साल 2022 में भारत में 165 कैदियों को सुनाई गई मौत की सजा, पिछले दो दशक में यह सबसे ज्यादा

By विनीत कुमार | Published: January 30, 2023 10:14 AM2023-01-30T10:14:34+5:302023-01-30T10:22:12+5:30

भारत में पिछले साल 165 कैदियों को मौत की सजा सुनाई गई। इसके अलावा मौत की सजा पाए कैदियों की संख्या भी देश में बढ़ी है। दिसंबर 2022 तक इनकी संख्या 539 हो गई है।

In year 2022, 165 prisoners were sentenced to death in India, highest in last two decades | साल 2022 में भारत में 165 कैदियों को सुनाई गई मौत की सजा, पिछले दो दशक में यह सबसे ज्यादा

साल 2022 में भारत में 165 कैदियों को सुनाई गई मौत की सजा

Highlightsनिचली अदालतों ने 2022 में 165 लोगों को मौत की सजा सुनाई, पिछले दो दशक में यह सबसे ज्यादा है।इससे पहले 2021 में भी 146 कैदियों को मौत की सजा सुनाई गई थी। 2022 के आखिर तक देश की जेलों में बंद ऐसे कैदियों की संख्या 539 हो गई है जिन्हें मृत्युदंड की सजा सुनाई जा चुकी है।

नई दिल्ली: देश में निचली अदालतों ने साल 2022 में 165 लोगों को मौत की सजा सुनाई, जो पिछले दो दशकों में एक साल में सबसे ज्यादा है। इससे पहले 2021 में भी 146 कैदियों को मौत की सजा सुनाई गई थी। जिन दोषियों को मृत्युदंड की सजा सुनाई गई है, उसमें लगभर एक तिहाई मामलों ऐसे हैं जिसमें यौन अपराध की बात सामने आई। 

टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार 2022 के आखिर तक देश की जेलों में 539 कैदी ऐसे हैं जिन्हें मृत्युदंड की सजा सुनाई जा चुकी है। यह संख्या 2016 के बाद से सबसे अधिक है। रिपोर्ट के अनुसार 2015 से 2022 तक 40% तक ऐसे कैदियों की संख्या में वृद्धि हुई है, जिन्हें मृत्युदंड की सजा सुनाई जा चुकी है। इसकी अहम वजह हाल के वर्षों में बड़ी संख्या में ट्रायल कोर्ट द्वारा दी गई मौत की सजा और फिर अदालतों में इसके खिलाफ अपील के निपटान की कम दर है।

ये जानकारी एनएलयू, दिल्ली के प्रोजेक्ट 39ए द्वारा प्रकाशित 'भारत में मौत की सजा: वार्षिक सांख्यिकी 2022' के हवाले से सामने आई है। इस रिपोर्ट के अनुसार 2008 के सीरियल ब्लास्ट मामले में अहमदाबाद की एक अदालत द्वारा फरवरी-2022 में 38 लोगों को दी गई मौत की सजा ने पिछले साल मौत की सजा की संख्या में तेज वृद्धि की। 

रिपोर्ट के अनुसार साल 2016 में 2016 में यौन अपराधों के लिए 153 मामलों में से 27 या कहें 17.6 फीसदी मामलों में मौत की सजा दी गई थी। यह संख्या 2022 में 165 मामलों में से 52 या 31.5% तक पहुंच गई।

कानून के प्रोफेसर और प्रोजेक्‍ट 39ए के कार्यकारी निदेशक अनूप सुरेंद्रनाथ के अनुसार बढ़ी हुई संख्‍या निचली अदालतों में बढ़ते चलन को भी दर्शाती है। उन्होंने कहा, 'महामारी के कारण 2020 में गिरावट के बाद (जो सबसे कम 77 थी) से ट्रायल कोर्ट ने बड़ी संख्या में मौत की सजा फिर से शुरू कर दी है ।

सुरेंद्रनाथ ने कहा, 'यह आंकड़े मृत्युदंड की सजा दिए जाने के तरीके की गंभीर समस्याओं को उजागर करने के सर्वोच्च न्यायालय के प्रयासों के बिल्कुल विपरीत है। पिछले साल मई में सुप्रीम कोर्ट ने माना कि मौत की सजा के मामलों में सजा सुनाते समय ट्रायल कोर्ट का कर्तव्य है कि वह केस के कमजोर पक्ष को लेकर सक्रिय रूप से पर्याप्त रूप से सामग्री जुटाए। कोर्ट ने इस तरह की जानकारी के संग्रह के लिए दिशानिर्देश भी जारी किए थे।

इस बीच मौत की सजा पाए कैदियों की बढ़ती संख्या भी गंभीर मुद्दा है। दिसंबर 2016 में यह संख्या 400 से बढ़कर दिसंबर 2022 तक 539 हो गई है। मौत की सजा पाने वाले कैदियों की संख्या सबसे ज्यादा यूपी (100) में है, इसके बाद गुजरात (61) और झारखंड (46) हैं।

Web Title: In year 2022, 165 prisoners were sentenced to death in India, highest in last two decades

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