"तबियत खराब होने पर अस्पताल जाएंगे कि मंदिर?", बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर ने राम मंदिर पर दिया विवादित बयान

By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: January 8, 2024 11:32 AM2024-01-08T11:32:27+5:302024-01-08T11:40:47+5:30

बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर ने भगवान राम को लेकर ऐसा बयान दिया है, जिससे राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया है।

"If you feel unwell, will you go to hospital or temple?", Bihar Education Minister Chandrashekhar gave a controversial statement on Ram Temple | "तबियत खराब होने पर अस्पताल जाएंगे कि मंदिर?", बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर ने राम मंदिर पर दिया विवादित बयान

फाइल फोटो

Highlightsबिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर ने भगवान राम को लेकर दिया विवादित बयान. मचा सियासी तुफानचंद्रशेखर ने कहा कि अगर लोग बीमार पड़ते हैं या घायल होते हैं तो उन्हें अस्पताल चाहिए या मंदिर यदि कोई अधिकारी, विधायक या सांसद बनना चाहता है तो वह मंदिर जाएगा या फिर स्कूल

पटना:अयोध्या में राम लला के प्राण प्रतिष्ठा का दिन जैसे-जैसे नजदीक आ रहा है, इसे लेकर सियासत भी गर्म होती जा रही है। कई दलों द्वारा मंदिर समारोह से दूरी बनाने के बाद अब बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर ने भगवान राम को लेकर ऐसा बयान दिया है, जिससे राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया है।

समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर ने यह कहते हुए विवाद खड़ा कर दिया है कि अगर लोग बीमार पड़ते हैं या घायल होते हैं तो वे किसी मंदिर में जाने की बजाय किसी अस्पताल में जाकर चिकित्सा सहायता लेंगे।

उन्होंने बीते रविवार को कहा, "यदि आप घायल हो जाएंगे तो आप कहां जाएंगे? मंदिर या अस्पताल? यदि आप शिक्षा चाहते हैं और अधिकारी, विधायक या सांसद बनना चाहते हैं तो क्या आप मंदिर या स्कूल जाएंगे?"

इसके साथ ही चंद्रशेखर ने लोगों को "छद्म हिंदुत्व और छद्म राष्ट्रवाद" से भी सावधान रहने की सलाह दी। वहीं राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के विधायक फतेह बहादुर सिंह को अपना समर्थन देते हुए कहा कि चंद्रशेखर ने कहा कि वही कह रहे हैं, जो सावित्रीबाई फुले ने कहा था।

चंद्रशेखर ने कहा,, "राजद विधायक फतेह बहादुर सिंह ने वही बात कही है, जो सावित्रीबाई फुले ने कही थी। यहां गलत क्या है? उन्होंने सावित्रीबाई फुले को उद्धृत किया। क्या शिक्षा आवश्यक नहीं है? हमें छद्म हिंदुत्व और छद्म राष्ट्रवाद से सावधान रहना चाहिए।" 

दरअसल फ़तेह बहादुर सिंह ने बिहार में कई पोस्टर लगाए हैं, जिनमें शिक्षा के गुणों का बखान करते हुए मंदिरों के बारे में अपमानजनक बातें कही गई हैं।

उन्होंने कहा, "जब भगवान राम हममें से हर एक में और हर जगह रहते हैं, तो आप उन्हें खोजने के लिए कहां जाएंगे? जिन स्थलों को आवंटित किया गया है, उन्हें शोषण का स्थल बना दिया गया है। जिसका उपयोग समाज में कुछ षड्यंत्रकारियों की जेबें भरने के लिए किया जाता है।"

मालूम हो कि इन बयानों से पहले विपक्षी दल के नेता सरकार पर निशाना साध रहे हैं और रामलला को लेकर अभद्र टिप्पणी कर रहे हैं। एनसीपी नेता जीतेंद्र आव्हाड ने रामलला को मांसाहारी बताया था तो दूसरी तरफ तेजस्वी यादव ने भी भगवान राम को लेकर विवादित बयान दिया था।

इससे पहले बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने भी बीते 4 जनवरी को कहा कि अगर वह बीमार हो जाएं तो उन्हें मंदिर या अस्पताल जाना चाहिए।

बिहार के उपमुख्यमंत्री ने कहा, "बीमार पड़ने या घायल होने पर लोग अस्पताल जाएंगे, मंदिर नहीं। मैं किसी धर्म के खिलाफ नहीं हूं। मैं हाल ही में तिरूपति गया था, जहां मेरी बेटी का मुंडन हुआ था। यहां तक ​​कि मैंने अपने बाल भी चढ़ा दिए। इस देश के ताने-बाने को बदलने के लिए प्रयास चल रहा है। मेरी एकमात्र चिंता इसे रोकने की है।"

वहीं राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के शरद पवार गुट के नेता जितेंद्र आव्हाड ने हमाराष्ट्र के शिरडी में भगवान राम पर बयान देकर विवाद खड़ा कर दिया था।

एनसीपी नेता जितेंद्र आव्हाड ने बीते 3 जनवरी को कहा था, "राम हमारे हैं। राम बहुजनों के हैं। शिकार करके खाने वाले राम हमारे हैं, वे हम बहुजनों के हैं। जब आप लोग हम सबको शाकाहारी बनाना चाहते हैं, तो हम राम के आदर्शों पर चलते हैं और आज भी मटन खाते हैं। राम शाकाहारी नहीं थे, वह मांसाहारी थे।''

Web Title: "If you feel unwell, will you go to hospital or temple?", Bihar Education Minister Chandrashekhar gave a controversial statement on Ram Temple

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