भारत, क्रोएशिया ने पारंपरिक चिकित्सा प्रणालियों में अनुसंधान सहयोग समझौते पर हस्ताक्षर किए
By भाषा | Published: October 8, 2021 02:36 PM2021-10-08T14:36:40+5:302021-10-08T14:36:40+5:30
नयी दिल्ली, आठ अक्टूबर भारत और क्रोएशिया ने पारंपरिक चिकित्सा प्रणालियों खासकर आयुर्वेद में अकादमिक अनुसंधान और दक्षता निर्माण के लिए सहयोग की खातिर एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए हैं। आयुष मंत्रालय ने एक बयान में यह जानकारी दी है।
बयान के अनुसार, समझौता ज्ञापन पर अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान (एआईआईए) और क्रोएशिया के क्वार्नर हेल्थ टूरिज्म क्लस्टर के बीच हस्ताक्षर किए गए। एआईआईए आयुष मंत्रालय के तहत एक स्वायत्त संस्थान है।
बयान में कहा गया है कि क्रोएशिया के साथ समझौता ज्ञापन अन्य देशों के साथ भारत के संबंधों को मजबूत करने और शैक्षणिक अनुसंधान, नैदानिक और शैक्षिक गतिविधियों, चिकित्सा शिक्षा, प्रशिक्षण और दक्षता निर्माण को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
बयान के अनुसार, आयुष मंत्रालय के आयुर्वेद सलाहकार डॉ. मनोज नेसारी ने विशेष सचिव (आयुष) प्रमोद कुमार पाठक और क्रोएशिया में भारत के राजदूत राज श्रीवास्तव की उपस्थिति में एआईआईए की ओर से समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए।
प्रमोद कुमार पाठक के नेतृत्व में छह सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल इस सप्ताह की शुरुआत में पहले अंतरराष्ट्रीय योग और आयुर्वेद सम्मेलन में भाग लेने के लिए क्रोएशिया की यात्रा पर गया था।
मंत्रालय के अनुसार, इसके तहत दोनों पक्ष चयनित संस्थानों के सहयोग से आयुर्वेद के क्षेत्र में अकादमिक गतिविधियां संचालित करेंगे।
बयान के अनुसार, ‘‘ इसके तहत संस्थाओं में अनुसंधान पर निकट सहयोग और समन्वय पर जोर दिया जायेगा जिसमें अध्ययन डिजाइन और निष्पादन, आयुर्वेदिक सिद्धांतों और परंपराओं को आधुनिक चिकित्सा के साथ एकीकृत करने के लिए साक्ष्य-आधारित दिशा-निर्देश विकसित करना, व्याख्यान, कार्यशालाएं, सेमिनार और सम्मेलन आयोजित करना तथा आयुर्वेद पर ऐसी अन्य गतिविधियां शामिल हैं।’’
इसमें कहा गया है कि दोनों पक्ष संस्थान, अंतिम उपयोगकर्ताओं तथा हितधारकों की जरूरतों के अनुसार शैक्षणिक मानकों और पाठ्यक्रमों का विकास करेंगे और क्रोएशिया में आयुर्वेद की शिक्षा के लिए आयुर्वेदिक चिकित्सा शिक्षा दिशा-निर्देश तैयार करेंगे।
नेसारी ने कहा, ‘‘यह अकादमिक अनुसंधान, नैदानिक और शैक्षिक गतिविधियों, चिकित्सा शिक्षा, प्रशिक्षण और दक्षता निर्माण को बढ़ावा देगा।
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