कोविड महामारी और जलवायु संकट के कारण सुंदरबन में बाल विवाह के मामलों में वृद्धि

By भाषा | Updated: September 26, 2021 16:02 IST2021-09-26T16:02:38+5:302021-09-26T16:02:38+5:30

Increase in child marriage cases in Sundarbans due to COVID pandemic and climate crisis | कोविड महामारी और जलवायु संकट के कारण सुंदरबन में बाल विवाह के मामलों में वृद्धि

कोविड महामारी और जलवायु संकट के कारण सुंदरबन में बाल विवाह के मामलों में वृद्धि

(उज्मी अतहर)

नयी दिल्ली, 26 सितंबर पश्चिम बंगाल के दक्षिण 24 परगना जिले के अंतर्गत सुंदरबन क्षेत्र के एक गांव में अम्फान चक्रवात के चलते घर डूबने से रश्मि देवी (बदला हुआ नाम) के गरीब परिवार का सबकुछ बिखर गया। ऊपर से महामारी की मार ने असहाय देवी को अपनी 15 वर्षीय बेटी की शादी करने को मजबूर कर दिया। उनकी कहानी इस बात का प्रतीक है कि सुंदरबन में कोविड-जलवायु संकट से बाल विवाह की संख्या में तेज वृद्धि हुई है।

देवी याद करती हैं कि पिछले साल मई में चक्रवात के बाद उनके सात सदस्यीय परिवार के लिये ठिकाने के रूप में केवल एक तंबू बचा था और खाने-पीने तक के लिये कुछ नहीं था, ऐसे में बेटी का रिश्ता आना उनके लिये सौभाग्य की तरह था।

उन्होंने फोन पर 'पीटीआई-भाषा' से कहा, ''हम हर दिन मुश्किल से एक समय के भोजन का प्रबंध कर सकते थे और उसकी शादी करने का निर्णय उस समय सही लग रहा था। मैंने मन ही मन सोचा कि घर में एक व्यक्ति कम हो जाएगा और उसे भी नमक चावल से अधिक कुछ खाने को मिल जाया करेगा।''

सोलह महीने बाद, वह निर्णय बहुत सही प्रतीत नहीं हो रहा। परिवार अभी भी काफी तनाव में है और दामाद दहेज प्रताड़ना के आरोप में सलाखों के पीछे है।

देवी का परिवार अकेला नहीं है, जो इस तरह के संकट से जूझ रहा है।

पीड़ितों और कार्यकर्ताओं का कहना है कि पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील सुंदरबन डेल्टा क्षेत्र में लोग अब भी कोविड-19 महामारी और जलवायु परिवर्तन के प्रभाव से जूझ रहे हैं।

एनजीओ गोरानबोस ग्राम विकास केंद्र के अनुसार, 2020 से दक्षिण 24 परगना जिले में 159 बाल विवाह हुए हैं। इसमें इस साल जनवरी से अगस्त तक 64 और 2020 के 95 मामले शामिल हैं। 2019 में, महामारी से पहले क्षेत्र में 68 बाल विवाह दर्ज किए गए थे।

मानव तस्करी, बाल अधिकार तथा जलवायु परिवर्तन प्रभाव के मुद्दों पर काम करने वाले एनजीओ की सुभाश्री रप्टन बताती हैं, ''जल स्तर में वृद्धि के कारण इस क्षेत्र के कई इलाके बह गए, जिससे बड़ी संख्या में लोग विस्थापित हुए। उसके बाद वे वित्तीय असुरक्षा और समस्याओं के कारण पलायन करने को मजबूर हो गए। हमने देखा कि सुंदरबन क्षेत्र में महामारी और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के कारण बाल विवाह के मामले तेजी से बढ़े हैं।''

उन्होंने कहा कि ज्यादातर मामलों में समुद्र के स्तर में वृद्धि के चलते पानी की लवणता में वृद्धि के कारण कृषि अव्यवहारिक हो गई है। नतीजतन, लोग यह सोचकर अपनी युवा बेटियों की शादी करने की कोशिश कर रहे हैं कि इससे उन्हें फिर से बसने में मदद मिलेगी और उन्हें उनके ''बोझ'' से भी छुटकारा मिलेगा।

उन्होंने कहा, ''तस्कर इस स्थिति को भांपकर इसका फायदा उठाते हैं। कोविड के शुरुआती दिनों में, बाल विवाह के बारे में बहुत सारी जानकारी आ रही थी और बच्चे भी स्कूल नहीं जा रहे थे। इसमें वृद्धि हो रही थी।''

अम्फान चक्रवात के सोलह महीने बाद, रश्मि देवी अभी भी अपने बिखरे हुए जीवन को समेट रही हैं।

उन्होंने कहा, ''पहले महामारी ने हमें मारा और फिर अम्फान ने। मेरे पति रिक्शा चलाते थे, लेकिन महामारी के दौरान वह बेरोजगार हो गए। तब से यहां रोजगार पाने में असमर्थ हैं। अम्फन चक्रवात आने के बाद, हमारी बांस की झोपड़ी डूब गई।''

देवी कहती हैं, ''हम उस समय पहने हुए फटे-पुराने कपड़ों में भाग गए थे। बाढ़ का पानी आने पर हमारे हाथ में जो कुछ लगा, हमने उसे समेटने की कोशिश की। लेकिन बहुत कुछ नहीं बचा था।''

पिछले साल मई में भारत-बांग्लादेश सीमा के पास दस्तक देने वाला चक्रवात अम्फान उत्तरी हिंद महासागर में आया सबसे विनाशकारी उष्णकटिबंधीय चक्रवात साबित हुआ, जिसमें भारत में लगभग 14 अरब डॉलर का आर्थिक नुकसान हुआ। संयुक्त राष्ट्र की एक प्रमुख रिपोर्ट में कहा गया है कि इसके परिणामस्वरूप भारत में 24 लाख लोगों का विस्थापन हुआ। पश्चिम बंगाल और ओडिशा इससे सबसे अधिक प्रभावित हुए।

सुंदरबन क्षेत्र जलवायु परिवर्तन के कारण भारत में सबसे बुरी तरह प्रभावित क्षेत्रों में से एक कहा जाता है। यह बड़े पैमाने पर पश्चिम बंगाल के दक्षिणी छोर पर दक्षिण 24 परगना जिले में स्थित है।

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Web Title: Increase in child marriage cases in Sundarbans due to COVID pandemic and climate crisis

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