भारतीय विदेश मंत्रालय ने शुक्रवार को चीन के साथ पूर्वी लद्दाख में सीमा रेखा पर जारी विवाद को लेकर दोनों देशों के बीच चल रही कूटनीतिक वार्ता को लेकर जानकारी दी। विदेश मंत्रालय ने कहा कि दोनों पक्षों ने वास्तविक नियंत्रण रेखा पर स्थिति और सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया की समीक्षा की है।
विदेश मंत्रालय ने बताया, "दोनों पक्ष इसपर सहमत हुए हैं कि वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर सैनिकों की जल्दी और पूरी तरह से वापसी संबंधों की बेहतरी के लिए महत्वपूर्ण है। दोनों पक्ष इसपर सहमत हुए हैं कि सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति और स्थिरता व्यापक संबंधों के लिए आवश्यक है।"
इसके अलावा विदेश मंत्रालय ने बताया कि दोनों पक्षों में कूटनीतिक और सैन्य स्तर पर मौजूदा बातचीत को जारी रखने पर सहमति बनी है। दोनों पक्ष सैनिकों की पूर्ण वापसी की रूपरेखा तय करने के लिए जल्दी ही वरिष्ठ कमांडरों की बैठक होगी। दोनों पक्ष इसपर सहमत हुए कि बैठकों में वरिष्ठ कमांडरों के बीच बनी सहमति को गंभीरता से लागू करने की जरुरत है।
लद्दाख में 20 भारतीय जवान हो गए थे शहीद
इस दौरान दोनों पक्ष गलवान घाटी से शुरुआत करते हुए टकराव के सभी स्थानों से धीरे-धीरे पीछे हटने पर राजी हुए थे। दूसरे दौरे की वार्ता 22 जून को हुई थी। भारतीय और चीनी सेनाओं के बीच पांच मई से ही पूर्वी लद्दाख में कई स्थानों पर तनाव गहरा गया। इसके बाद गलवान घाटी में भारत के 20 सैन्यकर्मियों के शहीद होने के बाद यह तनाव और बढ़ गया। चीनी सेना को भी नुकसान हुआ लेकिन उसने इस बारे में कुछ नहीं बताया है। अमेरिकी खुफिया रिपोर्ट के मुताबिक चीन के 35 सैनिक हताहत हुए।