आईआईटी गुवाहाटी ने कपड़े के मास्क बेहतर बनाने के लिए उस पर लगाने के लिए लेप विकसित किया
By भाषा | Published: November 29, 2021 07:56 PM2021-11-29T19:56:34+5:302021-11-29T19:56:34+5:30
गुवाहाटी, 29 नवंबर भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), गुवाहाटी के अनुसंधानकर्ताओं की एक टीम ने कोविड-19 जैसे ‘एयरोसोल’ जनित संक्रमण के खिलाफ बेहतर सुरक्षा के लिए कपड़े या रेशम के साधारण मास्क को बेहतर बनाने के लिए उस पर लेप लगाने वाला एक पदार्थ विकसित किया है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के दिशानिर्देशों के मुताबिक एन95 मास्क या दोहरी परत वाले मास्क लोगों को कोरोना वायरस से एक हद तक बचाते हैं लेकिन इसका यह नुकसान है कि लंबे समय तक इन्हें लगाने के बाद लोगों को सांस लेने में परेशानी होने लगती है।
इसके अलावा एन95 मास्क महंगे भी हैं और इस तरह वे आबादी के एक बड़े हिस्से के लिए अवहनीय हैं।
एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है, ‘‘इन चुनौतियों का हल करने और एक सुरक्षित, किफायती तथा आरामदेह विकल्प उपलब्ध कराने के लिए आईआईटी गुवाहाटी के अनुसंधानकर्ताओं ने आसानी से उपलब्ध कपड़े के मास्क को हाइड्रोफोबिक मास्क के रूप में तब्दील करने के लिए उस पर लेप लगाने वाली एक सामग्री विकसित की है। यह सांस लेने में आने वाली परेशानी को दूर करेगी और इसे कहीं अधिक समय तक लोग पहन सकेंगे।’’
प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार इस मास्क का एक और फायदा यह है कि इसका इस्तेमाल जीवाणु रोधी सूक्ष्म पदार्थ के साथ विषाणु के खिलाफ अतरिक्त सुरक्षा के लिए किया जा सकता है।
अनुसंधान दल का नेतृत्व रसायन विज्ञान एवं नैनो प्रौद्योगिकी विभाग के प्रोफेसर अरूण चटोपाध्याय और केमिकल इंजीनियरिंग विभाग के डॉ पार्थों एस जी पट्टेदार ने किया।
इस अनुसंधान के अनूठे पहलुओं का जिक्र करते हुए चटोपाध्याय ने कहा, ‘‘हमने मास्क के जरिये वायु प्रवाह कराते हुए संशोधित कपड़े द्वारा एयरोसेल (हवा में मौजूद जल की सूक्ष्म बूंदों) के अपकर्षण के सिद्धांत पर काम किया। यहां रेशम के कपड़े पर हाइड्रोफोबिक अणु के एक सामान्य लेप ने अच्छा काम किया।
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