भारत-चीन खूनी झड़पः शहीद हुए कर्नल संतोष बाबू के परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल

By रामदीप मिश्रा | Published: June 17, 2020 09:17 AM2020-06-17T09:17:14+5:302020-06-17T10:03:53+5:30

भारत-चीन सीमा विवादः भारतीय सेना के सूत्रों ने बताया कि झड़प में हथियारों का इस्तेमाल नहीं किया गया और अधिकतर जवान चीनी पक्ष द्वारा किए गए पथराव और लोहे की छड़ों के इस्तेमाल के कारण घायल हुए।

india china tension on border: first, we did not believe it says Parents of martyr Col Santosh Babu | भारत-चीन खूनी झड़पः शहीद हुए कर्नल संतोष बाबू के परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल

लद्दाख में चीनी सैनिकों से झड़प में कर्नल संतोष बाबू शहीद हो गए हैं। (फाइल फोटो)

Highlightsपूर्वी लद्दाख में गलवान घाटी में चीनी सैनिकों के साथ हिंसक झड़प में भारतीय सेना के 20 सैनिक शहीद हो गए। इस झड़प में शहीद हुए कर्नल संतोष बाबू 16वीं बिहार रेजिमेंट के कमांडिंग अधिकारी थे।

नई दिल्लीः भारत और चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर तनाव बरकरार है। पूर्वी लद्दाख में गलवान घाटी में चीनी सैनिकों के साथ हिंसक झड़प में भारतीय सेना के 20 सैनिक शहीद हो गए। इस झड़प में शहीद हुए कर्नल संतोष बाबू 16वीं बिहार रेजिमेंट के कमांडिंग अधिकारी थे। वह तेलंगाना के निवासी थे। उनके शहीद होने की खबर सुनते ही तेलंगाना के सूर्यपेट शहर में मातम पसर गया। घर वालों का रो-रोकर बुरा हाल है। 

समाचार एजेंसी एएनआई की रिपोर्ट के अनुसार, शहीद संतोष बाबू के माता पिता का कहा, 'पहले तो हमें विश्वास नहीं हुआ लेकिन बाद में उच्च अधिकारियों ने हमें बताया कि क्या हुआ है, हम गहरे सदमे में हैं। हमारे बेटे को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा।' कर्नल संतोष डेढ़ साल से सीमा पर तैनात थे और परिवारा में माता-पिता के अलावा पत्नी, एक 9 साल की बेटी अभिनव और एक 4 साल का बेटा अनिरुद्ध है।

शहीद कर्नल संतोष की मां मंजुला का कहना है कि उन्हें अपने बेटे पर गर्व है जिसने मातृभूमि के लिए बलिदान दिया। संतोष के शहीद होने की खबर उन्हें दोपहर में मिली, जबकि संतोष की पत्नी इस बारे में सुबह से जानती थी। एक मां के रूप में वह आज बहुत दुखी हैं। उनका एकलौता बेटा था 

1967 में 300 चीनी सैनिक मारे गए थे

बता दें, पिछले पांच दशक से भी ज्यादा समय में सबसे बड़े सैन्य टकराव के कारण गलवान घाटी क्षेत्र में सीमा पर पहले से जारी गतिरोध और भड़क गया। भारतीय सेना ने भी चीन को करारा जवाब दिया है और उसके भी कई सैनिकों की झड़प में मौत हुई है। वर्ष 1967 में नाथू ला में झड़प के बाद दोनों सेनाओं के बीच यह सबसे बड़ा टकराव है। उस वक्त टकराव में भारत के 80 सैनिक शहीद हुए थे और 300 से ज्यादा चीनी सैन्यकर्मी मारे गए थे। 

भारतीय सेना का बयान

सेना के एक बयान में कहा गया, 'भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच गलवान क्षेत्र में जिस स्थान पर 15/16 जून की रात झड़प हुई, वहां से दोनों तरफ के सैनिक हट गए हैं।' इसमें यह नहीं बताया गया है कि सैन्यकर्मी किस प्रकार हताहत हुए हैं और दोनों पक्षों के बीच किसी तरह के गोलाबारी का भी उल्लेख नहीं किया गया है। भारतीय सेना के सूत्रों ने बताया कि झड़प में हथियारों का इस्तेमाल नहीं किया गया और अधिकतर जवान चीनी पक्ष द्वारा किए गए पथराव और लोहे की छड़ों के इस्तेमाल के कारण घायल हुए।

Web Title: india china tension on border: first, we did not believe it says Parents of martyr Col Santosh Babu

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