एनएमसी बिल के खिलाफ आज हड़ताल पर देशभर के 3 लाख डॉक्‍टर, जानें क्या है ये विधेयक

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: July 31, 2019 09:06 AM2019-07-31T09:06:12+5:302019-07-31T09:06:12+5:30

लोकसभा ने सोमवार को ‘राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग विधेयक-2019’ ( National Medical Commission) को मंजूरी दे दी। सरकार ने इस पर विपक्ष के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि एनएमसी विधेयक निहित स्वार्थी तत्वों का विरोधी है जिसमें राज्यों के अधिकारों को बनाये रखते हुए एकल खिड़की वाली मेधा आधारित पारदर्शी नामांकन प्रक्रिया को बढ़ावा देना सुनिश्चित किया गया है।

IMA call three lakh doctor on strike today due to National Medical Commission Bill, here is all detail | एनएमसी बिल के खिलाफ आज हड़ताल पर देशभर के 3 लाख डॉक्‍टर, जानें क्या है ये विधेयक

एनएमसी बिल के खिलाफ आज हड़ताल पर देशभर के 3 लाख डॉक्‍टर, जानें क्या है ये विधेयक

Highlightsआईएमए देश में डॉक्टरों और छात्रों की सबसे बड़ी संस्था है, जिसमें करीब तीन लाख सदस्य हैं। ‘फेडरेशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन’ (एफओआरडीए) से संबद्ध डॉक्टरों और अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन ने प्रदर्शन के मद्देनजर अपना विरोध जताने के लिए काली पट्टी बांधकर काम करने का फैसला किया है।

राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग ( National Medical Commission) विधेयक को पारित किए जाने के विरोध में आईएमए ने बुधवार (31 जुलाई) को देशभर में 24 घंटे के लिए गैर आवश्यक सेवाएं ठप करने का और हड़ताल करने का आह्वान किया है। बहरहाल हड़ताल के दौरान आपात, दुर्घटना, आईसीयू और अन्य संबंधित सेवाएं अप्रभावित रहेंगी। यह आयोग भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरी मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआई) की जगह लेगा। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) का कहना है कि यह विधेयक गरीबों, छात्रों और लोकतंत्र का विरोधी है। देश के तकरीबन 3 लाख डॉक्टर आज हड़ताल कर रहे हैं। 

आईएमए देश में डॉक्टरों और छात्रों की सबसे बड़ी संस्था है, जिसमें करीब तीन लाख सदस्य हैं। इसने अपनी स्थानीय शाखाओं में प्रदर्शन और भूख हड़ताल का आह्वान किया है और आईएमए के साथ एकजुटता दिखाने के लिए छात्रों से कक्षाओं के बहिष्कार का अनुरोध किया है। इसने एक बयान में चेतावनी दी है कि अगर सरकार ‘‘उनकी चिंताओं के प्रति उदासीन रही’’ तो वे अपना प्रदर्शन तेज कर देंगे।

इस बीच ‘फेडरेशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन’ (एफओआरडीए) से संबद्ध डॉक्टरों और अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन ने प्रदर्शन के मद्देनजर अपना विरोध जताने के लिए काली पट्टी बांधकर काम करने का फैसला किया है। संबंधित विधेयक सोमवार को लोकसभा में पारित हो गया था। देशभर के हजारों डॉक्टर इसके विरोध में प्रदर्शन कर रहे हैं। आईएमए के राष्ट्रीय अध्यक्ष शांतनु सेन ने कहा कि आईएमए इस विधेयक को खारिज करती है और उसका प्रदर्शन जारी रहेगा।

आईएमए के महासचिव आर वी अशोकन ने कहा, ‘‘इससे सिर्फ नीम-हकीमी को वैधता मिलेगी और लोगों की जान खतरे में पड़ जाएगी।’’ मंगलवार को एफओआरडीए के प्रतिनिधियों और एम्स रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन ने ‘‘अलोकतांत्रिक और गैर संघीय’’ विधेयक के खिलाफ कार्रवाई को लेकर फैसला करने के लिए आपात बैठक की। उन्होंने कहा कि उनके बीच मौजूदा रूप में विधेयक का विरोध करने पर सहमति बनी। एम्स आरडीए के अध्यक्ष अमरिंदर सिंह मलही और छात्र यूनियन के अध्यक्ष मुकुल कुमार ने एक संयुक्त बयान में कहा, ‘‘हमें अब भी उम्मीद है कि विधेयक को राज्यसभा में पारित किए जाने से पहले इसमें कुछ आवश्यक संशोधन किए जाएंगे।’’

29 जुलाई को लोकसभा में पास हुआ  ‘राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग विधेयक-2019’

लोकसभा ने सोमवार को ‘राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग विधेयक-2019’ को मंजूरी दे दी। सरकार ने इस पर विपक्ष के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि एनएमसी विधेयक निहित स्वार्थी तत्वों का विरोधी है जिसमें राज्यों के अधिकारों को बनाये रखते हुए एकल खिड़की वाली मेधा आधारित पारदर्शी नामांकन प्रक्रिया को बढ़ावा देना सुनिश्चित किया गया है । निचले सदन में विधेयक पर चर्चा का जवाब देते हुए स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री हर्षवर्धन ने कहा कि यह कहना सही नहीं है कि राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग (एनएमसी) विधेयक संघीय स्वरूप के खिलाफ है।

