मुंबई की झुग्गी-बस्तियां बनीं कोरोना वायरस पर काबू पाने के प्रयासों की सबसे बड़ी चुनौती

By भाषा | Published: April 26, 2020 06:17 PM2020-04-26T18:17:41+5:302020-04-26T18:17:41+5:30

जहां एक ओर देश में कोरोना वायरस को काबू पाने के लिए सभी राज्य सरकारें तमाम कोशिशें कर रही हैं तो वहीं देश की आर्थिक राजधानी मुंबई की झुग्गी-बस्तियां संक्रमण को रोकने के प्रयासों के लिए बड़ी चुनौती पेश कर रही हैं।

In Mumbai, slums became a major challenge in efforts to control the coronavirus | मुंबई की झुग्गी-बस्तियां बनीं कोरोना वायरस पर काबू पाने के प्रयासों की सबसे बड़ी चुनौती

कोरोना वायरस को काबू करने के प्रयासों में मुंबई में झुग्गी-बस्तियां बनीं बड़ी चुनौती (फाइल फोटो)

Highlightsधारावी करीब 2.4 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला है, लेकिन इतने से क्षेत्र में 10 लाख से अधिक लोग रहते हैं।देश में कोविड-19 संक्रमण के 26,496 मामले हो गये हैं और मरने वालों की संख्या 824 हो गई है।

मुंबई: मुंबई में कोरोना वायरस संक्रमण को रोकने के प्रयासों के लिए शहर की झुग्गी-बस्तियां बड़ी चुनौती पेश कर रही हैं, जिनमें एक करोड़ 20 लाख की कुल आबादी वाले शहर की आधी से अधिक जनसंख्या बेहद छोटी जगहों एवं अस्वच्छ परिस्थितियों में रहती है। ‘सपनों की नगरी’ कहे जाने वाले इस शहर में जहां एक ओर बड़ी संख्या में अरबपति रहते हैं, वहीं, दूसरी ओर यहीं एशिया की सबसे बड़ी झुग्गी-बस्ती धारावी भी है, जो कोरोना वायरस संक्रमण से बुरी तरह प्रभावित है। 

धारावी करीब 2.4 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला है, लेकिन इतने से क्षेत्र में 10 लाख से अधिक लोग रहते हैं। टाटा समूह के मानद अध्यक्ष रतन टाटा ने इस सप्ताह की शुरुआत में एक संगोष्ठी के दौरान डेवलपरों और वास्तुकारों द्वारा शहर में मौजूद झुग्गी-झोपड़ियों के साथ ‘अवशेष’ की तरह सलूक करने पर नाराजगी जाहिर की थी। उन्होंने कोरोना वायरस महामारी के तेजी से फैलने की एक बड़ी वजह इन झुग्गी-बस्तियों को भी बताया था। 

उन्होंने कहा था, ‘‘सस्ते आवास और झुग्गियों का उन्मूलन आश्चर्यजनक रूप से दो परस्पर विरोधी मुद्दे हैं। हम लोगों को अनुपयुक्त हालात में रहने के लिए भेजकर झुग्गियों को हटाना चाहते हैं। इन लोगों को जहां रहने की जगह दी जाती है, वह भी शहर से 20-30 मील दूर होती हैं और अपने स्थान से उखाड़ दिए गए उन लोगों के पास कोई काम भी नहीं होता है।’’ 

उन्होंने कहा था कि लोग महंगे आवास वहां बनाते हैं, जहां कभी झुग्गियां होती थीं। इस महानगर में कोरोना वायरस संक्रमण के 4,870 मामले सामने आ चुके हैं जिनमें से 191 लोगों की मौत हो गई है। महाराष्ट्र सरकार कोरोना वायरस संक्रमण को काबू करने के लिए लोगों से घरों में रहने की अपील कर रही है, लेकिन इन झुग्गी-बस्तियों में 100 से 200 वर्ग फुट के कमरों में आठ से 10 लोग साथ रहते हैं। कई परिवारों का शौचालय एक ही है और वे पानी के लिए एक ही नल का इस्तेमाल करते हैं, ऐसे में कोरोना वायरस संक्रमण फैलने का खतरा अधिक है। 

मुंबई महानगर क्षेत्र विकास प्राधिकरण के पूर्व मुख्य नगर नियोजक वी के पाठक ने ‘पीटीआई- भाषा’ से कहा, ‘‘नीतिगत विफलता और नेताओं एवं डेवलपरों की कभी समाप्त नहीं होने वाली आकांक्षाओं के कारण शहर झुग्गी-बस्ती से मुक्त नहीं हो पा रहा है और आज ये इलाके कोरोना वायरस संक्रमण फैलने का स्रोत बन गए हैं।’’ रियल एस्टेट डेवलपरों के निकाय नारेडको के राष्ट्रीय अध्यक्ष निरंजन हीरानंदानी ने भी स्वीकार किया कि मुंबई के लिए उचित शहरी योजना ‘‘नहीं’’ बनाई गई।

Web Title: In Mumbai, slums became a major challenge in efforts to control the coronavirus

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