अमेरिका से मिली तेल खरीद छूट पर उत्साहित नहीं दिखना चाहता है भारत

By संतोष ठाकुर | Published: November 4, 2018 08:59 AM2018-11-04T08:59:18+5:302018-11-04T08:59:18+5:30

India does not want to see excited on the oil purchase discount from USA | अमेरिका से मिली तेल खरीद छूट पर उत्साहित नहीं दिखना चाहता है भारत

अमेरिका से मिली तेल खरीद छूट पर उत्साहित नहीं दिखना चाहता है भारत

3 नवंबर पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने शनिवार को कहा कि अमेरिका ने भारत को ईरान से तेल खरीदने पर छूट दे दी है. इसके साथ ही सात अन्य देशों को भी यह छूट दी गई है. ये सभी तेल उपयोगकर्ता देश हैं. ईरान के परमाणु परीक्षण पर नाराजगी जताते हुए अमेरिका ने सभी देश पर उससे तेल खरीदने पर प्रतिबंध लगा दिया था. इससे भारत को भी समस्या हो गई थी. लेकिन सरकार के अंदर इस राहत पर श्रेय लेने को लेकर बहुत अधिक उत्साह नहीं है. इसकी वजह यह है कि सरकार को भरोसा नहीं है कि अमेरिका की ओर से अगला ऐलान क्या हो.

ऐसे में सरकार केवल संतुलित बयान तक अपने को सीमित रखना चाहती है. यही वजह है कि शनिवार को जब धर्मेंद्र प्रधान ने इस छूट की जानकारी दी तो उन्होंने इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लगातार प्रयास बताते हुए अन्य जानकारी साझा करने से इनकार कर दिया. सूत्रों के मुताबिक अमेरिका से मिली इस छूट को लेकर सबसे अधिक भूमिका विदेश मंत्रालय ने निभाई. उसने यहां से लेकर अमेरिका तक लगातार सभी स्तर पर अमेरिकी अधिकारियों से बातचीत की. उन्हें यह समझाने में सफलता हासिल की कि वह ईरान के परमाणु अभियान का समर्थन या विरोध नहीं करता है.

उसका स्पष्ट मानना रहा है कि शक्ति का उपयोग केवल शांति के लिए और अपने विकास व अंतर्राष्ट्रीय उत्थान के लिए होना चाहिए. अमेरिका अगर तेल खरीद पर प्रतिबंध लगाना भी चाहता है तो वह भारत के इतिहास को देखकर यह निर्णय करे. एक अधिकारी ने कहा, ''जब सेक्रेटरी पोम्पियो भारत में टू प्लस टू वार्ता के लिए भारत आए थे तो उस समय भी उनसे इस मुददे पर चर्चा की गई. इसी तरह से अमेरिका में स्थित भारतीय दूतावास ने भी लगातार अमेरिका में हर प्रशासन स्तर पर अपना पक्ष रखा. दूसरी ओर, पेट्रोलियम मंत्रालय ने भी लगातार अपने स्तर पर भारत की जरूरत और तेल उपयोग को लेकर जानकारी अमेरिका से साझा की.

इस मामले में विदेश सचिव विजय गोखले और पेट्रोलियम सचिव डॉ. एम. एम. कुट्टी ने भी पिछले महीनों लगातार हर स्तर पर अमेरिकी प्रशासन को यह समझाने का प्रयास जारी रखा कि भारत कच्चे तेल पर अपनी निर्भरता की वजह से ईरान से तेल खरीदना चाहता है. दुनिया जानती है कि हम अपनी जरूरत का लगभग 80% तेल आयात करते हैं. भारत एक बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था है और ऐसे में बिना तेल आयात के हमारा विकास प्रभावित हो सकता है. इसे अमेरिका प्रशासन ने वास्तुस्थिति आधार पर स्वीकार किया और उसी का नतीजा है कि उसने भारत को भी अन्य सात देशों के साथ तेल आयात के लिए अपने प्रतिबंध से राहत दी है.''

सभी ने मिलकर किए प्रयास: आखिर क्या वजह है कि सरकार के अंदर इस पर श्रेय लेने को लेकर कोई होड़ नहीं है. एक अधिकारी ने कहा, ''पहली बात तो यह है कि किसी भी मंत्रालय ने एकल स्तर पर यह कार्य नहीं किया है. सरकार ने जो दिशा-निर्देश दिए और रास्ता दिखाया उसी के आधार पर सभी अधिकारियों ने अपनी भूमिका निभाई. दूसरा, यह श्रेय लेने का मामला नहीं है. यह हमारी जरूरत से जुड़ा प्रश्न था. यही वजह है कि स्वयं प्रधानमंत्री ने भी अपने स्तर पर इसको लेकर प्रयास किए. ऐसे में जब स्वयं प्रधानमंत्री किसी मामले से सीधे जुड़े हों तो यह श्रेय सिर्फ उन्हें ही जाना चाहिए. हर अधिकारी ने दी गई भूमिका का ही निर्वहन किया है.'' भारत ने ईरान से 2017-18 में 22 मिलियन टन तेल की खरीद की थी और 2018-19 में यह मात्रा 30 मिलियन टन तक ले जाने का इरादा व्यक्त किया गया था.

Web Title: India does not want to see excited on the oil purchase discount from USA

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