राज्यों को संशोधन करने का अधिकार होगा, वे एमओयू कर सकते हैं। विभिन्न विपक्षी दलों के सदस्यों ने इस विधेयक को संघीय भावना के खिलाफ बताया था। उन्होंने कहा कि कोई भी कॉलेज की स्थापना राज्यों से जरूरत आधारित प्रमाणपत्र प्राप्त किये बिना नहीं हो सकती है। डाक्टरों के पंजीकरण में राज्य सरकारों की भूमिका होगी। मेडिकल कॉलेजों के दैनिक क्रियाकलापों में केंद्र सरकार की कोई भूमिका नहीं होगी।

डा. हर्षवर्धन ने कहा, ‘‘ एनएमसी विधेयक निहित स्वार्थी तत्वों का विरोधी और लोकोन्मुखी है। यह इंस्पेक्टर राज को कम करने में मदद करेगा । इसमें हितों का टकराव रोकने की व्यवस्था की गई है । डाक्टरों के डाटाबेस से शुचिता सुनिश्चित की जा सकेगी। ’’ केंद्रीय मंत्री ने कहा कि एनएमसी विधेयक लोकोन्मुखी विधेयक है। इसमें नीम हकीमों को कड़ा दंड देने का प्रावधान किया गया है।

 विधेयक पारित होने के लिये रखते हुए हर्षवर्धन ने कहा कि मोदी सरकार सबको गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराने को प्रतिबद्ध है और 2014 से लगातार इस दिशा में कदम उठाए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि भारतीय चिकित्सा परिषद (एमसीआई) में लंबे समय से भ्रष्टाचार की शिकायतें आ रही थीं। इस मामले में सीबीआई जांच भी हुई। ऐसे में इस संस्था के कायाकल्प की जरूरत हुई। मंत्री ने यह भी कहा कि यह विधेयक इतिहास में चिकित्सा के क्षेत्र के सबसे बड़े सुधार के रूप में दर्ज होगा। हर्षवर्धन ने कहा कि मोदी सरकार भ्रष्टाचार को बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं करने की नीति पर चलती है और यह विधेयक भी इसी भावना के साथ लाया गया है।

एनएमसी विधेयक में परास्नातक मेडिकल पाठ्यक्रमों में प्रवेश और मरीजों के इलाज हेतु लाइसेंस हासिल करने के लिए एक संयुक्त अंतिम वर्ष एमबीबीएस परीक्षा (नेशनल एक्जिट टेस्ट ‘नेक्स्ट’) का प्रस्ताव दिया गया है। यह परीक्षा विदेशी मेडिकल स्नातकों के लिए स्क्रीनिंग टेस्ट का भी काम करेगी। राष्ट्रीय प्रवेश परीक्षा ‘नीट’ के अलावा संयुक्त काउंसिलिंग और ‘नेक्स्ट’ भी देश में मेडिकल शिक्षा क्षेत्र में समान मानक स्थापित करने के लिए एम्स जैसे राष्ट्रीय महत्व के संस्थानों पर लागू होंगे।

‘राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग विधेयक-2019’ के का लक्ष्य 

विधेयक के उद्देश्यों एवं कारणों में कहा गया है कि आयुर्विज्ञान शिक्षा किसी भी देश में अच्छी स्वास्थ्य देखरेख प्राप्त करने के लिये महत्वपूर्ण है । स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग से संबंधित संसद की एक स्थायी समिति ने अपनी 92वीं रिपोर्ट में आयुर्विज्ञान शिक्षा और चिकित्सा व्यवसाय की विनियामक पद्धति का पुनर्गठन और सुधार करने के लिये तथा डा. रंजीत राय चौधरी की अध्यक्षता वाले विशेष समूह द्वारा सुझाए गए विनियामक ढांचे के अनुसार भारतीय आयुर्विज्ञान परिषद में सुधार करने के लिये कदम उठाने की सिफारिश की। 

विधेयक में चार स्वशासी बोर्डो के गठन का प्रस्ताव किया गया है। इसमें स्नातक पूर्व और स्नातकोत्तर अतिविशिष्ट आयुर्विज्ञान शिक्षा में प्रवेश के लिये एक सामान्य राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश (नीट) परीक्षा आयोजित करने की बात कही गई है। इसमें चिकित्सा व्यवसायियों के रूप में चिकित्सा व्यवसाय करने हेतु एवं राज्य रजिस्टर और राष्ट्रीय रजिस्टर में नामांकन के लिये एक राष्ट्रीय निर्गम (एक्जिट) परीक्षा आयोजित करने की बात कही गई है । इसमें भारत में और भारत से बाहर विश्वविद्यालयों और आयुर्विज्ञान संस्थाओं द्वारा अनुदत्त चिकित्सा अर्हताओं की मान्यता तथा भारत में ऐसे कानून एवं अन्य निकायों द्वारा अनुदत्त चिकित्सा अर्हताओं को मान्यता प्रदान करने की बात कही गई है । इसमें सरकारी अनुदानों, फीस, शास्तियों और प्रभारों को जमा करने के लिये राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग निधि गठित करने की भी बात कही गई है। (पीटीआई इनपुट के साथ) 

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