आई बैंक का कोई टोल फ्री नंबर तय हो ताकि समय रहते नेत्रदान किया जा सके: संसद में उठी मांग

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: December 4, 2019 03:10 PM2019-12-04T15:10:55+5:302019-12-04T15:10:55+5:30

अस्पताल में मौत होने की स्थिति में मृत्यु प्रमाणपत्र देते समय रिश्तेदारों से लिखित में यह लेना चाहिए कि वे मृतक का नेत्रदान नहीं करना चाहते। ‘‘ऐसे होने पर नेत्रदान के इच्छुक मृतक के परिजन को तत्काल याद आ जाएगा कि नेत्रदान करना है। विभिन्न दलों के सदस्यों ने डॉ विकास महात्मे के इस मुद्दे से स्वयं को संबद्ध किया। भाजपा के अजय प्रताप सिंह ने मध्यप्रदेश के सतना जिले में सीमेंट फैक्ट्रियों की वजह से हुए प्रदूषण का मुद्दा उठाया।

IN RAJYA SABHA BJP MP ASK QUESTIONS FOR EYE BANK | आई बैंक का कोई टोल फ्री नंबर तय हो ताकि समय रहते नेत्रदान किया जा सके: संसद में उठी मांग

आई बैंक का कोई टोल फ्री नंबर तय हो ताकि समय रहते नेत्रदान किया जा सके: रास में उठी मांग

Highlightsमृत्यु के बाद छह घंटे के अंदर ही नेत्रदान किया जा सकता है। भाजपा के डॉ विकास महात्मे ने कहा कि जिस तरह पुलिस के लिए 100 नंबर तय है, उसी प्रकार आई बैंक का एक टोलफ्री नंबर तय कर दिया जाए तो बहुत सुविधा हो जाएगी।

देश में नेत्रदान को बढ़ावा देने के लिए बुधवार को राज्यसभा में भाजपा के एक सदस्य ने आई बैंक का एक टोलफ्री नंबर तय किए जाने की मांग की ताकि समय रहते नेत्रदान किया जा सके। शून्यकाल में भाजपा के डॉ विकास महात्मे ने यह मुद्दा उठाते हुए कहा कि अंधेपन की समस्या से पीड़ित दुनिया के लोगों में से हर पांचवा व्यक्ति भारतीय है और नेत्रदान से इस समस्या का हल संभव है।

उन्होंने कहा कि अक्सर मृत्यु के बाद नेत्रदान का ध्यान ही नहीं रहता और अगर इस ओर ध्यान जाता भी है तो आई बैंक का नंबर पता नहीं होता। मृत्यु के बाद छह घंटे के अंदर ही नेत्रदान किया जा सकता है। महात्मे ने कहा कि जिस तरह पुलिस के लिए 100 नंबर तय है, उसी प्रकार आई बैंक का एक टोलफ्री नंबर तय कर दिया जाए तो बहुत सुविधा हो जाएगी।

उन्होंने यह भी कहा कि अस्पताल में मौत होने की स्थिति में मृत्यु प्रमाणपत्र देते समय रिश्तेदारों से लिखित में यह लेना चाहिए कि वे मृतक का नेत्रदान नहीं करना चाहते। ‘‘ऐसे होने पर नेत्रदान के इच्छुक मृतक के परिजन को तत्काल याद आ जाएगा कि नेत्रदान करना है। विभिन्न दलों के सदस्यों ने डॉ विकास महात्मे के इस मुद्दे से स्वयं को संबद्ध किया। भाजपा के अजय प्रताप सिंह ने मध्यप्रदेश के सतना जिले में सीमेंट फैक्ट्रियों की वजह से हुए प्रदूषण का मुद्दा उठाया।

उन्होंने कहा कि इन फैक्ट्रियों में प्रदूषण नियंत्रक उपकरण नहीं लगाए गए हैं। उन्होंने कहा कि सतना में प्रदूषण 200 पीएम से अधिक हो चुका है जबकि पहले यह 2.5 पीएम से 60 पीएम के बीच था। सिंह ने कहा कि पहले प्रदूषण से बचाव के लिए कामगारों को गुड़ वितरित किया जाता था। अब वह भी बंद कर दिया गया जबकि यह व्यवस्था पुन: शुरू की जानी चाहिए। साथ ही वहां अस्पताल और डिस्पेन्सरी भी निर्मित किए जाने चाहिए ताकि प्रदूषण के कारण बीमार होने वालों का समय पर एवं समुचित इलाज हो सके।

भाजपा सदस्य ने यह भी कहा कि सीमेंट फैक्ट्रियों को प्रदूषण नियंत्रण के लिए आवश्यक उपकरण लगाने के आदेश दिए जाने चाहिए। कांग्रेस के राजमणि पटेल ने कर्मचारियों के लिए पेंशन पर भगत सिंह कोश्यारी समिति की रिपोर्ट की सिफारिशों के कार्यान्वयन की मांग की। सपा के वीर सिंह ने उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद में रेल ओवरब्रिजों के निर्माण में हो रहे विलंब और इसके कारण यातायात जाम होने की समस्या रेखांकित की।

जदयू के रामनाथ ठाकुर ने स्वतंत्र भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद की याद में उनके जन्मदिन तीन दिसंबर को राष्ट्रीय शोध दिवस घोषित करने की मांग उठाई। राकांपा की वन्दना चव्हाण ने जलवायु परिवर्तन की वजह से ग्लेशियरों के पिघलने और भारत के तटीय शहरों पर उनके संभावित प्रभाव का मुद्दा उठाया। इनके अलावा बीजद के भास्कर राव नेक्कान्टी, अन्नाद्रमुक के एन गोकुल कृष्णन, वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के प्रभाकर रेड्डी वेमी रेड्डी ने भी लोकमहत्व से जुड़े अपने अपने मुद्दे उठाए।

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