सीमा पर तनावः वायुसेना ने कहा- आधे घंटे में पहुंचा देंगे टैंक और तोपखाने, लद्दाख में तैनात जवान गम और गुस्से में
By सुरेश एस डुग्गर | Published: June 17, 2020 05:21 PM2020-06-17T17:21:17+5:302020-06-17T17:21:17+5:30
भारतीय वायुसेना ने कहा है कि वह आदेश मिलने पर मात्र आधे घंटे में ही चीन सीमा पर टैंकों और तोपखानों को पहंचा देगी। दूसरी ओर इतना जरूर था कि चीनी सैनिकों के हाथों शहादत पाने वाले अपने साथियों की मौत पर लद्दाख में तैनात जवान गम और गुस्से में हैं।
जम्मूः चीन सीमा पर बढ़ते तनाव और खूरेंजी झड़पों के बाद भारतीय वायुसेना ने अपनी तैयारियां आरंभ की हैं। दरअसल चीन सीमा की स्थिति को देखते हुए वहां सैनिक साजो सामान पहुंचाना सबसे दुर्गम काम होता है और इसके प्रति तैयारियों में जुटी भारतीय वायुसेना ने कहा है कि वह आदेश मिलने पर मात्र आधे घंटे में ही चीन सीमा पर टैंकों और तोपखानों को पहंचा देगी। दूसरी ओर इतना जरूर था कि चीनी सैनिकों के हाथों शहादत पाने वाले अपने साथियों की मौत पर लद्दाख में तैनात जवान गम और गुस्से में हैं।
पूर्वी लद्दाख में भारतीय सेना व वायुसेना मजबूत स्थिति में हैं। युद्ध के मैदान में भारतीय जवानों के हौसले का जवाब नहीं है और कारगिल में पाकिस्तान के साथ चीन को भी इसका संदेश मिल चुका है। अब दौलतबेग ओल्डी समेत तीन एडवांस लैंडिंग ग्राउंड बनने से सैन्य क्षमता में कई गुणा इजाफा हुआ है। अब भारतीय वायुसेना देश के अन्य हिस्सों से महज तीस मिनट में टैंक, तोपखाना और जवानों को लद्दाख पहुंचा सकती है। पिछले दिनों चिनूक हेलीकॉप्टर और तेजस विमानों की गूंज बीजिंग तक सुनाई दी गई थी।
दो साल पहले वायुसेना ने 500 टन के साजो सामान से भरे ग्लोब मास्टर समेत अपने सोलह बड़े विमानों को उतारकर चीन को स्पष्ट संकेत दे दिया था कि अब वह किसी गलतफहमी में न रहे। सेना की मजबूती और चीन से उसके कब्जे वाले अक्साई चिन इलाके को वापस लेने के मोदी सरकार के दावों से भी चीन की नींद उड़ा दी है। पूर्वी लद्दाख के अक्साई चिन का 38 हजार किलोमीटर चीन के कब्जे में है।
इस बीच लद्दाख में तैनात जवान अपने साथियों की शहादत का बदला चाहते हैं। लद्दाख की सुरक्षा का जिम्मा सेना की उत्तरी कमान की चौदह कोर के पास है। हाल ही में कोर कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल हरेंद्र सिंह चीन से बातचीत की प्रक्रिया में शामिल हुए थे। उत्तरी कमान के प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल वाईके जोशी कारगिल युद्ध के हीरो होने के नाते उच्च पर्वतीय इलाकों में वारफेयर के माहिर हैं। उन्हें कारगिल युद्ध में वीर चक्र मिला था।
यही नहीं लद्दाख में चीन के सैनिकों से हिंसक झड़पों में सेना के कर्नल समेत 20 से ज्यादा सैन्यकर्मियों की शहादत से लोगों में भी गम और गुस्सा है। सेना बदला तो लद्दाख के निवासी भी चाहते हैं कि चीन को ईट का जवाब पत्थर से दिया जाए। करगिल युद्ध के बाद यह पहली बार है जब भारतीय सेना के तीन जवान पूर्वी लद्दाख में दुश्मन देश के जवानों के मंसूबों को नाकाम करते हुए वीरगति को प्राप्त हुए। करगिल युद्ध के बाद लद्दाख में कभी ऐसे हालात नहीं उपजे, जिनमें सैनिक लड़ते हुए शहीद हुए हों। लद्दाख की सुरक्षा में तैनात सेना की लद्दाख स्काउट्स के अधिकतर जवान लद्दाखी हैं। इन जवानों ने कारगिल युद्ध में अपनी वीरता का लोहा मनवाया था।