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चुनावी बांड से BJP को एक साल में मिला सबसे अधिक 1,450 करोड़ रुपये चंदा, जानें किस पार्टी को कितना चंदा मिला!

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: January 14, 2020 09:51 IST

कॉमन वेल्थ ह्यूमन राइट्स इनिशिएटिव (सीएचआरआई) के वेंकटेश नाइक द्वारा दो राष्ट्रीय और पांच क्षेत्रीय राजनीतिक दलों - भाजपा, कांग्रेस, टीएमसी, बीजेडी, जेडी (एस), टीआरएस और वाईएसआरसीपी की वार्षिक ऑडिट रिपोर्ट का विश्लेषण दिखाता है कि उन्हें एक साल में अलग-अलग संस्थानों , व्यक्तियों, ट्रस्टों आदि से कुल 3,696 करोड़ रुपये चंदा मिला। हालांकि, इनमें से 65.51 फीसदी दान अकेले चुनावी बॉन्ड से हैं।

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ठळक मुद्देरिसर्च करने वाली संस्था ने कहा, सात राजनीतिक दलों को ही तुलनात्मक विश्लेषण के लिए चुना गया था क्योंकि केवल इन्हीं दलों ने 2018-19 में चुनावी बांड से प्राप्तियां घोषित की हैं।चुनावी बांड की तेरहवीं किश्त की बिक्री सोमवार से शुरू हुई और यह भारतीय स्टेट बैंक की 29 शाखाओं के माध्यम से 22 जनवरी तक जारी रहेगी।

 2018 में शुरू होने के बाद महज एक साल में चुनावी बांड के माध्यम से भाजपा समेत देश के 7 प्रमुख राजनीतिक दलों को कुल फंडिंग का 2 तिहाई चंदा इलेक्टोरल बांड के रुप में मिली है।  बता दें कि भाजपा को 1,450 करोड़ रुपये चंदा एक साल में बांड के माध्यम से मिला है।

कॉमन वेल्थ ह्यूमन राइट्स इनिशिएटिव (सीएचआरआई) के वेंकटेश नाइक द्वारा दो राष्ट्रीय और पांच क्षेत्रीय राजनीतिक दलों - भाजपा, कांग्रेस, टीएमसी, बीजेडी, जेडी (एस), टीआरएस और वाईएसआरसीपी की वार्षिक ऑडिट रिपोर्ट का विश्लेषण दिखाता है कि उन्हें एक साल में अलग-अलग संस्थानों , व्यक्तियों, ट्रस्टों आदि से कुल 3,696 करोड़ रुपये चंदा मिला। हालांकि, इनमें से 65.51 फीसदी दान अकेले चुनावी बॉन्ड से हैं।

इस रिसर्च की मानें तो सभी सात राजनीतिक दलों को कुल चंदे का आधा रकम इलेक्टोरल बांड के माध्यम से मिला है। बता दें कि राजनीतिक दलों को 55 प्रतिशत से लेकर 87 प्रतिशत तक चंदा इलेक्टोरल बांड के माध्यम से ही मिला है। 

रिसर्च करने वाली संस्था ने कहा, सात राजनीतिक दलों को ही तुलनात्मक विश्लेषण के लिए चुना गया था क्योंकि केवल इन्हीं दलों ने 2018-19 में चुनावी बांड से प्राप्तियां घोषित की हैं।

चुनावी बांड की तेरहवीं किश्त की बिक्री सोमवार से शुरू हुई और यह भारतीय स्टेट बैंक की 29 शाखाओं के माध्यम से 22 जनवरी तक जारी रहेगी।

राजनीतिक फंडिंग में इलेक्टोरल बॉन्ड की शुरुआत होने से प्रत्यक्ष व पारदर्शी रूप से किए गए दान में तेज गिरावट आई है। हालांकि, 20,000 रुपये से अधिक के कॉर्पोरेट चंदा जो इलेक्टोरल बांड के माध्यम से दिया जाता है उसे भी सार्वजनिक किया जाना चाहिए।

इंडियन एक्सप्रेस रिपोर्ट की माने तों केवल कांग्रेस, टीआरएस और वाईएसआरसीपी ने कंपनियों से सीधे मिले चंदे  की घोषणा की। कांग्रेस को कंपनियों से कुल चंदे में 3.74 प्रतिशत चंदे का योगदान मिला। इसके अलावा, टीआरएस और वाईएसआरसीपी को क्रमशः 8.11 प्रतिशत और 10 प्रतिशत कंपनियों के माध्यम से चंदा मिला। बता दें कि केवल कांग्रेस, टीआरएस, वाईएसआरसीपी और बीजेडी ने कंपनियों द्वारा दिए जाने वाले चंदे के बारे में घोषणा की है।

2017 के केंद्रीय बजट में घोषित, चुनावी बांड ब्याज मुक्त है जो राजनीतिक दलों को गुमनाम रूप से धन दान करने के लिए उपयोग किए जाते हैं। 

बांड 1,000 रुपये, 10,000 रुपये, 1 लाख रुपये, 10 लाख रुपये और 1 करोड़ रुपये तक के होते हैं। SBI उन्हें बेचने के लिए अधिकृत एकमात्र बैंक है। दानकर्ता अपनी पसंद की पार्टी को बांड दान कर सकते हैं, जिसके बाद 15 दिनों के भीतर उनके सत्यापित खाते से पार्टी के खाते में पैसा ट्रांसफर होता है।

हालांकि, सभी राजनीतिक दलों को चुनावी बांड के माध्यम से दान नहीं मिला है। 2018-19 के दौरान जद (यू), आप और एआईएडीएमके जैसे दलों और विपक्षी दलों टीडीपी, आरजेडी, डीएमके, एसएडी, सीपीआई, सीपीआई-एम, एनसीपी, एसपी और बीएसपी ने बांड के माध्यम से किसी भी तरह का चंदा नहीं लिया।  

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