था, ‘सीमा के हालात और भविष्य के गठबंधन को अलग-अलग नहीं देखा जा सकता है।’’’ पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में तनाव को कम करने के लिए भारत और चीन के बीच पिछले कुछ हफ्ते में कई दौर की राजनयिक एवं सैन्य वार्ताएं हुई हैं। बहरहाल, भारत की उम्मीद के मुताबिक प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ सकी है।
श्रीवास्तव ने कहा, ‘‘हम चाहेंगे कि सीमा पर सैनिकों के पीछे हटने की प्रक्रिया जल्द से जल्द पूरी हो, यह ध्यान रखना आवश्यक है कि इसे हासिल करने में दोनों पक्षों द्वारा सहमत कार्रवाइयों को पूरा करना जरूरी है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हम उम्मीद करते हैं कि चीनी पक्ष तनाव पूरी तरह खत्म करने, सैनिकों को पीछे हटाने और सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति एवं स्थिरता कायम करने के लिए हमारे साथ गंभीरता से विशेष प्रतिनिधियों की सहमति के मुताबिक काम करेगा।’’
श्रीवास्तव पांच जुलाई को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल और चीन के विदेश मंत्री वांग यी द्वारा सीमा पर सैनिकों को पीछे हटाने के लिए टेलीफोन पर की गई वार्ता के दौरान लिए गए निर्णयों का जिक्र कर रहे थे। डोभाल और वांग सीमा वार्ता के लिए विशेष प्रतिनिधि हैं। डोभाल-वांग की वार्ता के एक दिन बाद छह जुलाई को सैनिकों के पीछे हटने की औपचारिक प्रक्रिया शुरू हो गई थी। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि दोनों पक्ष सैनिकों को पीछे हटाने के व्यापक सिद्धांत पर सहमत हैं और इसी के आधार पर पहले कुछ प्रगति भी हुई।
श्रीवास्तव ने कहा, ‘‘मैं कहना चाहता हूं कि इन सिद्धांतों को हकीकत में बदलना जटिल प्रक्रिया है जिसमें दोनों पक्षों को अपने सैनिकों को अपने -अपने एलएसी की तरफ से नियमित चौकियों में फिर से भेजे जाने की जरूरत है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘यह स्वाभाविक है कि इसे परस्पर सहमति से किया जा सकता है। हम चाहेंगे कि सैनिकों को पीछे हटाने की प्रक्रिया जल्द से जल्द पूरी की जाए लेकिन यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि इसके लिए दोनों पक्षों द्वारा जिन बिंदुओं पर सहमति बनी थी उनका पालन करना जरूरी है।’’