भारत और चीन के बीच सीमा समझौता होने तक सीमा पर घटनाएं होती रहेंगी: थल सेना प्रमुख

By भाषा | Updated: September 30, 2021 17:48 IST2021-09-30T17:48:57+5:302021-09-30T17:48:57+5:30

Incidents will continue to happen on the border till there is a border agreement between India and China: Army Chief | भारत और चीन के बीच सीमा समझौता होने तक सीमा पर घटनाएं होती रहेंगी: थल सेना प्रमुख

भारत और चीन के बीच सीमा समझौता होने तक सीमा पर घटनाएं होती रहेंगी: थल सेना प्रमुख

नयी दिल्ली, 30 सितंबर थल सेना प्रमुख जनरल एम. एम. नरवणे ने बृहस्पतिवार को कहा कि भारत और चीन के बीच सीमा पर घटनाएं तब तक होती रहेंगी, जब तक कि दोनों देशों के बीच सीमा समझौता नहीं हो जाता।

उन्होंने पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स ऐंड इंडस्ट्री में एक सभा को संबोधित करते हुए कहा कि अफगानिस्तान में हालिया घटनाक्रम पर भारतीय थल सेना ने "निश्चित रूप से ध्यान केंद्रित” किया है और वह खतरे का आकलन करने के साथ-साथ रणनीति की तैयारी में जुटी हुई है।

चीन पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा, “हमारे पास सीमा का एक लंबित मुद्दा है। हम फिर से किसी भी दुस्साहस का सामना करने के लिए तैयार हैं, जैसा कि हमने अतीत में प्रदर्शित किया है।”

उन्होंने उद्योग संगठन की वार्षिक सत्र बैठक के दौरान कहा, “इस तरह की घटनाएं तब तक होती रहेंगी, जब तक कि एक दीर्घकालिक समाधान नहीं हो जाता, और वह है सीमा समझौता। और यह हमारे प्रयासों के केंद्र में होना चाहिए, ताकि हमारी उत्तरी (चीन) सीमा पर स्थायी शांति हो।”

अफगानिस्तान का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि भारतीय थल सेना या सशस्त्र बल खतरे की आशंकाओं का समय-समय पर आकलन करते रहते हैं।

उन्होंने कहा कि उन आकलनों के आधार पर, भारतीय थल सेना भविष्य के खतरों से निपटने के लिए आवश्यक रणनीतियां और सिद्धांत तैयार करती है।

नरवणे ने कहा, “यह निरंतर प्रक्रिया है जो कभी नहीं रुकती है।”

गौरतलब है कि 15 अगस्त को काबुल पर तालिबान ने कब्जा कर लिया था। अफगानिस्तान पर तालिबाान के कब्जे के बारे में अपनी चिंता व्यक्त करते हुए, भारत ने 20 सितंबर को कहा था कि युद्ध प्रभावित देश के भू-भाग का इस्तेमाल आतंकवादी कृत्यों को आश्रय, प्रशिक्षण देने, साजिश रचने या धन मुहैया कराने के लिए नहीं किया जाना चाहिए।

जनरल नरवणे ने कहा कि जहां तक आतंकवादी खतरे की बात है, भारतीय थल सेना सभी चुनौतियों से निपटने के लिए तैयार है।

उन्होंने कहा, “हमारे पास जम्मू कश्मीर में एक बहुत ही गतिशील आतंकवाद रोधी और चरमपंथ रोधी ढांचा है। यह एक गतिशील ढांचा है और यह खतरे की आशंका और हमारे पश्चिमी पड़ोसी (पाकिस्तान) द्वारा अधिक से अधिक आतंकवादियों को तैयार करने के प्रयासों के बढ़ते स्तरों पर आधारित है।

सेना प्रमुख ने कहा कि उतार-चढ़ाव के आधार पर, हम अपने संचालन के स्तर का भी पुन: आकलन करते रहते हैं।

भारत और चीन के बीच मौजूदा सीमा गतिरोध पिछले साल मई में पैंगोंग झील क्षेत्र में हिंसक झड़प के बाद शुरू हुआ था। दोनों पक्षों ने धीरे-धीरे हजारों सैनिकों के साथ-साथ भारी हथियारों की तैनाती बढ़ा दी थी।

पिछले साल 15 जून को गलवान घाटी में हुई झड़प के बाद यह गतिरोध बढ़ गया था।

भारत-चीन सीमा विवाद 3,488 किमी लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा पर है। चीन अरूणाचल प्रदेश को दक्षिणी चीन बताते हुए अपना हिस्सा होने का दावा करता है, जबकि भारत उसके दावे को खारिज करता रहा है।

उन्होंने कहा कि अभूतपूर्व घटनाक्रमों के चलते कोविड के बीच बड़े पैमाने पर संसाधन जुटाने, बलों को समन्वित करने और एक तत्काल प्रतिक्रया की जरूरत पड़ी।

सेना प्रमुख ने रक्षा प्रौद्योगिकी में त्वरित विकास के बारे में बात करते हुए कहा कि प्रौद्योगिकी के पुराना पड़ने को रोकना एक बड़ी चुनौती बनी हुई है।

उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि प्रणालीगत बदलाव लाने के लिए काफी काम किया गया है।

उन्होंने कहा, ‘‘उद्योग को भी सुधारों पर जोर देना चाहिए।

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