शीर्ष अदालत की रजिस्ट्री में ‘बुनियादी रूप से कुछ गड़बड़ी है, नाराज सीजेआई ने कहा

By भाषा | Updated: July 25, 2019 20:08 IST2019-07-25T20:08:02+5:302019-07-25T20:08:02+5:30

प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता और न्यायमूर्ति अनिरूद्ध बोस की तीन सदस्यीय पीठ ने कहा कि रोजाना ऐसे वकीलों की लंबी कतार लगी होती है जो चाहते हैं कि उनका मामला सुनवाई के लिये शीघ्र सूचीबद्ध किया जाये क्योंकि न्यायालय के आदेश के बावजूद उसे कार्यसूची से हटा दिया गया है।

In the top court's registry, there is something fundamentally wrong, said angry CJI | शीर्ष अदालत की रजिस्ट्री में ‘बुनियादी रूप से कुछ गड़बड़ी है, नाराज सीजेआई ने कहा

प्रधान न्यायाधीश ने सवाल किया, ‘‘मुझे बतायें, कौन निरोग है।’’ 

Highlightsप्रधान न्यायाधीश ने अपनी नाराजगी व्यक्त करते हुये कहा, ‘‘रोजाना मामले सूचीबद्ध कराने के लिये वकीलों की लंबी कतार लगी रहती है।पीठ ने कहा कि उच्च न्यायालयों की तुलना में उच्चतम न्यायालय में मुकदमों के सूचीबद्ध होने में ज्यादा वक्त लगता है।

प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई ने अविलंब सुनवाई के मुकदमों के सूचीबद्ध नहीं होने पर उच्चतम न्यायालय की रजिस्ट्री की कार्यशैली पर नाराजगी व्यक्त करते हुये बृहस्पतिवार को कहा कि शीर्ष अदालत की रजिस्ट्री में ‘बुनियादी रूप से कुछ गड़बड़ी है।’’

प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता और न्यायमूर्ति अनिरूद्ध बोस की तीन सदस्यीय पीठ ने कहा कि रोजाना ऐसे वकीलों की लंबी कतार लगी होती है जो चाहते हैं कि उनका मामला सुनवाई के लिये शीघ्र सूचीबद्ध किया जाये क्योंकि न्यायालय के आदेश के बावजूद उसे कार्यसूची से हटा दिया गया है।

न्यायमूर्ति गोगोई तीन अकटूबर, 2018 को देश के 46वें प्रधान न्यायाधीश का कार्यभार ग्रहण करने के दिन से ऐसी व्यवस्था करने का प्रयास कर रहे हैं जिससे कि वकीलों को शीघ्र सुनवाई के लिये अपने मामले का उल्लेख नहीं करना पड़े और उनके मुकदमे एक निश्चित अवधि के भीतर स्वत: ही सूचीबद्ध हो जाएं।

प्रधान न्यायाधीश ने अपनी नाराजगी व्यक्त करते हुये कहा, ‘‘रोजाना मामले सूचीबद्ध कराने के लिये वकीलों की लंबी कतार लगी रहती है। निश्चित ही इसमें (उच्चतम न्यायालय की रजिस्ट्री) कुछ बुनियादी गड़बड़ी है। सर्वश्रेष्ठ प्रयासों के बावजूद, मैं इससे (मामले सूचीबद्ध कराने) निबटने में असमर्थ हूं।’’

प्रधान न्यायाधीश ने यह टिप्पणी उस वक्त की जब एक वकील ने अपने एक मामले को शीघ्र सूचीबद्ध करने का अनुरोध किया और आरोप लगाया कि न्यायालय के आदेश के बावजूद इसे कार्यसूची से निकाल दिया गया है। पीठ ने इसके बाद इस तथ्य का उल्लेख किया कि उच्च न्यायालय में एक सप्ताह में करीब छह हजार नये मामले दायरे होते हैं जबकि उच्चतम न्यायालय में इस अवधि में करीब एक हजार मामले दायर होते हैं लेकिन इसके बाद भी शीर्ष अदालत की रजिस्ट्री प्रभावी तरीके से इनका निबटारा करने में असमर्थ है।

पीठ ने कहा कि उच्च न्यायालयों की तुलना में उच्चतम न्यायालय में मुकदमों के सूचीबद्ध होने में ज्यादा वक्त लगता है। पीठ ने कहा कि उच्च न्यायालय के न्यायाधीश को शीर्ष अदालत के न्यायाधीश की तुलना में कहीं अधिक मुकदमों पर विचार करना होगा।

प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘‘उच्च न्यायालय में हर सप्ताह 6,000 मुकदमे दायर होते हैं और अगले दिन ये सूचीबद्ध हो जाते हैं। शीर्ष अदालत मे सिर्फ एक हजार मुकदमे दायर होते हैं और ये सूचीबद्ध नहीं हो पाते। हम निर्देश देते हैं कि किसी भी मामले को सूची से हटाया नहीं जाये लेकिन इसके बाद भी इन्हें हटा दिया जाता है।’’

इसी बीच, वकीलों से खचाखच भरे न्यायालय कक्ष में उस समय लोगों की हंसी छूट गयी जब एक अन्य वकील ने अपने मामले के शीघ्र सूचीबद्ध करने का अनुरोध किया और कहा कि यह 2014 में दायर किया गया था। इस वकील का कहना था कि उसका मुवक्किल 72 साल का है जिसकी कभी भी मृत्यु हो सकती है।

प्रधान न्यायाधीश ने उसी शैली में कहा, ‘‘आपका अनुरोध स्पष्ट वजहों से अस्वीकार किया जाता है। उनकी दीर्घायु हो। यह हमारी कामना है। ’’ इस पर वकील ने कहा कि उनका मुवक्किल कई बीामारियों से ग्रस्त है। प्रधान न्यायाधीश ने सवाल किया, ‘‘मुझे बतायें, कौन निरोग है।’’ 

Web Title: In the top court's registry, there is something fundamentally wrong, said angry CJI

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