कोच्चि, सात जुलाई केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने इसरो के पूर्व वैज्ञानिक नंबी नारायणन को 1994 के एक जासूसी मामले में गिरफ्तार किये जाने में शामिल केरल पुलिस के दो पूर्व अधिकारियों की जमानत अर्जियों का बुधवार को केरल उच्च न्यायालय में विरोध करते हुए कहा कि दोनों ने वैज्ञानिक को ‘मनगढ़ंत मामले’ में फंसाया जिसकी वजह से भारत के क्रायोजेनिक प्रौद्योगिकी विकास में देरी हुई।
सीबीआई ने कहा कि दोनों आरोपियों के खिलाफ गंभीर प्रकृति के अपराध के मामले दर्ज हैं और दोनों ने अन्य आरोपियों के साथ साजिश रचते हुए जासूसी का मनगढ़ंत मामला बनाया।
एजेंसी ने कहा, ‘‘याचिकाकर्ताओं (एस विजयन और टी एस दुर्गा दत्त) के खिलाफ गंभीर आरोप हैं और इसका क्रायोजेनिक प्रौद्योगिकी के विकास पर बहुत असर हुआ जिसमें नंबी नारायणन को गलत तरह से फंसाने और इससे जुड़ी खबरों की वजह से देरी हुई।’’
सहायक सॉलिसीटर जनरल पी विजयकुमार के माध्यम से दाखिल अपने बयान में सीबीआई ने ये दलीलें दीं। इसमें केरल पुलिस के सेवानिवृत्त अधिकारियों विजयन तथा दत्त की संयुक्त अग्रिम जमानत अर्जी का विरोध किया गया। दोनों अधिकारी वैज्ञानिक को गिरफ्तार करने वाले विशेष जांच दल (एसआईटी) के सदस्य थे।
उनकी अग्रिम जमानत अर्जी पर उच्च न्यायालय में बृहस्पतिवार को सुनवाई हो सकती है।
इस बीच न्यायमूर्ति के हरिपाल की एकल पीठ ने बुधवार को पी एस जयप्रकाश को 23 जून को मिले गिरफ्तारी से अंतरिम संरक्षण को बढ़ा दिया। पूर्व आईबी अधिकारी जयप्रकाश भी सीबीआई द्वारा दर्ज मामले में आरोपी हैं।
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