भारत के पूर्व राष्ट्रपति, पूर्व प्रधानमंत्री सहित अन्य माननीयों की मुश्किलें बढ़ सकती है। पूर्व सॉलिसिटर जनरल गोपाल सुब्रमण्यम ने सर्वोच्च पदों पर रहे लोगों को आवास मुहैया कराने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर सुझाव दिए हैं। यदि इन सुझावों को मा लिया जाता है तो पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, प्रतिभा पाटिल, पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी, मनमोहन सिंह, एचडी देवेगौड़ा सहित सर्वोच्च पदों पर रहे अन्य माननीय लोगों को अपना सरकारी बंगला खाली करना पड़ सकता है।
जस्टिस रंजन गोगोई और जस्टिस नवीन सिन्हा की पीठ ने इस मामले में दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए 23 अगस्त, 2017 को गोपाल सुब्रमण्यम को एमिकस क्यूरे (न्याय मित्र) नियुक्त किया था। काफी विचार विमर्श के बाद उन्होंने अदालत के सामने कुछ सुझाव पेश किए हैं।
सुब्रमण्यम ने अपने सुझावों में तर्क देते हुए कहा है कि संविधान के अनुच्छेद 14 के अनुसार पद से हटने के बाद पूर्व नेताओं को सरकारी आवास दिया जाना कानून का उल्लंघन है। पब्लिक प्रॉपर्टी को साधारण नागरिक को नहीं दिया जा सकता, जैसा कि पहले लोगों को दिया जाता रहा है।
मीडिया रिपोर्ट्स की माने तो इन सुझावों में गोपाल सुब्रमण्यम ने कहा है कि एक बार जब पूर्व राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री अपने पद से हट जाते हैं तो उनके पब्लिक ऑफिस के साथ ही आवास को भी वापस ले लेना चाहिए क्योंकि पद से हटने के बाद ये लोग साधारण नागरिक की तरह जीवन यापन करते हैं, लिहाजा इन्हें विशेष सुविधाएं नहीं दी जानी चाहिए।
हालांकि उन्होंने अपने सुझाव में यह बात भी कही कि पेंशन, प्रोटोकॉल के अलावा अन्य सुविधाएं पहले की तरह जारी रहनी चाहिए।इस मामले में जस्टिस गोगोई और आर भानुमती की बेंच ने शुक्रवार को सुनवाई की। माना जा रहा है कि 16 जनवरी होने वाली अगली सुनवाई के दौरान पूर्व राष्ट्रपति, पूर्व प्रधानमंत्री, पूर्व मुख्यमंत्री सहित अन्य माननीयों के आवास पर फैसला दिया जा सकता है।