बिहार: आईजी विकास वैभव ट्विटर वॉर के जरिए शोभा अहोतकर पर लगातार कर रहे हैं हमला
By एस पी सिन्हा | Updated: February 12, 2023 16:30 IST2023-02-12T16:30:48+5:302023-02-12T16:30:48+5:30
आईजी विकास वैभव ने ट्विटर वॉर पर विराम नही लगाया है। वह लगातार ट्वीट कर शोभा अहोतकर पर तीखा हमला बोलते जा रहे हैं। इस बार भी विकास वैभव ने संस्कृत के श्लोक को पोस्ट कर फिर से खलबली मचा दी है।

बिहार: आईजी विकास वैभव ट्विटर वॉर के जरिए शोभा अहोतकर पर लगातार कर रहे हैं हमला
पटना:बिहार में होमगार्ड एवं अग्निशमन सेवा की डीजी शोभा ओहतकर पर गाली देने का आरोप आईजी विकास वैभव ने सोशल मीडिया के जरिये लगाया था। जिसके बाद विवादों में आए विकास वैभव ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने नसीहत दी थी। इसके बाद भी उन्होंने ट्विटर वॉर पर विराम नही लगाया है। वह लगातार ट्वीट कर शोभा अहोतकर पर तीखा हमला बोलते जा रहे हैं। इस बार भी विकास वैभव ने संस्कृत के श्लोक को पोस्ट कर फिर से खलबली मचा दी है।
उल्लेखनीय है विकास वैभव लगातार संस्कृत के श्लोक के सहारे अपनी बात कह रहे हैं। शनिवार देर रात अपने टि्वटर हैंडल से एक पोस्ट में उन्होंने मूर्खों के पांच लक्षण बताएं हैं। उन्होंने लिखा है कि, "मूर्खस्य पञ्च चिह्नानि गर्वो दुर्वचनं तथा। क्रोधश्च दृढवादश्च परवाक्येष्वनादरः." अर्थात - "एक मूर्ख के पांच लक्षण होते हैं घमण्ड, दुष्ट वार्तालाप, क्रोध, जिद्दी तर्क और अन्य लोगों के लिए सम्मान में कमी।"
जबकि रविवार को ट्वीट करते हुए उन्होंने लिखा है कि “सदयं हृदयं यस्य भाषितं सत्यभूषितम्। कायं परहितं यस्य कलिस्तस्य करोति किम्॥” अर्थात- जिसके हृदय में दया है, जिसकी वाणी में सत्य है, जिसके कार्य भी दूसरों के हित के लिए है, उसका काल (मृत्यु) भी क्या कर सकेगा अर्थात् ऐसे व्यक्ति को मृत्यु का भी भय नहीं होता।
"सदयं हृदयं यस्य भाषितं सत्यभूषितम् ।
— Vikas Vaibhav, IPS (@vikasvaibhavips) February 12, 2023
कायं परहितं यस्य कलिस्तस्य करोति किम् ॥"
अर्थात - "जिसके हृदय में दया है, जिसकी वाणी में सत्य है, जिसके कार्य भी दूसरों के हित के लिए है, उसका काल (मृत्यु) भी क्या कर सकेगा अर्थात् ऐसे व्यक्ति को मृत्यु का भी भय नही होता ।"#SundayThoughts
वहीं,10 फरवरी को उन्होंने लिखा था कि "क्वचित् सर्पोऽपि मित्रत्वमियात् नैव खलः क्वचित्। न शोषशायिनोऽप्यस्य वशे दुर्योधनः हरेः॥" अर्थात - "कभी-कभी सर्प भी मित्र बन सकता है, किन्तु दुष्ट को कभी मित्र नहीं बनाया जा सकता। शेषनाग पर शयन करने वाले हरि का भी दुर्योधन मित्र न बन सका !"
वही 9 फरवरी को ट्वीट करते हुए विकास वैभव ने लिखा कि "विद्याविनयोपेतो हरति न चेतांसि कस्य मनुजस्य। कांचनमणिसंयोगो नो जनयति कस्य लोचनानन्दम् ॥" अर्थात - "विद्यावान और विनयी मनुष्य सभी का चित्त हरण (आकर्षित) कर लेता है । जैसे स्वर्ण और मणि का संयोग सबकी आँखों को सुख प्रदान करता है ।"